Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

भ्रष्टाचार कथा : यूपी में सरकारें बदलती गईं और नोएडा में तैनात अफसरों का रसूख कई गुना बढ़ता गया

Manish Srivastava-

कुछ हजार और लाख वेतन पाने वाले हजारों करोड़ में खेलने लगे, एक माली भी नौकरी छोड़कर अरबपति बिल्डर बन बैठा…

Advertisement. Scroll to continue reading.

हर सरकार में ताकतवर होता गया नोएडा का मायावी भ्रष्टाचार….आइए सिर्फ तथ्यों के सहारे सरकारी हुक्मरानों को आइना दिखाया जाए।

2011 में भाजपा नेता किरीट सोमैया ने लखनऊ के पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उसमें बतौर पत्रकार मैं भी मौजूद था। सोमैया ने नोएडा अथॉरिटी में एक लाख करोड़ से ऊपर का घोटाला बताकर खूब खुलासे किए।। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनन्द कुमार(नोएडा अथॉरिटी के पूर्व क्लर्क) के सिंडिकेट से जुड़ी करीब 100 कम्पनियों का दावा करते हुए दस्तावेज सामने रखे। करीने से बनाये गए दस्तावेजों के मुताबिक भ्रष्ट सिंडिकेट ने बेहिसाब मनीलांड्रिंग की थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बसपा नेता सतीश मिश्रा और उनके बेटे समेत कम्पनियों का नाम भी था। यादव सिंह की साठगांठ समेत अथॉरिटी के भ्रष्टाचार का बेहतरीन खुलासा था। बाकायदा नोएडा में भाजपा नेताओं ने खूब प्रदर्शन किया और सरकार बनने पर आयोग बनाकर जांच की बात कही। 2017 में भाजपा सरकार यूपी की सत्ता में आई। आप ही बताइये, नोएडा अथॉरिटी को लूटने वाले कितने अफसर जेल गए? सबसे बड़ा लुटेरा चीफ इंजीनियर यादव सिंह भी सिर्फ इसलिए कोर्ट से जमानत पर बाहर आ गया क्योंकि सीबीआई ने 60 नहीं 119 दिनों में चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन मंजूरी सीबीआई करीब एक वर्ष से मांग रही है। यूपी सरकार देने को तैयार नहीं। अथॉरिटी समेत नोएडा के तीनों प्राधिकरणों में रहे पूर्व ओएसडी यशपाल त्यागी के ऊपर यादव सिंह व आनंद कुमार के साथ साठगांठ करके 800 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा।

आयकर विभाग ने छापे मारे तो कई शहरों में फैला बेहिसाब काला साम्राज्य सामने आ गया। लेकिन आगे फिर वही सब जाकर ठप हो गया। त्यागी साहब ने सफाई पेश की। सब झूठ है। क्या अथॉरिटी के पूर्व ओएसडी त्यागी साहब के सगे बेहद करीबी रिश्तेदार भाजपा विधायक हैं? क्या उनके दबाव में कारवाई दफन हुई? त्यागी की कितनी संपत्तियां जब्त हुई? खैर ये भी जाने दीजिए। 2012 में नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन जीएम रवींद्र सिंह तोगड़, ललित विक्रम,एसएसए रिजवी समेत 4 अफसरों पर छापा आयकर विभाग ने मारा। ललित विक्रम का नाम अरबों के फार्म हाउस घोटाले में आया था। पत्नी के नाम बेशकीमती जमीनें लेने का भी आरोप था। बस हुआ कुछ नहीं। आयकर छापे की कारवाई में ही रवींद्र की पत्नी व परिजन कई कम्पनियों में डायरेक्टर निकले।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अरबों रुपये के काले साम्राज्य का खुलासा हुआ। पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में विजिलेंस जांच के निर्देश हुए। जांच का पता आजतक नहीं है। अथॉरिटी को चूसने वाले तत्कालीन सीईओ आईएएस रमारमण के रहते सब वीआरएस लेकर निकल लिए। नौकरी छोड़कर नोएडा में यही तोगड़ कथित भाजपा नेता बन बैठा। 2018 में फिर तोगड़ पर आयकर छापा पड़ा। भाजपा के जिला स्तर के नेताओं ने पल्ला झाड़ लिया कि ये भाजपा में कभी था ही नहीं। इन सबसे बेफिक्र रवींद्र की लग्जरी गाड़ी भाजपा का झंडा लगाकर फर्राटा भरती रही। इन साहेबान की गहराई से जांच होती तो हजारों करोड़ की लूट का कच्चा चिट्ठा सामने आ जाता। नोएडा में जमीनें कौड़ियों के भाव हड़पने के खेल की पर्तें भी खुलतीं। लेकिन हुआ कुछ नहीं। नोएडा में जो भी अफसर प्राधिकरण में तैनात हुआ। बस कुर्सी से जोंक की तरह चिपका ही रहा।

एक वरिष्ठ महिला आईएएस सटीक उदाहरण हैं जिनके सरकारी बंगले में करीब 25 एसी लगे होने की सूचना थी। एक आईएएस अफसर तो हाल ही में मलाईदार कुर्सी मिलने पर केंद्र निकल लिए। किसी ने ये भी नहीं सोचा कि साहब जब उत्पादन निगम में थे तो क्या क्या गुल खिलाये। सरकार के चहेते जो ठहरे। अथॉरिटी में तैनात रहे अधिकांश अफसरों-इंजीनियरों-बाबुओं के नेक्सस ने यहां कई बेशकीमती प्लॉट-आलीशान मकान-फार्महाउस बना रखे हैं। किसकी-किसकी अवैध संपत्तियां जब्त हुईं? नोएडा के सीईओ पद पर तैनात रहे अधिकांश आईएएस की सबसे कमाऊ सीट शायद यहीं रही होगी। संजीव सरन, राकेश बहादुर, मोहिंदर सिंह जैसे न जाने कितने घोटालेबाज यूं ही रिटायर हो गए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सीबीआई-ईडी-विजिलेंस-आयकर सरीखी केंद्रीय व राज्य स्तरीय जांच एजेंसियां सिर्फ इन भ्रष्टों से पूछताछ ही करती रहीं। कभी कैग 30 हजार करोड़ के घोटाले की रिपोर्ट देती है। कभी फार्महाउस घोटाले के नाम पर अरबों की बंदरबांट होती है। कभी अथॉरिटी में बार बार लग रही रहस्मयी आग अहम फाइलों को राख के ढेर में तब्दील कर देती है। उत्तर प्रदेश में सरकारें बदलती गईं और नोएडा में तैनात अफसरों का रसूख भी कई गुना बढ़ता गया। कुछ हजार और लाख वेतन पाने वाले हजारों करोड़ में खेलने लगे। एक माली भी नौकरी छोड़कर अरबपति बिल्डर बन बैठा।

लब्बोलुआब बस यही है भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेन्स के दावे कारवाई में दिखने चाहिए न कि सिर्फ सरकारी प्रेसनोट में।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज के सन्देशवाहक अखबार में नोएडा अथॉरिटी के उसी मायावी भ्रष्टाचार को सामने रखने का प्रयास किया है जो आज इतना ताकतवर हो चुका है कि सरकार के हाकिम भी जल्द कारवाई करने से पहले सौ बार सोचेंगे।

नोएडा को लूटने के खातिर सरकारें नेताओं और खास अफसरों की बाकायदा फौज भेजती रहीं हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार रैलियों में नोएडा समेत प्राधिकरणों में हुई लूट की जांच के वादे आम जनता से कर रहे थे। क्या नोएडा क्या लखनऊ विकास प्राधिकरण..ये सबसे कमाऊ लूट के अड्डे पहले भी थे,आज भी हैं और आगे भी बने रहेंगे…आप और हम बस यूं ही दर्शक की भूमिका के पात्र ही रहेंगे…

सत्यमेव जयते

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement