-यशवंत सिंह-
नोएडा में मुश्किल है एफआईआर लिखा पाना… नोएडा के पुलिस अफसर कागज दुरुस्त रखने, अपराध कम दिखाने के चक्कर में एफआईआर ही नहीं लिख रहे हैं. पुलिस कमिश्नरेट बनने के बावजूद नोएडा में आम आदमी के लिए न्याय पा लेना पहले जैसा ही मुश्किल बना हुआ है. जनता के पैसे पर पुलिस अफसरों की लंबी चौड़ी फौज नोएडा में कुर्सी तोड़ रही है और घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला डाक्टर एक एफआईआर दर्ज कराने के लिए दर दर भटक रही है. पीड़ित महिला तो कैमरे पर भी साफ तौर पर आरोप लगाती है कि नोएडा पुलिस रिश्वतखोर है. उसका आरोप है कि उसके पति ने ठीकठाक पैसे दे दिए हैं इसलिए पुलिस वाले एफआईआर नहीं लिख रहे हैं. यही कारण है कि पुलिस अफसरों की फौज उसकी बात सुन कर भी कुछ नहीं कर पा रही है.
नोएडा में महिला उत्थान के लिए एक अलग महिला पुलिस अफसर है. पीड़िता के साथ हुए अन्याय का वहां भी संज्ञान नहीं लिया गया. कुछ अन्य आईपीएस अफसरों के यहां भी पीड़िता गईं पर सिर्फ आश्वासन मिला. नोएडा के अलग अलग इलाकों के लिए अलग अलग डीसीपी की तैनाती है लेकिन ये लोग भी अप्लीकेशन पर चिड़िया बिठाकर छुट्टी पा लिए.
उत्तराखंड की रहने वाली डाक्टर अर्चना की कहानी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि नोएडा में किस तरह से पुलिस सिस्टम काम कर रहा है.
संयोग ये देखिए कि मैं दो दफे इन महिला से मिला और दोनों ही बार अलग अलग दो पुलिस अफसरों के पास. डाक्टर अर्चना एफआईआर लिखाने के लिए निवेदन करने गईं थीं और मैं अपने एक मित्र के साथ उनकी एफआईआर लिखाने की अर्जी के साथ पहुंचा हुआ था.
पहली बार डीसीपी ग्रेटर नोएडा राजेश कुमार सिंह के यहां. दूसरी बार एडिशनल सीपी लॉ एंड आर्डर लव कुमार के यहां.
दोनों जगह से महिला को निराशा मिली और हमें भी.
न महिला की एफआईआर लिखी गई और न मेरे मित्र की.
डाक्टर अर्चना की कहानी इस वीडियो में है…. इसे देखिए और अपने परिचितों मित्रों को दिखाइए. आपकी फ्रेंड लिस्ट में, आपके कांटेक्ट में कोई पुलिस वाला हो कोई अफसर हो तो उसे ये वीडियो जरूर भेजें… शायद किसी का दिल पसीजे और इस महिला की एफआईआर लिख जाए….
कृपया नीचे दिए गए ट्वीट को रीट्वीट करें, अफसरों को टैग करें और डाक्टर अर्चना के एफआईआर लिखवाने के अभियान में मदद करें-
भड़ास एडिटर यशवंत की रिपोर्ट.
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