अजय कुमार, लखनऊ
लखनऊ। मोदी सरकार द्वारा श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए 15 सदस्यों वाले शासकीय ट्रस्ट की घोषणा के साथ ही उन लोगों की नाराजगी सामने आने लगी है जिन्हें ट्रस्ट में जगह नहीं मिली है। इसमें सबसे प्रमुख नाम मंहत नृत्य गोपाल दास का है।
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष पीठ मणिरामदास की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास का मंदिर निर्माण के लिए गठित शासकीय ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में न होना इसलिए ज्यादा चैकाने वाला रहा क्योंकि गत पखवारे ही उनकी वाई श्रेणी की सुरक्षा बढ़ाकर जेड श्रेणी कर दी गई थी और शासकीय ट्रस्ट के गठन वाले दिन छावनी को सुरक्षा घेरे में जकड़े जाने के साथ ट्रस्ट में उन्हें अहम पद मिलने का अनुमान और पुख्ता हो गया था।
पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती एवं निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास के रूप में मंदिर आंदोलन के कुछ अन्य चुनिंदा लोगों की भी उपेक्षा हैरत में डालने वाली है। आश्चर्यजनक यह है कि इस ट्रस्ट में सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले वकील के पाराशरण से लेकर साउथ के मठ और शंकराचार्य तक को सदस्य बनाया गया है, लेकिन राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास को अभी तक जगह नहीं मिली है।
नृत्यगोपाल दास के संगठन की राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका रही है, जिन्होंने सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने का काम किया है।
बहरहाल, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर अयोध्या में विरोध शुरू हो गया है। ट्रस्ट में महंत नृत्य गोपाल दास का नाम ना होने पर संतों ने विरोध जताया है। इसको लेकर मणिराम दास छावनी में संतों की बड़ी बैठक होगी। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास का कहना है कि हम इस ट्रस्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस ट्रस्ट में वैष्णव समाज के संतों का अपमान किया गया है।
उनका आरोप है कि जो लोग राम मंदिर आंदोलन में अपनी जिंदगी लगा दी और कुर्बानी तक दे दी, उनको ट्रस्ट से दूर रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस ट्रस्ट के विरोध में अयोध्यावसी आंदोलन करेंगे।नयन ने ट्रस्ट में शामिल अयोध्या राजपरिवार के विमलेश मोहन प्रताप मिश्रा को राजनीतिक बताया है। उन्होंने कहा कि वे बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े हैं।
उनका राम जन्मभूमि से कोई लेना देना नहीं हैं। इनको कोई जानता तक नहीं था। उन लोगों को राम जन्मभूमि ट्रस्ट में जगह दी गई है। कमल नयन दास ने चेतावनी दी कि अयोध्या में इस ट्रस्ट को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। रामानंदी संतों का भी अपमान किया गया है।
विरोध की खबरों के बीच मणिराम दास छावनी में नाराज बैठे साधू संतों से मिलने अयोध्या के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय पहुंचे, तो उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया। संतों का कहना है कि ये वोट लेने आते हैं और मंदिर निर्माण में हमें कोई जिम्मेदारी भी नहीं दी। वहीं, विधायक और मेयर का कहना है कि निश्चित रूप से साधू-संतों की अहम भूमिका रही है, उनको जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।
इस बीच ये खबर भी सामने आ रही है कि राम मंदिर ट्रस्ट में महंत नृत्य गोपाल दास को अब भी जगह मिल सकती है। महंत नृत्य गोपाल दास के नाम को बोर्ड ऑफ ट्रस्टी नॉमिनेट कर सकता है। इसके संकेत ट्रस्टी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि महंत नृत्य गोपाल दास का ट्रस्ट में होना जरूरी है। ट्रस्ट की पहली बैठक में महंत के नाम का प्रस्ताव लाया जा सकता है।