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सियासत

जहरीले बयान देने वाले अपने नेताओं को सम्मानित करने वाली भाजपा को कतर जैसे छोटे देश ने सबक़ सिखा दिया!

विजय शंकर सिंह-

फ्रिंज एलिमेंट… जब वे नाथूराम गोडसे से किनारा कर सकते हैं, सावरकर को अकेला छोड़ सकते हैं, कभी कभी Bunch of Thought में कहे गए वक्तव्यों से दूरी बना लेते हैं तो, वे भला नवीन जिंदल और नूपुर शर्मा के पक्ष में खड़े होंगे? जिंदल को सरकार ने फ्रिंज एलिमेंट कहा है। यानी उनके प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी फ्रिंज एलिमेंट थे।

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Embassy of India Doha, Qatar
सत्यमेव जयते

Press Release

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Home › Press Release > Press Release by Embassy of India-Doha: 5 June 2022

In response to media query regarding a statement issued by Qatar MOFA on an offensive tweet in India, the Spokesperson of the Embassy of India in Qatar said:

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Ambassador had a meeting in the Foreign Office in which concerns were raised with regard to some offensive tweets by individuals in India denigrating the religious personality.

Ambassador conveyed that the tweets do not, in any manner, reflect the views of the Government of India. These are the views of fringe elements.

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सौमित्र रॉय-

कतर सरकार ने थोड़ी देर पहले भारतीय राजदूत को बुलाया और पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर साहेब के ख़िलाफ़ टिप्पणी पर भारत सरकार से माफ़ी मांगने को कहा।

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भारत सरकार ने जवाब में कहा कि यह “बाहरी” लोगों ने किया है और इनके ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई की गई है।

बीजेपी से निलंबन अगर कठोर कार्रवाई है तो आप भारत की भगवा विदेश नीति के लिए कफ़न का इंतज़ाम कर ही लीजिए।

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फिर ये अचानक “बाहरी” कैसे हो गए? आई एम सॉरी बाबू।


उर्मिलेश-

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भारतीय जनता पार्टी एक ‘राष्ट्रवादी’ पार्टी है इसलिए वह अपने राष्ट्र के लोगों से न डरती है और न घबराती है. लेकिन परदेसियों से वह डरती है. उनकी प्रतिकूल प्रतिक्रिया के दबाव में आकर वह कभी-कभी ‘कोर्स करेक्शन’ के लिए भी तैयार हो जाती है. सांप्रदायिक सौहार्द्र की बातें भी करने लगती है.

नुपुर शर्मा और नवीन जैसे उसके प्रवक्ताओं ने कई दिनो पहले जहरीली बयानबाजी की थी. देश भर में इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई. शर्मा के खिलाफ कई प्रदेशों में एफ आई आर तक हुए. लेकिन सरकार और भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ा.
इस मामले को लेकर जब दुनिया के कई देशों में भारतीय पूंजीपतियों के माल या भारत-उत्पादित सामानों का बहिष्कार होने लगा तो मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने अब सांप्रदायिक सौहार्द्र में अपनी प्रतिबद्धता का ऐलान करने लगी हैं. कतर सहित कुछ देशों ने तो भारतीय जनता पार्टी के ऐसे प्रवक्ताओं के जहरीले बयानों के संदर्भ में सफाई के लिए भारतीय राजदूत को तलब तक किया.

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एशिया और यूरोप के कुछ देशों की प्रतिक्रिया के बाद भाजपा अब शर्मा और जिंदल के खिलाफ कार्रवाई के लिए मजबूर हुई.

इससे पहले, पार्टी के अनेक नेता अपने जहरीले बयान के लिए राजनीतिक रूप से पुरस्कृत होते रहे हैं. देश में उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने के बावजूद उनमें कुछ को तो मंत्री तक बना दिया गया. इसे कहते हैं वक्त वक्त की बात!

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इसका यह भी मतलब निकलता है कि मौजूदा सरकार और सत्ताधारी पार्टी को अपने देशवासियों की प्रतिक्रिया या नाराज़गी की ज्यादा परवाह नहीं. उसके हठ को कभी-कभी वैश्विक प्रतिक्रिया ही हिलाने में सक्षम नज़र आती है.

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