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अब ऑनलाइन व मोबाइल विज्ञापन भी सर्विस टैक्स के दायरे में

वित्त मंत्री अरुण जेटला ने अपने बजटय भाषण में ऑनलाइन और मोबाइल विज्ञापनों को सेवा कर(सर्विस टैक्स) के दायरे में लाने की घोषणा की है। डिजिटल मीडिया के ये दोनो क्षेत्र अभी भी अपने विकास के शुरुआती चरणों में हैं। उभरते उद्योगों को समर्थन देने के उद्देश्य से इन दोनों क्षेत्रों को दो साल पहले प्रिंट माडिया के साथ सेवा कर की निषेध सूची में डाल दिया गया था। लेकिन अपने पहले ही बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ऑनलाइन व मोबाइल विज्ञापनों पर 12.36 प्रतिशत सेवा कर लगाये जाने की घोषणा की है। रेडियो और टेलिविज़न विज्ञापन पर पहले से ही सेवा कर लग रहा है।

<p>वित्त मंत्री अरुण जेटला ने अपने बजटय भाषण में ऑनलाइन और मोबाइल विज्ञापनों को सेवा कर(सर्विस टैक्स) के दायरे में लाने की घोषणा की है। डिजिटल मीडिया के ये दोनो क्षेत्र अभी भी अपने विकास के शुरुआती चरणों में हैं। उभरते उद्योगों को समर्थन देने के उद्देश्य से इन दोनों क्षेत्रों को दो साल पहले प्रिंट माडिया के साथ सेवा कर की निषेध सूची में डाल दिया गया था। लेकिन अपने पहले ही बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ऑनलाइन व मोबाइल विज्ञापनों पर 12.36 प्रतिशत सेवा कर लगाये जाने की घोषणा की है। रेडियो और टेलिविज़न विज्ञापन पर पहले से ही सेवा कर लग रहा है।</p>

वित्त मंत्री अरुण जेटला ने अपने बजटय भाषण में ऑनलाइन और मोबाइल विज्ञापनों को सेवा कर(सर्विस टैक्स) के दायरे में लाने की घोषणा की है। डिजिटल मीडिया के ये दोनो क्षेत्र अभी भी अपने विकास के शुरुआती चरणों में हैं। उभरते उद्योगों को समर्थन देने के उद्देश्य से इन दोनों क्षेत्रों को दो साल पहले प्रिंट माडिया के साथ सेवा कर की निषेध सूची में डाल दिया गया था। लेकिन अपने पहले ही बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ऑनलाइन व मोबाइल विज्ञापनों पर 12.36 प्रतिशत सेवा कर लगाये जाने की घोषणा की है। रेडियो और टेलिविज़न विज्ञापन पर पहले से ही सेवा कर लग रहा है।

सरकार ने प्रिंट मीडिया को अब भी सेवा कर की निषेध सूची में बनाए रखते हुए सेवा कर से मुक्त रखा है। प्रिंट माडिया के लिए यह एक अच्छी ख़बर है।

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जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन व मोबाइल विज्ञापन एक उभरता हुआ नया सेगमेंट है, सेवा कर लगाने से इस उद्योग के विकास पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के अनुसार यह उद्योग अभी मात्र 2900 करोड़ रुपए का है, इसके विकास के लिए ज़रूरी है कि सेवा कर की छूट  को तीन से पांच साल तक और जारी रहने दिया जाता।

वहीं प्राइसहाउस कूपर्स इंडिया के स्मित झा का कहना है कि उद्योग में जीएसटी को प्रमोट करने के लिए निषेध सूची को घटाने की सोच सही है और अच्छे कल के लिए ऐसी सेवाओं को टैक्स के दायरे में लाकर छोटी अवधि में छोटा-सा दाम वसूला गया है।

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