Vineet Kumar : ओपन मैगजीन का नेहरू पर ये अंक कई मायने में खास है. एक तो इसलिए भी कि नेहरू पर एक साथ जितनी सामग्री आपको चालीस रूपये में मिल जाएगी, उतनी किसी किताब में कम से कम तीन से चार सौ रूपये में मिलेंगे.
दूसरा कि इसमे एम जे अकबर जैसे पत्रकार के विशेष लेख हैं जिन्होंने कभी नेहरू पर बेहद संतुलित किताब लिखी थी और अब प्रधानसेवक के उत्प्रेरक मटीरियल की हैसियत से सक्रिय हैं. पटेल के बरक्स नेहरू को खड़ी करने और मिथकों का साम्राज्य कायम करने की जो कवायदें चल रही है, ऐसे दौर में इस अंक को पढ़ने, खरीदकर रख लेने की जरूरत इसलिए भी है कि हम आगे देख सकेंगे कि प्रधानसेवक के जमाने के देश के पहले प्रधानमंत्री कैसे नजर आते थे?
युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.