-यशवंत सिंह भड़ासानंद-
हम भक्तों को अब भी विश्वास है कि हमारी पार्टी के पत्रकार गोस्वामी जी को मोदीजी-शाहजी 14 दिन से पहले ही जेल से निकलवा लेंगे।
भले इसके लिए जेल के ऊपर से हेलीकॉटर के जरिए रस्सी फ़ेंकवाना पड़े। बस डर है कि रस्सी पकड़ चढ़ते हुए कहीं गोस्वामी भईया का गोड़ न सरक जाए। इसके लिए एहतियात में सूचना मंत्रालय वाले जावड़ेकर चाचा कमांडो के रूप में भेजे जा सकते हैं।
आखिरी काम बस इस रेस्क्यू अभियान का नामकरण करना बाकी है।
वैसे सीक्रेट जानकारी ये है कि आलाकमान ने थपोरी पीटते हुए यूरेका यूरेका स्टाइल में खोज कर लिया है। पूरे गोपनीय अभियान का नाम उनने तय किया है- “omrp” यानि “ऑपरेशन मिडनाईट रेस्क्यू पगला”!
नोट– भक्त साथियों से अनुरोध है कि कृपया तब तक इस ऑपरेशन की भनक एनडीटीवी वाले रवीश कुमार को न लगने दें जब तक यह इम्प्लीमेंट होकर सफल न हो जाए वरना आंटी पुलिस बुला लेगी!
आखिरी समय में पद और गोपनीयता में कोई बड़ा उलटफेर न हुआ तो लगभग यह तय है कि जावड़ेकर जी omrp को लीड करेंगे। उनके माथे पर एक खुफिया कैमरा होगा जिससे ऑपरेशन की पल पल की तस्वीर आलाकमान के नेतृत्व में सारे भक्तों के मोबाइल पर लाइव ब्राडकास्ट होगी।
यह एशिया का सबसे बड़ा फ्रॉम हेलीकाप्टर टू जेल वाया मोबाइल कैटगरी लाइव प्रसारण (fhtjvmclp) होगा। इस भक्तदेसी निर्मित तकनीक fhtjvmclp के बारे में अभी तक नासा को भी भनक नहीं है।
जेल सूत्र भड़ास4मीडिया को बता रहे हैं कि पगला रात में जगते जगते सो पड़ा था और लात हाथ पीटते हुए चिल्लाने लगा था- “रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो रस्सी दो…”!
इस तेज आवाज से सोते सोते जग रहे अन्य भक्त जेलवासी पूरी तरह सो गए। उन्हें लगा जब पगला रस्सी पा जाए लटक जाए या फिर भाग जाए तब ही आंख खोलेंगे वरना इसके चक्कर में कोई क्यों जीते जी फ़र्जीये अपने लाइफ का रिरियाकरण कराए!
सुबह किसी अंतःवासी ने बताया कि पगला घण्टा भर चिल्लाया… वहीं कुछ का कहना था कि रतिया भर रस्सी मांगता रहा वह।
इस अप्रत्याशित ध्वनि प्रदूषण से भक्तनिरपेक्ष जेलवासी डरे हुए हैं कि पगला रस्सी मंगवा कर कहीं लटक न जाए। इसके चक्कर में हम सब सुसाइड प्रेरित केस में फंस जाएंगे जिसके चक्कर में ये खुद आ फंसा है। ये खुद का तो सुशांतकरण कर लेगा लेकिन हियां जंता का जीते जी रिरियाकरण हो जाएगा प्रभु।
मतलब कि पगला के जेल जाने के पहली ही रात वहां की तनाव भरी जिंदगी नॉर्मल हो गयी है। उनके पास अपने अपने खुद के सुख दुख भुलाकर हंसने लड़ने के लिए नए नए टॉपिक पैदा होने लगे हैं जिससे जिंदगी में जोश-दहशत दोनों का आलम है।
जेल वाले सारे मिलकर फिलवक्त तो वर्तमान टैग लाइन “रस्सी दो रस्सी दो” का बार बार भांति भांति से मुंह से हाथ से आंख से एक दूसरे से मुजाहिरा कर रहे हैं। वे इसके निहितार्थ भी एक दूसरे से पूछते बताते जा रहे हैं।
जेल में पदस्थ नवागंतुक पगला से पहले से सक्रिय कुछ ऐतिहासिक पगलों ने गूढ़ टैगलाइन को डिकोड कर लिया है। उनका साफ कहना है कि पगला कल रस्सीकूद प्रतियोगिता जेल में ही कराना चाहता है जिससे इतना अभ्यास कर ले ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद फिर कभी मुंबई पुलिस चहेंटे तो स्टूडियो से नॉनस्टॉप भागते हुए दिल्ली भक्त मुख्यालय ही जाकर रुके।
अंडा सेल में पड़े जेल के सबसे वरिष्ठम पगले का कहना है कि ये बेचारा रस मांग रहा है। कई दिन से पुलिस के चक्कर से खाया पिया नहीं है इसलिए रस दो रस दो की रट लगाए है। इसे रस्सी नहीं गन्ना भेजो भाइयों!
… जारी…
(बुरा न मानो गड़बड़ मीडिया है 🙂