Shishir Soni : समूचे पहाड़ों पे आजकल बड़े बड़े उद्योगपतियों के हेलीकाप्टर उतर रहे हैं। वहाँ की गरीबी का फायदा उठाकर हज़ारों हज़ारों एकड़ जमीन मुंहमांगी कीमत पे खरीदी जा रही है। गांव के गांव उजड़ रहे हैं। उत्तराखंड पत्रकार परिषद् ने आज प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में पहाड़ के पत्रकारों को जमा कर इस बात पर चिंता जताई कि कैसे वहां अडानी, अम्बानी की जड़े वहाँ फ़ैल रही हैं। माफियाओं का सिस्टम पे कब्ज़ा हो रहा है। स्थानीय लोग और गरीब हो रहे हैं। इससे कैसे निपटा जाए?
अच्छा है ऐसे धड़कते हुए मुद्दों पे विमर्श की आज बहुत जरूरत है। लेकिन साथ ही इस पर भी चर्चा होनी चाहिए कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उसके अनुकूल कोई उद्योग स्थापित नहीं होगा तो स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार कैसे मिलेगा ? रोजगार नहीं मिलेगा तो युवाओं का पलायन कैसे रुकेगा ? पलायन नहीं रुकेगा तो गांव मेें दीया-बत्ती करने वाला कौन रहेगा ? और जब दीया-बत्ती करने वाला कोई नहीं रहेगा, तो खरीदने वाले खरीदेंगे और बेचने वाले बेचेंगे। ये चराचर चलता रहेगा।
देहरादून में जब दैनिक जागरण पहुंचा तो उस वक्त मैंने वहां रहकर खूब जमकर पत्रकारिता की थी। तब हमारे कमरे में पंखा भी नहीं था। जरूरत ही नहीं पड़ती थी। लेकिन आज अंधाधुंध औद्योगिकरण और उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद देहरादून के राजधानी बनने पर विकास के नाम पर जो किचाहिन मचा है, सभी के घरों में पंखा ही नहीं एसी फिट होने लगे हैं। पर्यावरण, पहाड़, नदी, नाले, झील, पोखर सहित अन्य प्राकृतिक संपदाओं के दोहन में हम खुद दोषी हैं। हमें संभलना होगा। चर्चा करना होगा।
वरिष्ठ पत्रकार शिशिर सोनी की एफबी वॉल से.