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सुख-दुख

मुनाफ़े की अंधी हवस ने ली एक और मज़दूर की जान

टप्पूकड़ा (राजस्थान)  की सनबीम कंपनी में सुरक्षा इन्तेज़ामों की अनदेखी के चलते हुई 23 वर्षीय मज़दूर की मौत!

8 मई 2017 की सुबह करीब 5 बजे राजस्थान के टप्पूकड़ा की सनबीम कंपनी में काम करने वाले एक मज़दूर पप्पू की मशीन में दब जाने से मौत हो गयी। पप्पू आजमगढ़ ज़िले का रहने वाला था। सनबीम कंपनी हीरो, हौंडा आदि कंपनियों के दुपहिया वाहनों के लिए पार्ट्स बनाने का काम करती है, जिनका निर्यात भी किया जाता है। पप्पू की मौत हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन में दब जाने से हुई। हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन पर इंजन से जुड़ें पुर्जों का उत्पादन किया जाता है। मुनाफ़ा कमाने और उत्पादन बढ़ाने की अंधी हवस के चलते हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन से सुरक्षा उपकरणों को हटा दिया गया था (सेफ्टी बाईपास), सेंसर्स को ऑफ कर दिया गया था और स्वचालित तंत्र की बजाय पप्पू से हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन जैसी ख़तरनाक मशीन पर मैन्युअल काम करवाया जा रहा था।

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टप्पूकड़ा (राजस्थान)  की सनबीम कंपनी में सुरक्षा इन्तेज़ामों की अनदेखी के चलते हुई 23 वर्षीय मज़दूर की मौत!

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8 मई 2017 की सुबह करीब 5 बजे राजस्थान के टप्पूकड़ा की सनबीम कंपनी में काम करने वाले एक मज़दूर पप्पू की मशीन में दब जाने से मौत हो गयी। पप्पू आजमगढ़ ज़िले का रहने वाला था। सनबीम कंपनी हीरो, हौंडा आदि कंपनियों के दुपहिया वाहनों के लिए पार्ट्स बनाने का काम करती है, जिनका निर्यात भी किया जाता है। पप्पू की मौत हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन में दब जाने से हुई। हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन पर इंजन से जुड़ें पुर्जों का उत्पादन किया जाता है। मुनाफ़ा कमाने और उत्पादन बढ़ाने की अंधी हवस के चलते हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन से सुरक्षा उपकरणों को हटा दिया गया था (सेफ्टी बाईपास), सेंसर्स को ऑफ कर दिया गया था और स्वचालित तंत्र की बजाय पप्पू से हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन जैसी ख़तरनाक मशीन पर मैन्युअल काम करवाया जा रहा था।

पप्पू पिछले एक साल से डिस्पैच में काम कर रहा था। हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन पर काम करने वाले ऑपरेटरों ने कंपनी के सेफ्टी हेड से सुरक्षा के इन्तेज़ामात को दुरुस्त करने और वेतन को बढ़ाने की मांग की थी। जिसके बाद कंपनी ने 15 सालों से काम कर रहे प्रशिक्षित मज़दूरों को काम से निकाल दिया था। उत्पादन की लागत को कम करने के लिए सनबीम कंपनी ने पप्पू जैसे मज़दूरों को जिन्हे हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन जैसी हैवी मशीनरी पर काम करने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था से बिना कोई प्रशिक्षण दिए काम करवाना शुरू कर दिया। एक-दो दिन काम दिखाने के बाद पप्पू को बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम जैसे इमरजेंसी स्टॉप के बारे में बताते हुए मशीन को ऑपरेट करने की ज़िम्मेदारी सौप दी गयी।

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पप्पू को इस मशीन पर काम करते हुए केवल 15 दिन हुए थे। हाई प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन आम तौर पर स्वचिलित यानी आटोमेटिक होती है लेकिन उत्पादन को बढ़ाने के लिए सनबीम की तरह और कंपनियां भी ऐसी मशीनों पर मैन्युअल काम करवाती हैं। फैक्ट्री में काम कर रहे अन्य मज़दूरों ने बताया कि पप्पू ने मशीन की गति को लेकर और उसमे कुछ दिक्कत होने की बात इंजीनियर से की थी लेकिन इंजीनियर ने उसकी बात पर ग़ौर करने की बजाय उसे डांट कर वापिस काम करने को कहा और उसकी शिकायत की अनदेखी कर दी। कंपनी में इंजीनियर और सुरक्षा अध्यक्ष केवल दिन के समय रहते हैं रात को केवल मज़दूरों (जिनको पूरी तरह से प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता) को मशीनों पर काम करने के लिए छोड़ दिया जाता है।

इन्ही सब सुरक्षा के इन्तेज़ामों में लापरवाही, अनदेखी और पूँजीवादी मुनाफ़े की अंधी हवस के चलते 8 मई की सुबह पप्पू को अपनी जान गवानी पड़ी। लेकिन हद तो तब हो गयी जब फैक्ट्री में दुर्घटनाग्रस्त हुए एक मज़दूर को हस्पताल ले जाने की जगह प्रबंधन ने बेहद असंवेदनशीलता दिखाते हुए गार्ड को बुला कर पप्पू को फैक्ट्री से बाहर फिकवा दिया। ताकि बाकी मज़दूरों को इसकी ख़बर न लगे और फॅक्टरी में काम बंद न हो। लेकिन जैसे ही मज़दूरों को इस घटना की ख़बर मिली उन्होंने पुलिस को बुलवाया और पप्पू की लाश को पोस्ट-मोर्टेम के लिए हस्पताल ले जाया गया।

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पप्पू की मौत कोई दुर्घटना नहीं थी बल्कि इस पूँजीवादी व्यवस्था ने उसकी हत्या की है। पप्पू जैसे न जाने कितने मज़दूर हर रोज़ ऑटोमोबाइल सेक्टर के मौत के कारखानों में अपनी जान गवा देते हैं। यह वह गुमनाम मौतें है जिनमें न कातिल का सुराग मिलता है न ही कोई गवाह। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के मज़दूर कार्यकर्ता शाम ने सनबीम के मज़दूरों से इस घटना से सम्बन्ध में बात की। मज़दूरों का कहना है कि उनसे अमानवीय तरीके से काम करवाया जाता है, किसी भी तरह की कोई माँग उठाने पर मज़दूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। न तो उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाता है। पप्पू जिससे सनबीम कंपनी में बतौर ऑपरेटर काम करवाया जा रहा था को सिर्फ 8500 रुपये वेतन के रूप में दिए जातें थे। शाम ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ऐसी घटनाएं एक आम परिघटना बन गयी हैं आये दिन किसी न किसी फैक्ट्री में दुर्घटना बता कर इस व्यवस्था द्वारा की जा रही हत्याओं पर पर्दा डाल दिया जाता हैं। पप्पू की मौत हुई लेकिन फैक्ट्री चलती रही, काम नहीं रुका।

हमारे देश के प्रधान सेवक जो खुद को मज़दूर नंबर 1 कहते हैं उनके शासन में देश के मज़दूरों के हालात बद से बदतर होते जा रहें हैं। पहले से कमज़ोर श्रम कानूनों को संशोधनों द्वारा और लचर बना दिया जा रहा हैं। आये दिन मज़दूरों की मौतें हो रही हैं, जगह जगह मज़दूर अपने हक़ों के लिए आवाज़ उठा रहें हैं, हड़ताल कर रहें हैं। लेकिन ‘मेक इन इण्डिया’ और ‘स्किल इण्डिया’ जैसे लुभानवने जुमलों के पीछे की सच्चाई बेहद भयावह और विकृत हैं। जिन चमचमाती गाड़ियों और गगनचुंबी इमारतों की तस्वीरों को अखबारों में दिखा कर मोदी जी भारत के विकास का दंभ भरते है उसकी नीव में पप्पू जैसे लाखों मज़दूरों के कंकाल दफ़्न हैं। 

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Spokesperson
Automobile Industry Contract Workers Union
9873358124

प्रेस रिलीज

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