चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी सरकारी टीचर जो कि प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया का पत्रकार भी हैं और इस क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखता है, उसे कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर नौकरी से डिसमिस करने और अपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की है।
पंजाब के होशियारपुर जिले के रहने वाले परमिंदर सिंह बरियाणा पिछले 27 सालों से पत्रकारिता के साथ जुड़े हुए हैं. पहले वह पंजाबी मीडिया में काम करते रहे. बाद में इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ भी काम करते रहे और वह इस समय होशियारपुर में दैनिक भास्कर के ब्यूरो चीफ हैं. साथ ही न्यूज 18 पंजाब के लिए अवैतनिक तौर पर काम कर रहे हैं.
2015 में पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी का मामला उठा और पुलिस फायरिंग में दो लोग मारे गए. इस मुद्दे के बलबूते पर कांग्रेस ने पंजाब के लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल कर पंजाब में सरकार बनाई. 2015 में जब यह सारा मामला हुआ तो उस समय पंजाब पुलिस के डीजीपी सुमेध सैनी थे. न्यूज18 चैनल पर 22 फरवरी 2018 को परमिंदर बरियाणा द्वारा लिया गया सुमेध सैनी का एक बेबाक इंटरव्यू प्रसारित हुआ.
पंजाब में आंतकवाद के दौर से विवादित रहे पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी के पूरे करियर का यह पहला और आखिरी इंटरव्यू था. इसमें उन्होंने उस समय का सच पंजाब की जनता के सामने रखा. बताया कि किन हालातों में पंजाब पुलिस को गोली चलानी पड़ी. इंटरव्यू में हुए कई बड़े खुलासों से पंजाब की कांग्रेस सरकार की चौतरफा आलोचना होने लगी.
इस इंटरव्यू के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई. पूरे हालात ही बदल गए. सरकार सैनी का तो कुछ कर न सकी लेकिन इसके चलते वह परमिंदर बरियाणा के पीछे पड़ गई. फिरोजपुर के विधानसभा हलका जीरा से कुलवीर सिंह ने बरियाणा के खिलाफ विधानसभा की विशेष अधिकारी कमेटी के पास एक शिकायत करवा दी कि बरियाणा ने उस इंटरव्यू में विधानसभा के खिलाफ गलत टिप्पणियां की हैं और मर्यादा को ठेस पहुंचाई है.
26 जुलाई 2019 को परमिंदर बरियाणा को पहली बार विधानसभा में विशेष अधिकार कमेटी के पास तलब किया गया. उस दिन मीटिंग तो केंसल थी लेकिन वहां पर विशेष अधिकार कमेटी के सदस्य कांग्रेसी विधायक और मीडिया के हर समय गल पैन वाले अमरिंदर सिंह राजा बडिंग ने विधानसभा में ही परमिंदर बरियाणा को धमकियां दे डाली. कहा कि आगे आगे देखो तुम्हारा बनता क्या है. इसकी शिकायत परमिंदर बरियाणा ने स्पीकर से की और साथ ही उन्हें विशेष अधिकारी कमेटी से भी हटाने की भी मांग की. लेकिन पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह ने इस पर कोई गौर नहीं किया.
अगली तारीख पर परमिंदर बरियाणा ने शिकायत की कापियां और दस्तावेजों की मांग कि जिस पर विधानसभा की सेक्रेटरी शशि लखनपाल मिश्रा ने दो अनसिल्ड सीडी और कुछ स्क्रीन शॉट के दस्तावेज दिए। इस पर परमिंदर बरियाणा ने बार बार कमेटी से मांग की कि इन सीडियों और दस्तावेजों की अथेंटीसिटी साबित करने के लिए शिकायतकर्ता कांग्रेसी विधायक कुलवीर सिंह जीरा से सबमिशन सर्टीफिकेट की मांग की. लेकिन कमेटी वो सर्टीफिकेट दिलवाने की बजाए 17 जनवरी 2020 को विधानसभा के दो दिन के स्पेशल सत्र में रिपोर्ट पेश कर दी.
रिपोर्ट में परमिंदर बरियाणा को विधानसभा की मर्यादा भंग करने का दोषी करार दिया गया. साथ में यह सिफारिश कर दी कि परमिंदर बरियाणा को सरकारी नौकरी से डिसमिस कर दिया जाए और साथ ही उनके खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया जाए. रिपोर्ट में आपराधिक मामले की कोई ग्राउंड नहीं बताई गई. सदन में कांग्रेसी विधायकों ने इन सिफारिशों पर मोहर लगा दी. आधा घंटा इस मामले पर सदन में बहस हुई जिसमें अकाली दल के विधायक और कमेटी के सदस्य डा. सुखविंदर कुमार ने कांग्रेसियां को मुंह तोड़ जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस का प्रेस विरोधी चेहरा नंगा हो गया.
उन्होंने खुलासा किया कि कमेटी में जब भी विरोध करते थे तो उनकी बात को रिकार्ड से गायब किया जाता रहा. अकाली दल के दूसरे सदस्य और विधायक पवन कुमार टीनू ने कहा कि इन्होंने पहले से ही मन बनाया हुआ था कि परमिंदर बरियाणा को ठोकना है. उसने कहा कि परमिंदर बरियाणा से बदला लेने के लिए यह सारी कार्रवाई की गई है. कमेटी में यह भी कहते रहे कि यह सारा कुछ राजनीतिक रंजिश का नतीजा है. रिपोर्ट पास होते ही बिक्रम सिंह मजीठिया की अध्यक्षता में अकाली दल ने सदन से मुंह पर काली पट्टियां बांध कर वाकआउट कर दिया. लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरनजीत सिंह बैंस ने भी वाकआउट किया।
विधानसभा के विशेष सत्र की जब क्वरेज करने पहुंचे हुए पत्रकारों को जब इस बात की जानकारी हुई तो उनमें भी रोष फैल गया और सरकार के फैसले की आलोचना करने लगे. सबने शिकायतकर्त्ता कांग्रेसी विधायक कुलवीर सिंह जीरा की कड़ी निंदा-आलोचना की.
इस प्रकरण पर परमिंदर बरियाणा ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने कोई ऐसी बात नहीं की जिससे सदन की मर्यादा भंग हुई हो. उन्होंने कहा कि उन्होंने तो श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबियों के मुद्दे पर सच सामने लाने की कोशिश की थी. इसकी वजह से उन्हें शिकार बनाया गया. उन्होंने कहा कि इसके पीछे एक मंत्री और 4-5 विधायक साजिश रच रहे थे. बरियाणा ने कहा कि वह झुकने वाले नहीं हैं. आने वाले दिनों में इन कांग्रेसियों के कई खुलासे करेंगे. ये कांग्रेसी उनको सरकारी नौकरी से तो निकलवा सकते हैं लेकिन उनकी कलम को रोक नहीं सकेंगे.