नवेद शिकोह-
कुछ पेशे बहुत रिस्की होते हैं। ऐसे पेशों में आने की ज़िद ज्यादातर बदहाली, मुफलिसी और ज़िन्दगी भर के स्ट्रगल की सज़ा देती है। समझदार अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे पेशों में आने से मना करते हैं। जहां जितना ग्लैमर होता हैं वहां उतनी ही प्रतिस्पर्धा और भीड़ से अलग साबित होने की बेहद मुश्किल चुनौती होती है। खेल, कला और पत्रकारिता क्षेत्र के प्रोफेशनल सफर में आप सरपट दौड़ते रहें, मंजिल पाते रहें, कामयाब होते रहें, टिके रहें-डटे रहें और रोजगार, धन, यश, कीर्ति हासिल करते रहें तो आप बेहद खुशनसीब, भाग्यशाली और एक्स्ट्राऑर्डिनरी टेलेंट के धनी होंगे।
रुपहले पर्दे की बेहद रिस्की फ़ील्ड फिल्म इंडस्ट्री में जिस तरह सदी के नायक अमिताभ बच्चन भाग्य और योग्यता के साथ अब तक ऊंचाइयों पर टिके हैं वैसे ही छोटे से जिले बारांबकी के रहने वाले मोहम्मद नदीम यूपी की पत्रकारिता के क्षेत्र के सुपर लकी पर्सन हैं। इनकी प्रोफेशनल लाइफ में इनके ओहदों और धमाकेदार खबरों के किस्से हर किसी ने सुने होंगे लेकिन इनकी ज़िन्दगी से स्ट्रगल, प्रोफेशनल दुश्वारियों, मुफलिसी और बेरोज़गारी के किस्से ढूंढ पाना मुश्किल है।
दैनिक जागरण के बारे में हमेशा से ही एक धारणा बनी रही। ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारों पर आधारित अखबार है इसलिए इस अखबार में किसी मुसलमान पत्रकार को बड़ा मौका नहीं मिल सकता।
इस गलत धारणा को नदीम साहब ने गलत साबित किया। करीब तीस साल से ज्यादा वक्त तक इस नंबर वन अखबार में लगातार नंबर वन पत्रकार के रूप में जमे रहे। यहां छोड़ा और दूसरे ही दिन देश के बड़े अखबार नवभारत टाइम्स के केंद्रीय कार्यालय में राजनीतिक संपादक हो गये। इस अखबार में दस साल से ज्यादा समय के दौरान ही उन्होंने घर वापसी की, लखनऊ में एनबीटी के संपादक हो गए। रिटायर होने के दिन करीब थे, इस बीच मोहम्मद नदीम को राज्य सूचना आयुक्त बना दिया गया।
नई नस्ल की प्रतिभाएं अमिताभ बच्चन को देखकर एक्टिंग के क्षेत्र में आने के लिए आतुर होती हैं तो पत्रकारिता के पेशे में आने वाले नदीम बनना चाहते हैं। नदीम भाई को नई पारी की पुनः बधाई -शुभकामनाएं।