संदीप कुमार-
बनारस के पत्रकार अमित मौर्या को भ्रष्टाटारियों और सत्ता से पंगेबाजी भारी पड़ती जा रही है। फर्जी रंगदारी ब्लैकमेलिंग के मुकदमे में फँसे अमित मौर्या की जमानत अंततः हाईकोर्ट से ख़ारिज हो गई, जिसका पूर्व में ही अंदेशा हो गया था।
दरअसल अमित मौर्या अपने अखबार में सत्ता की नाकामियों और परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे। पहले तो उनपर दबाव बनाया गया फिर यूपी के एक मंत्री ने मोहरा खड़ाकर अमित मौर्या के खिलाफ गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया, ताकि अमित अर्दब में आ जायें। मगर हुआ इसका उलट अमित मौर्या लगातार भ्रष्टाचार की ख़िलाफ़त करते रहें।
हालांकि, पुलिस के पास गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। क्योंकि जो आरोप लगाये गये थे उनमें कहा गया था कि अमित मौर्या ने मेरे घर आकर धमकी दी, जिसका सीसीटीवी फुटेज है। जबकि उस वक्त अमित मौर्या अपने ऑफिस में थे।
खैर, उसी दरम्यान अक्टूबर 2023 में अमित मौर्या का एक धार्मिक मुद्दे पर अशिष्ट वीडियो वायरल होता है और विरोधियों को मौका मिल जाता है। पुलिस अमित मौर्या को जेल भेज देती है। तमाम दलीलों सबूतों के बावजूद अमित मौर्या की बेल लोअर कोर्ट से खारिज हो जाती है।
जानकार बताते हैं कि बेल न हो इसके लिए शासन-सत्ता के साथ अमित मौर्या के विरोधी जोर-शोर पैरवी कर रहे थे, क्योंकि अमित के बाहर आते ही उनके भ्रष्टाचार की दुकान बंद होने की पूरी संभावना थी। बेल खारिज होते ही अमित मौर्या के परिवार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया पर वहां भी बेल ख़ारिज हो गयी।
लोगों का कहना है कि सत्ता ज्यूडिशियरी के मेल से अमित मौर्या को बेल नहीं मिल पायी। बताया जाता है कि परिवहन विभाग के कुछ सिपाही और अंदरखाने कई परिवहन अधिकारी अमित मौर्या की जमानत न हो इसके लिए पानी की तरह पैसा खर्च कर रहे हैं।