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बांग्लादेश के पत्रकार की पीड़ा पढ़कर एसपी रेलवे सुभाष दुबे हुए सक्रिय

Yashwant Singh : बांग्लादेश के पत्रकार की पीड़ा पढ़कर एसपी रेलवे सुभाष दुबे हुए सक्रिय… मीडिया के ढेरों साथियों ने पड़ोसी देश के पत्रकार साथी संग जताई एकता… तहसीन महमूद भड़ास को दिल से धन्यवाद देते हुए ढाका लौटे…

रोर बांग्ला के असिस्टेंट एडिटर तहसीन महमूद पिछले दिनों ढाका से दिल्ली आए. उनके साथ ढाका विश्वविद्यालय की एक छात्रा भी थी. मथुरा के पास ट्रेन में छात्रा से लूटपाट हुई और जान से मारने की कोशिश की गई. इन लोगों ने मथुरा में रपट तो दर्ज करा दी लेकिन स्थानीय रेलवे पुलिस का रवैया बेहद ढीलाढाला था.

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बांग्लादेश के पत्रकार तहसीन महमूद ने जाने किससे और कैसे मेरा मोबाइल नंबर हासिल कर फोन किया. उनने अपनी आप बीती सुनाई. मैंने उन्हें पूरे प्रकरण को लिखकर मेल करने के लिए कहा.

तहसीन का मेल मिलते ही उनकी पीड़ा को भड़ास में प्रमुखता से प्रकाशित किया. साथ ही सोशल मीडिया एफबी ट्विटर पर भी शेयर किया. इसी दौरान एसपी रेलवे Subhash Dubey जी की नजर संबंधित पोस्ट / खबर पर पड़ी.

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एसपी रेलवे सुभाष दुबे

आईपीएस सुभाष चंद्र दुबे के अधीन मथुरा जिला नहीं आता फिर भी उन्होंने विदेशी पत्रकार के साथ हुई घटना की गंभीरता और उस पत्रकार की पीड़ा को महसूसते हुए फौरन मथुरा के पुलिस अफसरों को फोन लगाया.

आईपीएस सुभाष चंद्र दुबे की सक्रियता के बाद मथुरा की रेलवे पुलिस हरकत में आई. दुबे जी ने मुझे फोन कर तहसीन का मोबाइल नंबर लिया. उन्होंने तहसीन तहसीन महमूद को हर हाल में न्याय मिलने के लिए आश्वस्त किया है और किसी भी किस्म की चिंता न करने को कहा है.

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उधर, भड़ास पर खबर छपने के बाद दिल्ली के कई पत्रकारों ने तहसीन से संपर्क साधा और दुखद घटना के प्रति चिंता जताई. दिल्ली के पत्रकारों ने पड़ोसी देश के साथी पत्रकार संग एकजुटता जताते हुए उनकी पीड़ा को प्रकाशित-प्रसारित किया.

इन सब प्रयासों-दिलासों से तनसीन महमूद और उनके साथ आई छात्रा को काफी संबल मिला और सहज हो सके.

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बांग्लादेश लौटते हुए तहसीन महमूद ने फोन कर मुझे और भड़ास को त्वरित व संपूर्ण सहयोग के लिए दिल से धन्यवाद दिया.

मेरे जैसे शख्स को और क्या चाहिए.. किसी का भला हो जाए, भय-पीड़ा मिट जाए,  न्याय मिल जाए, दिल से थैंक्यू बोल दे…मेरे लिए इसकी कीमत मिलियन डालर्स से भी ज्यादा है….

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जैजै

भड़ास के एडिटर यशवंत की एफबी वॉल से.

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मूल खबर…

बांग्लादेश के पत्रकार तहसीन महमूद को दिल्ली की मीडिया से मदद की दरकार, पढ़ें ट्रेन में क्या हुआ

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