मनीष पांडेय-
आदरणीय यशवंत सर, आपके भड़ास पर जो आर्टिकल लिखा है वो मैने पढ़ा। मैने एफ आई आर किसी व्यक्ति के ऊपर नही कराई थी और न मैं भाजपाई या सपाई या किसी पार्टी के समर्थन में कुछ लिखता हूं। पत्रकार होने के नाते मैने एफ आई आर बेहद गाली गलौज वाली भाषा और धमकियों के लिए कराई है। यह सपा का अधिकारिक ब्लूटिक वाला हैंडल था उस हैंडल को कौन चला रहा था यह देखना तो पुलिस का काम है जिसने भी भड़ास पर रिपोर्ट भेजी है उसने उस गाली गलौज अभद्र भाषा धमकी पर कुछ नहीं लिखा और मुझे भाजपाई पत्रकार घोषित कर दिया।
सिर्फ स्क्रीन शॉट मेरे ट्विटर हैंडल के लगाए गए है और सपा के उस ऑफिशियल ब्लू टिक वाले ट्विटर हैंडल के शॉट भी लगे हैं पर कही इस बात का जिक्र नहीं है की उनके द्वारा जिस भाषा का प्रयोग किया गया था वो सही था अथवा गलत है । बिना पूरी बात लिखे मुझे भाजपाई पत्रकार घोषित कर दिया गया जिसकी मुझे तकलीफ है।
रोज न जानें कितने भ्रष्टाचार के मामले मैं उजागर करता हू जिसपर समय समय पर सरकार करवाई भी करती रही है। इसलिए मुझे सत्ता संरक्षित पत्रकार घोषित किए जाने पर मुझे आपत्ति हैं।
मेने एफ आई आर इसलिए करवाई थी की अगर किसी पार्टी ब्लू टिक एकाउंट से आज अगर मुझे गाली दी जा रही है और अगर मैं चुप रहा तो कल और पत्रकारों को भी गाली दी जाएगी । मुझे ये पता भी नही की उस ट्विटर हैंडल को कौन ऑपरेट कर रहा है।
मूल खबर-
भाजपाई पत्रकार के इशारे पर लखनऊ पुलिस ने सपाई पत्रकार को चुपचाप उठाया और भेज दिया जेल!