अरविंद सिंह
राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार
आजमगढ़
राज्य मुख्यालय पर चुनाव कोई भी जीते लेकिन पत्रकारिता की हार नहीं होनी चाहिए.. इसका ख्या़ल जरूर करें.. देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश. उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय (लखनऊ) पर मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों के संगठन “उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति” का चुनाव लगता है अब 21 मार्च को होई जाएगा.
बीते समय में जिस तरह से चुनाव की तिथियाँ टल रही थीं(या टाली जा रही थीं) उसको देखते हुए इसबार की तिथि पर भी चुनाव संपन्न हो जाना संशय भरा हुआ था. लेकिन लगता है अब लगभग सभी गुट इस तिथि पर चुनाव के लिए तैयार हो गयें हैं.
लगभग 850 की संख्या में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की टीम इस पूरे चुनावी प्रक्रिया में प्रतिभाग करेगी. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष, सहित अनेक पदों के लिए चुनावी मैदान में दिग्गज कमर कस लिए हैं. इस बार का चुनाव बड़ा दिलचस्प होने वाला है, मेरे पास भी अनेक बड़े और स्थापित पत्रकारों के फोन आये.
कुछ प्रत्याशियों का सीधे वोट के लिए फोन आया. लोकतंत्र में यह आवश्यक भी है, लेकिन सवाल यह है कि इस चुनाव में प्रतिभाग करने वाले प्रत्याशी पत्रकारों से यह सवाल भी होने चाहिए कि-‘आप हमसे वोट किस मुद्दे पर चाहते हैं. पत्रकार हित में आप की भावी योजना क्या है. आप ने क्या किया है. उसका भी तो उल्लेख करें. आप ने पद पर रहते हुए पत्रकारों के हीत में क्या महत्वपूर्ण कार्य/ निर्णय लिया है. नैतिकता के आधार पर उन्हें अपने अपने मुद्दों को बताना ही चाहिए. आप औरों से बेहतर कैसे हैं यह बताने की जिम्मेदारी तो प्रत्याशी और उनके समर्थकों की है’.
फिलहाल मेरा तो विचार यह है कि चुनिए उसे जो सत्ता की आंख में आंख डालकर यह पूछ सके कि पत्रकारों के लिए क्या योजनाएं हैं? पत्रकार और उसके आश्रितों के लिए आप क्या कर रहे हैं? लोकतंत्र के इस चतुर्थ प्रहरी की, हर प्रकार की सुरक्षा के लिए सरकार क्या इंतजाम कर रही है? प्रेस की आज़ादी और पत्रकारों की सुरक्षा एक लोक कल्याणकारी सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है, इससे कोई भी व्यवस्था भाग नहीं सकती है, यह सवाल भी पूछने का तेवर और कलेवर होने चाहिए, चुनी हुई कमेटी/ समिति के पास. अगर आप के पास ये मुद्दे और योजनाएं हैं तो हमारा पहला वोट आप के नाम… चुनाव कोई भी जीते लेकिन पत्रकारिता को नहीं हारनी चाहिए.