दिल्ली। पत्रकारिता में पूंजी और तकनीक के प्रयोग से उसकी लोकप्रियता बढ़ी है। इसके साथ ही पत्रकारिता में विश्वसनीयता की कमी भी आई है, जो चिंता का विषय है। यह बात वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुवर्दी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने कही। श्री मिश्र विश्वविद्यालय की ओर से 17 दिसंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन में बोल रहे थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केवल भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में सच बोलने की प्रवृत्ति में कमी आई है। पूरी दुनिया का मीडिया जमीनी हकीकत से कटता जा रहा है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि विश्वविद्यालय आगामी शिक्षण सत्र से बीसीए की परीक्षा ऑनलाइन कराएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने एकमात्र भारतीय संचार मॉडल ‘भरतमुनि मॉडल‘ के नाम से विकसित किया है। इस मॉडल पर पूरे दुनिया में 47 लोग शोध कर रहे हैं। साथ ही विश्वविद्यालय संचार, पत्रकारिता एवं भारतीय भाषाओं से जुडे 17 विषयों पर शोध कार्य चल रहा है। आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय भाषा व संस्कृति से जुड़े दो अध्ययन केन्द्र स्थापित करेगा। श्री कुठियाला ने पूर्व विद्यार्थियों को शोध कार्य व पुस्तक लेखन के लिए आमंत्रित किया।
देश के एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक में एसोसिएट एडिटर और विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र श्री श्यामलाल यादव ने कहा कि आज पत्रकारिता में सत्य को संक्षिप्तता के साथ प्रस्तुत करने का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पत्रकारिता के नए आयामों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि नवमाध्यमों ने पत्रकारिता के छात्रों के लिए नए मार्ग प्रश्स्त किए है। सम्मेलन में विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों के अलावा विवि के मौजूदा छात्रों ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर पूर्व छात्रों ने अपने कैरियर के अनुभवों को साझा किया। पूर्व विद्यार्थियों में नवदुनिया के समूह संपादक आनंद पाण्डेय, डीडी न्यूज के न्यूज एडीटर प्रकाश पंत, वरिष्ट खेल पत्रकार व ‘सचिन के सौ शतक‘ पुस्तक के लेखक धर्मेन्द्र मोहन पंत, बीबीसी रेडियो में वरिष्ठ पत्रकार शेफाली चतुर्वेदी, अनिल निगम, एनजीओ कर्मी देवाशीष मिश्र, रेडियो जॉकी आशुतोष ओझा, इंडिया न्यूज के एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर वैभव वर्द्धन द्विवेदी, न्यूज नेशन के एसोसिएट एडीटर पशुपति के साथ-साथ अन्य नाम उल्लेखनीय रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय से प्रकाशित पुस्तक ‘रजत प्रसंग’ और शोध पत्रिका ‘समागम’ के विश्वविद्यालय पर केंद्रित अंक का विमोचन किया गया। रजत प्रसंग पूर्व विद्यार्थियों के अनुभव का संग्रह है। इस अवसर पर वरिष्ठ मीडिया शिक्षणकर्मी रामजी त्रिपाठी, प्रो नंदकिशोर त्रिखा, देश के जाने माने शोध शिक्षक डॉ बीएस नागी, प्रो राखी त्रिपाठी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।