ये खबर तानाशाही का सुबूत है-
संजय कुमार सिंह-
टाइम्स ऑफ इंडिया ने आज मन की बात के 100वें एपिसोड की खबर को लीड बनाया है और बताया है कि प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके जरिये उन्होंने खाली जगह भरी और लोगों को जुड़ने का एक तरीका दिया। बेशक, उन्होंने कहा है तो दिया होगा लेकिन यह उसी सरकार के बारे में है जो तमाम मौकों पर चुप रह जाती है। कई सवालों का कोई जवाब नहीं है कई मामलों में स्पष्टीकरण नहीं है और लोग व्हाट्सऐप्प के बकवास को अधिकृत बयान मानने के लिए मजबूर हैं या उसी तरह पेश कर रहे हैं।
यह सब तब है जब पहले की सरकारों में पत्र का जवाब जरूर आता था। यहां तक कि शादी के निमंत्रण का भी। आम पत्रकारों ने अगर निमंत्रण भेजा तो यह जवाब जरूर आता था कि मंत्री जी दूसरी व्यस्तताओं की वजह से नहीं आ सकेंगे। अब तो सरकारी काम से भी चिट्ठी लिखिये तो पावती तक नहीं आई (पुरानी बात है, अब मैंने तो नहीं लिखी कोई चिट्ठी)। पहले यह जरूर बताया जाता था कि आपका पत्र संबंधित विभाग को भेज दिया गया है। कितने ही मामले हैं जब पता चला कि शिकायत की थी पर कोई जवाब नहीं आया। ऐसे में प्रधानमंत्री जिस खाली जगह को भरने की बात कर रहे हैं वह उन्हीं का बनाया हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा है और अखबार ने लिखा है कि यह सिर्फ रेडियो कार्यक्रम नहीं है आध्यात्मिक यात्रा है। खबर के साथ एक बॉक्स है, इसके अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा है, 2014 में दिल्ली आने के बाद, यहां जीवन बहुत अलग था ….. एक खालीपन था। देश वासी जो मेरे सब कुछ हैं …. मैं उनसे अलग नहीं रह सकता था। मन की बात ने मुझे इस चुनौती का एक समाधान दिया। आम आदमी से जुड़ने का एक तरीका। इसमें कहा नहीं गया है पर सच यह भी है कि प्रेस कांफ्रेंस करते होते तो लोगों को अधिकृत सूचनाएं मिलती सरकार और प्रशासन से संबंधित सवालों के जवाब मिलते। पर उन्होंने इतने समय में एक प्रेस कांफ्रेंस नहीं की और देशवासियों से जुड़ने का नया तरीका निकाला।