लखनऊ : खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ दायर परिवाद में लोकायुक्त जस्टिस एन के मल्होत्रा ने 17 मार्च 2015 को शिकायतकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर को विभिन्न बिन्दुओं पर आपत्ति भेजते हुए 27 मार्च तक जवाब देने को कहा था. इनमें विशेषकर शपथपत्र पर परिवाद देने और परिवाद को सीपीसी के अनुसार सत्यापित करने के निर्देश शामिल थे. डॉ ठाकुर ने इस सम्बन्ध में सभी आपत्तियों का निस्तारण करते हुए अपना शपथपत्र कल ही प्रस्तुत कर दिया. उसमें उन्होंने प्रकरण में व्यापक जनहित में अवैध खनन से लूट-खसोट पर रोक के लिए शीघ्र जांच सम्पादित करने का अनुरोध किया है. साथ ही अमेठी निवासी महेंद्र कुमार से प्राप्त प्रजापति के वर्ष 2012 में मंत्री बनने के बाद उनके नाम पर अर्जित 74 कथित संपत्तियों की सूची भी सौंप दी है. पढ़िए लोकायुक्त को भेजा गया पत्र….
सेवा में,
मा० लोकयुक्त महोदय,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- परिवाद संख्या 3540-2014 (डॉ नूतन ठाकुर बनाम श्री गायत्री प्रसाद प्रजापति) विषयक
महोदय,
कृपया उपरोक्त परिवाद में महोदय के पत्र कार्यालय के दिनांक 17 / 03 / 2015 का सन्दर्भ ग्रहण करें जिसके साथ महोदय द्वारा निर्देशित टिप्पणियों में मेरे मूल परिवाद दिनांक 26 / 12 / 2014 सहित तमाम अनुपूरक परिवाद/पत्र के सम्बन्ध में विभिन्न त्रुटियों/कमियों का निराकरण करते हुए दिनांक 27 / 03 / 2015 तक प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए थे.
इस टिप्पणी के सम्बन्ध में प्रस्तरवार स्थिति निम्नवत है-
प्रस्तर 1- परिवाद के कॉलम 6 में यह परिवाद मूल रूप से श्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के सम्बन्ध में है. मैंने परिवाद में उनके अतिरिक्त खनिकर्म और भूतत्व निदेशक तथा अन्य सम्बंधित अधिकारी का उल्लेख किया था. परिवाद के समय से आज तक भूतत्व और खनिकर्म निदेशक श्री भास्कर उपाध्याय हैं. अतः यह परिवाद श्री प्रजापति और श्री उपाध्याय के विरुद्ध है. साथ ही जैसा मैंने मूल परिवाद में अंकित किया था, यह परिवाद उन सभी सम्बंधित विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध है जिनकी अन्वेषण के दौरान अवैध खनन में संलिप्तता महोदय द्वारा पायी जाती है.
प्रस्तर 2- सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश 21 नियम 8 मा० न्यायालयों द्वारा आदेशों का अनुपालन कराने और आदेश 21 नियम 9 मा० उच्च न्यायलय द्वारा आदेशों का अनुपालन कराने विषयक हैं, जो मौजूदा सन्दर्भ से जुड़ा नहीं जान पड़ता है. कृपया इस सम्बन्ध में अग्रिम निर्देश देने की कृपा करें.
प्रस्तर 3- परिवाद, उसके पश्चात् प्रस्तुत विभिन्न अनुपूरक शिकायती पत्र तथा वर्तमान पत्र का सत्यापन सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 6 नियम 15 के अनुसार करते हुए महोदय के सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है.
प्रस्तर 4- विभिन्न समाचारपत्रों में मा० लोकायुक्त कार्यालय से हवाले से प्रकाशित खबरों से यह ज्ञात हुआ है कि मेरे परिवाद में अंकित तथ्यों के सम्बन्ध में महोदय द्वारा समय-समय पर तमाम लोगों को तलब कर उनके लिखित बयान अंकित किये गए हैं. जितना मैंने समाचारपत्रों में महोदय के हवाले अथवा महोदय के सन्दर्भों से लोगों को बुला कर उनका बयान अंकित करने और उनके दिए गए अभिकथानों के सम्बन्ध में पढ़ा है और व्यक्तिगत रूप से ज्ञात किया है, उसके बाद वर्तमान में मेरे पास इनके अलावा अन्य कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे मैं महोदय के सम्मुख प्रस्तुत करूँ.
प्रस्तर 5- मैंने अपने मूल परिवाद में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि मेरे पास श्री प्रजापति की संपत्ति विषयक कोई तथ्य अलग से नहीं हैं. मैंने परिवाद में निवेदन किया था कि मुझे विभिन्न सूत्रों से ज्ञात जानकारी के अनुसार श्री प्रजापति ने जो भी अवैध संपत्ति अर्जित की है, वह मूल रूप से अवैध खनन से जुडी है. मैंने समय-समय पर श्री प्रजापति तथा उनके निकट परिजनों/सहयोगियों के नाम अर्जित संपत्ति सम्बन्धी कई विवरण प्रस्तुत किये हैं. महोदय के आदेश दिनांक 17/03/2015 के बाद मुझे श्री प्रजापति की संपत्ति के सम्बन्ध में कई तथ्य प्राप्त हुए हैं जो मैं इस अनुपूरक पत्र के साथ प्रस्तुत कर रही हूँ. साथ ही यह कहना चाहूंगी कि मुझे ये तथ्य मेरे सूत्रों से ज्ञात हुए हैं और मुझे यह भी बताया गया है कि उपरोक्त सभी संपत्ति का विवरण श्री महेंद्र कुमार पुत्र श्री सुर्यवली निवासी महमूदपुर पोस्ट बेनीपुर जिला अमेठी द्वारा महोदय के सम्मुख परिवाद में भी प्रस्तुत किये जा चुके हैं. अतः मैं निवेदन करुँगी कि मेरे पास श्री प्रजापति की संपत्ति विषयक जो भी जानकारी थी और जिस हद तक उनका विवरण प्राप्त था वह मैंने अलग-अलग समय में परिवाद और अनुपूरक पत्रों तथा इस पत्र द्वारा महोदय को प्रस्तुत कर दिया है और मेरे पास इसके अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी नहीं है.
प्रस्तर 6- जैसा मैंने ऊपर निवेदन किया है, मेरे पास श्री प्रजापति, उनके परिवार, परिजनों और सहयोगी की सम्पत्ति के सम्बन्ध में जो भी जानकारी और विवरण थे वह मैंने मूल परिवाद और इस अनुपूरक परिवाद सहित विभिन्न अनुपूरक परिवाद में प्रस्तुत कर दिया है, मेरे पास इनके अतिरिक्त अन्य कोई भी साक्ष्य या तथ्य वर्तमान में नहीं हैं.
प्रस्तर 7- जैसा मैंने पूर्व में अवगत कराया है मैं अब तक प्रस्तुत समस्त पत्रों को विधिवत सत्यापित करते हुए उनके सम्बन्ध में शपथपत्र प्रस्तुत कर रही हूँ. साथ ही यह भी निवेदन है कि मेरे पास जो भी साक्ष्य थे वे मैंने समय-समय पर आपको प्रस्तुत कर दिया है. समाचारपत्रों में महोदय के तथा मा० लोकायुक्त कार्यालय के सन्दर्भों से प्रकाशित खबरों के अनुसार महोदय ने इनमे से कई बातों को स्वयं सत्यापित कर लिया है, कई अभिलेख महोदय को विभिन्न आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त हो गए हैं और महोदय ने अनेकों आधिकारिक और निजी व्यक्तियों को तलब कर उनका परीक्षण करते हुए उनके अभिकथन अंकित कर लिए हैं. स्वयं मेरे द्वारा उल्लिखित श्री रोहित त्रिपाठी, श्री मुकेश मिश्रा, पत्रकार श्री विवेक कुमार पाण्डेय आदि के अभिकथन महोदय ने अंकित किये हैं और कई आरोपित अधिकारी यथा श्री रामनाथ, श्री राजकुमार संगम आदि के भी बयान महोदय द्वारा अंकित किये गए हैं. श्री विवेक पाण्डेय ने मुझे बताया है कि उन्होंने कुछ अत्यंत ही विस्फोटक तथ्यों वाले कुछ सीडी भी महोदय को उपलब्ध कराये हैं जिनमें कुछ अधिकारियों द्वारा श्री प्रजापति की अवैध खनन में संलिप्तता की बात कही जा रही है. निवेदन करुँगी कि पूर्व प्रस्तुत साक्ष्यों और तथ्यों के अतिरिक्त मेरे पास अन्य कोई भी साक्ष्य/अभिलेख नहीं हैं और मैंने ये समस्त साक्ष्य/तथ्य अत्यंत विस्तार में अपने विभिन्न पत्रों के माध्यम से महोदय को प्रस्तुत कर दिया है. यह भी निवेदन करुँगी कि कतिपय तथ्यों की जानकारी मुझे सम्बंधित व्यक्तियों ने गोपनीयता की शर्त पर दी थी और मैं इस से आबद्ध हो कर उन व्यक्तियों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकती हूँ.
प्रस्तर 8- पूर्व प्रस्तर के क्रम में पुनः निवेदन करुँगी कि मैंने अपने पास उपलब्ध समस्त तथ्य/साक्ष्य पूर्व में प्रस्तुत कर दिए हैं और कुछ लोगों के नाम मैं सार्वजनिक नहीं कर रही क्योंकि उन्होंने गोपनीयता की शर्त पर ये सूचनाएँ दी थीं और तदनुसार मेरा यह दायित्व है कि मैं इस शर्त का निर्वहन करूँ. जहां तक सुरक्षा और वीवीआईपी गेस्ट हाउस का प्रयोग करने की बात है, स्वयं महोदय ने मुझे मांगे जाने पर इसके सम्बन्ध में उन्हें प्राप्त अभिलेख उपलब्ध कराये हैं.
प्रस्तर 9- पुनः सादर अवगत कराना चाहूंगी कि मैं मूल परिवाद सहित समस्त अनुपूरक पत्र और इस अनुपूरक पत्र को विधिवत सत्यापित करते हुए शपथपत्र प्रस्तुत कर रही हूँ और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 21 नियम 8 और 9 के पालन के सम्बन्ध में संभ्रम की स्थिति होने के नाते उस पर कार्यवाही नहीं कर पा रही हूँ. साथ ही यह भी निवेदन करुँगी कि जैसा मैंने ऊपर निवेदन किया, मैंने अपने पास प्राप्त समस्त तथ्य/साक्ष्य महोदय को प्रस्तुत कर दिए हैं. कुछ नाम सार्वजनिक नहीं कर सकती जैसा मैंने ऊपर उल्लेख किया है. इसी प्रकार कुंवर ए पी सिंह, अधिवक्ता जैसे लोगों के शपथपत्र नहीं दे सकती क्योंकि इन लोगों ने स्वतः-उद्भूत प्रेरणा से ये तथ्य संभवतः छद्म नाम से पोस्ट से प्रेषित किये हैं, जैसा मैंने अपने अनुपूरक पत्रों में उल्लेख भी किया है, और मेरे परिचित नहीं हैं. यह भी निवेदन करुँगी कि मेरा परिवाद श्री प्रजापति, श्री उपाध्याय तथा अन्य लोक-सेवकों के सम्बन्ध में है, श्री पिंटू सिंह, श्री पिंटू यादव, श्री विकास वर्मा के विरुद्ध नहीं. इन लोगों का नाम और इनसे सम्बंधित सूचना मात्र श्री प्रजापति की जांच के परिप्रेक्ष्य में सहयोगी के रूप में उनकी संभावित भूमिका के रूप में प्रस्तुत किये गए हैं.
प्रस्तर 10- पांचवे अनुपूरक शपथपत्र को भी नियमानुसार सत्यापित कर प्रस्तुत कर रही हूँ. श्री सत्येन्द्र सिंह मेरे व्यक्तिगत परिचित नहीं हैं और मेरे कहने पर शपथपत्र नहीं देंगे. महोदय के पास अधिनियम में अन्वेषण हेतु समस्त शक्तियां धारित हैं. निवेदन करुँगी कि उनका प्रयोग करते हुए श्री सत्येन्द्र सिंह तथा/अथवा समस्त नामित लोगों को बुलाने और उनका अभिकथन अंकित करने की कृपा करें. यह भी निवेदन करना है कि मैंने मा० उच्चतम न्यायालय के निर्णय की जांच की बात कदापि नहीं कही है बल्कि उस निर्णय के आलोक में आरोपित व्यक्तियों द्वारा किये गए बाधी अवधि के बाद पट्टा विस्तार के कथित अनुचित कार्यों के सम्बन्ध में जांच करने का निवेदन किया है, जो निश्चित रूप से महोदय के अधिकार में आता है.
अंत में मैं यह सादर अनुरोध करुँगी कि जैसा मैंने अपने मूल परिवाद में पूरी तरह स्पष्ट कर दिया था, मैंने यह परिवाद व्यक्तिगत रूप से प्रभावित व्यक्ति के रूप में नहीं प्रस्तुत किया था. न तो मेरी श्री प्रजापति अथवा किसी खनन अधिकारी से कोई शत्रुता या नाराजगी है और न ही मेरे परिवार में किसी का भी खनन का कारोबार है. मैंने यह परिवाद मात्र व्यापक लोकहित में प्रदेश के प्राकृतिक सम्पदा के भारी लूट-खसोट को रोकने के अपने सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन करने को दिया था. मैंने अपने परिवाद में यह बातें स्पष्ट रूप से अंकित भी की थीं.
कृपया इस तथ्य पर भी दृष्टि डालने की कृपा करें कि मैंने यह परिवाद उस समय दायर किया था जब प्रतापगढ़ जनपद के श्री ओम शंकर द्विवेदी ने शिकायत दर्ज करने के बाद अपने कदम खींच लिए थे. मैंने अपने परिवाद में यह भी स्पष्ट किया था कि श्री प्रजापति की संपत्ति की मुझे विस्तृत जानकारी नहीं है, पर श्री प्रजापति के भ्रष्ट आचरण की जो भी बातें कहीं जा रही हैं वह मूलतः अवैध खनन से जुडी हुई हैं और मैं उस विषय पर अपनी जानकारी के तमाम तथ्य प्रस्तुत करुँगी.
अतः मेरे द्वारा यह परिवाद मात्र जनहित में प्रस्तुत किया गया. परिवाद के मध्य तमाम लोगों ने प्रत्यक्ष/परोक्ष रूप से मुझे सूचनाएँ उपलब्ध करायीं जिन्हें मैंने महोदय के सम्मुख रखा. अब मुझे श्री प्रजापति और उनके सहयोगियों की कथित परिसंपत्ति विषयक एक नयी सूचना प्राप्त हुई है जिसे मैं प्रस्तुत कर रही हूँ. यद्यपि संभवतः यह तथ्य श्री महेंद्र कुमार के परिवाद के साथ महोदय के सम्मुख प्रस्तुत किया जा चुका है.
वर्तमान में मेरे पास इसके अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य/तथ्य नहीं हैं. मेरे द्वारा नामित जो लोग मेरे कहने पर गवाही दे सकते थे वे अपना अभिकथन प्रस्तुत कर चुके हैं जिनमे श्री मुकेश कुमार मिश्रा, श्री रोहित त्रिपाठी और श्री विवेक कुमार पाण्डेय सम्मिलित हैं. अन्य लोग मेरे कहने पर न तो अभिकथन दर्ज करायेंगे और न ही शपथपत्र देंगे. महोदय के पास अधिनियम की धारा *11* (साक्ष्य) के अंतर्गत उपधारा एक से छः में किसी भी लोकसेवक या किसी अन्य व्यक्ति से सूचना तथा दस्तावेज़ प्राप्त करने के अत्यंत ही विस्तृत और वृहद् अधिकार हैं.
सादर अनुरोध करुँगी कि उन विधिप्रदत्त अधिकारों का सम्यक प्रयोग करते हुए इस अत्यंत महत्वपूर्ण और गंभीर जांच को उसके गंतव्य तक पहुँचाने की कृपा करें क्योंकि यह प्रकरण अत्यंत ही संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा है और पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से हो रहे अवैध खनन से जुड़ा है जिनके सम्बन्ध में इस परिवाद के अन्वेषण के दौरान महोदय को कई महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त भी हो चुके हैं.
दिनांक- 25/03/2015
पत्र संख्या-NT/Complaint/40
भवदीया,
(डॉ नूतन ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34525
[email protected]