यशवन्त सिंह-
भाई प्रसून शुक्ला जी किसान नेता राकेश टिकैत का इंटरव्यू क्या करने चले गए, वहां से शूट कम्प्लीट कर लौटे तो संग संग कोरोना भी कदमताल करते चला आया। इस बिन बुलाए मेहमान के साथ अनचाही जुगलबंदी के साइड इफ़ेक्ट्स फौरन दिखने ही थे। दृश्य-अदृश्य के बेमेल गठबंधन के नतीजे प्रकट होने लगे। तबियत बिगड़ती महसूस हुई तो प्रसून जी ने कई तरह के परीक्षण करा डाले। विशेषज्ञों ने सभी नतीजे पॉजिटिव बताए।
आशंकाएं सच साबित होते ही कई तरह के भयों ने आगोश में ले लिया। उनने सारे आगे के तय कामकाज स्थगित कर दिए। डॉक्टरों की निगरानी में सभी किस्म के ट्रीटमेंट शुरू करते हुए घरबन्दी में जा चुके हैं। उम्मीद करते हैं जल्द ही वह कोरोना को मात देकर फिर से पहले की तरह एक्टिव हो जाएंगे और कोरोना योद्धा बन हम सबके लिए प्रेरणास्रोत साबित होंगे।
कई न्यूज़ चैनलों को हेड कर चुके प्रसून शुक्ला काफी वक्त से एक एप्प बेस्ड न्यूज़ स्टार्टअप लोकलवोकल न्यूज के एडिटर इन चीफ हैं। वे कोरोना काल शुरू होने के समय से ही मिलने जुलने व बाहर निकलने में काफी एहतियात बरत रहे थे। लेकिन एक मनहूस वक्त में भीड़ का हिस्सा बन एक इंटरव्यू करने का निर्णय लेना भारी पड़ गया।
कर्म पथ पर चलते चले जाने के दौरान कई दफे अमृत की बजाय विष को भी सहज भाव से कुबूल करना पड़ता है। कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए अब कम से कम पंद्रह दिन तन्हाई वाला कैदी जीवन जीना पड़ेगा।
सभी पत्रकार साथियों और परिचितों-शुभचिंतकों से निवेदन है कि अपनी रक्षा खुद करें। सतर्क रहें। सरकारें हम सबको अब अपने भाग्य पर छोड़ चुकी हैं इसलिए अब स्व-अनुशासन ज्यादा जरूरी है। मैं खुद भी सहज भाव से घुमक्कड़ी और विचरण करता रहता हूँ। लेकिन अब लग रहा कि खुद पर संयम रखना, सावधान रहना ज्यादा जरूरी है। भीड़ का हस्सा बन रहे साथियों से विशेष प्रार्थना है कि वे पूरी तैयारी के साथ ही विचरण करें।