पत्रकार प्रिया रमानी को मानहानि मामले में कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट 26 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
हाइकोर्ट ने अकबर द्वारा दायर की गई याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन्होने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है.
बता दें पत्रकार रमानी द्वारा एम जे अकबर पर साल 2018 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिसके बाद अकबर ने उनपर आपराधिक मानहानी का केस किया था. इसी मामले में निचली अदालत ने पत्रकार को बरी कर दिया.
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की कोर्ट ने अकबर की अपील को 26 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
अकबर ने अपनी याचिका में कहा है कि, ‘वह एक वरिष्ठ नागरिक और वरिष्ठ पत्रकार हैं. उन्होंने कहा कि अपील दायर हुए 2 साल बीत चुके हैं. अकबर ने अदालत से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया.’ अकबर ने यह अपील साल 2022 में दायर की थी जिसे अदालत ने उचित समय सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था.
मामले में एम जे अकबर का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि, ‘निचली अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले में मानहानि का निष्कर्ष उनके मुवक्किल के पक्ष था.’
वहीं रमानी की तरफ से पेस वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलील में कहा कि, ‘अपील की शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन में उल्लिखित एकमात्र आधार यह है कि अकबर अब भी 2018 में हुई कथित मानहानि से व्यथित हैं. जिसके लिए रमानी पहले ही मुकदमे का सामना कर चुकी हैं और निचली अदालत ने उन्हें बरी कर दिया है.’
साल 2018 में मीटू आंदोलन के समय रमानी ने अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. जिसके बाद अकबर ने 15 अक्टूबर, 2018 को रमानी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में अकबर ने कहा था कि रमानी दशकों पहले यौन दुर्व्यहार का आरोप लगाकर उन्हें बदनाम कर रही हैं. इसके बाद अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.