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सियासत

प्रियंका के अब फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा!

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। इसमें अमेठी और रायबरेली भी शामिल हैं। अमेठी से तो पहले ही से राहुल गांधी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था,लेकिन संशय रायबरेली से सोनिया गांधी के चुनाव लड़ने को लेकर था। सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं। अक्सर वह विदेश इलाज कराने जाती रहती हैं। बीमारी के चलते सोनिया गांधी अपने संसदीय क्षेत्र में भी नहीं के बराबर दिखाई देती थीं। इस सीट पर सोनिया 1999 से जीतती आ रही हैं। रायबरेली से सोनिया गांधी के चुनाव नहीं लड़ने की जो अटकले लग रही थीं उसकी वजह उनके देश के कुछ हिस्सों में कार्यक्रम रद्द होने से जोड़कर देखा जा रहा था। बीमार होने के कारण 72 वर्षीय नेता को वर्ष 2016 में वाराणसी में रोड शो को रद्द करना पड़ा था। मई 2018 में वह बेटे तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ अपने वार्षिक मेडिकल चेकअप के लिए विदेश भी गई थीं।

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सोनिया की बीमारी पहली बार 2011 में चर्चा में आई थी। बात चार अगस्त 2011 की है। इस दिन विदेश मीडिया बीबीसी और फ्रेंच न्यूज एजेंसी एएफपी ने एक खबर ब्रेक की। इसके बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से जनता के नाम एक छोटा-सा पैगाम आया-सोनिया गांधी एक मेडिकल इमरजेंसी की वजह से सर्जरी के लिए विदेश गई हैं। कुछ दिनों बाद आठ अगस्त को एक कांग्रेस की तरफ से एक और बयान आया कि सोनिया जी की सर्जरी सफल रही है और सोनिया जी कुछ हफ्तों में भारत लौट आएंगीं। इसके अलावा न परिवार कुछ बोला, न पार्टी और न मीडिया ही आत्मविश्वास के साथ ज्यादा कुछ बोल पाया।

इसी के बाद कयासों का दौर शुरू हो गया कि वे न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में हैं। यह अस्पताल कैंसर के इलाज के लिए मशहूर है। खबरें आईं कि वे पिछले आठ महीने से जानलेवा बीमारी के चलते बार-बार विदेश जा रहीं थीं। यहां तक कहा गया कि सोनिया के ऑपरेशन का सारा बंदोबस्त सोनिया गांधी के पुराने विश्वासपात्र पुलक चटर्जी ने किया था। जाहिर है, इनमें से किसी भी जानकारी की सत्यता की जानकारी न तब किसी को थी और न अब तक किसी को है। क्योंकि न कांग्रेस पार्टी ने इन खबरों का सत्यापन किया, न गांधी परिवार ने कभी इन्हें नकारा। हॉ, यह जरूर था कि सोनिया गांधी राजनीति से दूरी बनाती जा रही थीं। वह कभी कभी कुछ खास मौकों पर ही दिखाई देती थीं।

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर जब भारत से गायब हो जातें तो उनकी पार्टी की ओर से यही कहा जाता है कि वह सोनियाजी की बीमारी का इलाज कराने जा रहे हैं? कभी कहा जाता है कि वह सोनियाजी का रूटीन चेकअप कराने जा रहे हैं! इस बार भी कर्नाटक चुनाव के बाद जब दोनों मां-बेटे गायब हुए तो उनकी पार्टी की ओर से यही कहा गया। हालांकि, इस बार राहुल गांधी ने भी ट्वीटर पर यह सूचना दी कि वह सोनियाजी का रूटीन चेकअप कराने विदेश जा रहे हैं! आखिर सोनियाजी को क्या बीमारी है, जो पिछले 7 साल से ठीक ही नहीं हो रही है? जबकि मोदी सरकार के दो अति महत्वपूर्ण मंत्रियों-सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जी की किडनी फेल होने की सूचना भी आई और एम्स में ही उनकी किडनी का प्रत्यारोपण भी हो गया! लेकिन सोनियाजी की रहस्यमयी बीमारी, कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं और न ही भारत में उसका इलाज ही दिखता है?

सोनिया गांधी की बीमारी और सियासत के साथ उनकी बढ़ती दूरी के कारण कहा यह जा रहा था कि अबकी से रायबेरली में सोनिया नहीं प्रियंका गांधी कांग्रेस उम्मीदवार होंगी,लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद चर्चा यह शुरू हो गई कि अब प्रियंका कहां से चुनाव लड़ेंगी। रायबरेली से सोनिया का नाम फायनल होने के बाद कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही इलाहाबाद की फूलपुर से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। शहर कांग्रेस कमिटी ने इसके लिए बाकायदा प्रस्ताव पास करके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजा है। इसके साथ ही गत दिनों प्रयागराज में पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने पहुंचे राष्ट्रीय सचिव बाजीराव खड़े के सामने भी कार्यकर्ताओं ने मांग दोहराई।

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बाजीराव खड़े ने उनकी बात राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया है। प्रयागराज शहर कांग्रेस कमिटी ने जिताऊ उम्मीदवारों की जो लिस्ट तैयार की है, इसमें सबसे ऊपर प्रियंका का नाम है। कमिटी के अध्यक्ष नफीस अनवर ने दावा किया कि अगर प्रियंका को उम्मीदवार बनाया जाता है तो पूर्वांचल ही नहीं, पूरे यूपी की चुनावी फिजा बदल जाएगी। गौरतलब हो, आजादी के बाद 1952 में हुए पहले आम चुनाव में इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जीते थे। फूलपुर नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। 1957 में नेहरू यही से फिर सांसद हुए और 1962 में भी जीते। 1967 में उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित इसी सीट से सांसद बनीं।

लेखक अजय कुमार यूपी के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं.

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