अमृत तिवारी-
पंजाब के अजनाला में जो कुछ हुआ उसमें सिवाय ‘कट्टरपंथियों’ के आगे सरेंडर के कुछ नहीं है. अब ऐसा क्यों हो रहा है? किसकी शह पर हो रहा है? यह रहस्य बना हुआ है, जो नहीं होना चाहिए. भाई! स्टेट गवर्मेंट है. सेंट्रल गर्वमेंट है. सुरक्षा के तमाम इदारे हैं. स्टेट और सेंटर की एजेंसियां हैं. ये सभी इतनी मौन, इतनी लुंज-पुंज, इतनी असहाय कैसे हो सकती हैं?
मैंने जहां तक 80 के दशक में हुए पंजाब मिलिटेंसी और खालिस्तान पर अध्ययन किया है, उसके मुताबिक देश की स्टैब्लिशमेंट के बैगर मर्जी के एक अपराधी या मिलिटेंट हाथ-पैर नहीं मार सकता. हम सभी जानते हैं कि संजय गांधी और अरुण नेहरू की महत्वाकांक्षाओं की भेंट कैसे पंजाब चढ़ा. दानिशमंद लोग समझते होंगे कि खालिस्तान को हवा किसने दी और भिंडरावाले को खड़ा किसने किया. अगर ज्यादा समझ रखनी हो तो रॉ के पूर्व अधिकारी जीबीएस सिद्धू की किताब पढ़ लीजिए. माजरा और बेहतर तरीके से समझ आ जाएगा. देखिए, यहां मैंने किसी वामपंथी लेखक का जिक्र नहीं किया. सिद्धू साहब ने भारत की सेवा बतौर रॉ अधिकारी की है. सिक्कम को भारत में मिलाने में इनकी अहम भूमिका रही थी।
खैर, हैरानी देखिए कि एक दुबई में रहने वाला लड़का (अमृतपाल) हिंदुस्तान के सिख कट्टरपंथियों का सबसे बड़ा चेहरा बन जाता है. धर्म का सहारा लेता है. दंगों में हुए अत्याचारों का सहारा लेता है. गुरुओं के महान उपदेशों का बड़े आराम से बेअदबी करके उल्टा उसे ही सिखों के शौर्य और अभिमान से जोड़ देता है.
आए दिन भड़काऊ भाषण देता है. लेकिन, इसके खिलाफ नाम मात्र की कार्रवाई नहीं होती. यहां यूपी में नेहा सिंह राठौर ने एक गीत गा दिया तो बवाल मच गया. नेहा को पुलिस ने तुरंत समाज में घृणा फैलाने का नोटिस भेज दिया. और यहां अमृतपाल समाज को बांटने वाले तमाम साजो-सामान की बोली लगा रहा है और सभी खामोश हैं. ऐसा क्यों भाई? क्या फिर से किसी घाव के और पकने का इंतजार किया जा रहा है? क्या फिर से पंजाब को इंसरजेंसी के चरम पर पहुंचाने का षडयंत्र रचा जा रहा है? अमृतपाल ने खुलेआम देश के गृहमंत्री अमित शाह को मारने तक की धमकी दी. अमित शाह तो चुप रहने वाले आदमी नहीं हैं… फिर ऐसा क्या है कि सारे लोग मौन हैं?
गुरुवार को तो हद हो गई. अजानाला थाने को कैप्चर कर लिया गया. ये तो पंजाब मिलिटेंसी के दौर में भी नहीं हुआ. थाने का घेराव अलग घटना है, यहां तो थाना ही कब्जा कर लिया गया और वो भी श्री गुरुग्रंथ साहिब को ढाल बनाकर यह हरकत की गई. श्री गुरुग्रंथ साहिब को ढाल बनाना क्या यह बेअदबी नहीं है? सिख धर्म के जानकार लोग इस मसले पर थोड़ा जरूर प्रकाश डालें.
वैसे, कहीं ऐसा तो नहीं कि पंजाब को उस स्तर पर ले जाने की तैयारी है, जहां से राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सके. इसमें कोई शक नहीं कि पंजाब को AAP की सरकार हैंडल नहीं कर पा रही. क्योंकि, सत्ता हनक से चलाई जाती है. शासक का तेवर ही राज्य में शांति स्थापित कर सकता है. और यहां मान सरकार में तेवर और हनक दोनो की कमी है. लेकिन, उनको किनारे लगाने के चक्कर में अगर केंद्र में बैठी सरकार घाव को और ज्यादा पकने का इंतजार कर रही है, तो गलती कर रही है. गलती इंदिरा गांधी के शासनकाल वाली करने जा रही है. हो सकता है कि इस माहौल को काबू में कर लिया जाएगा. लेकिन, पंजाब फिर से लहू-लुहान हो जाएगा. फिर से पुराने घाव रिसने लगेंगे. छाती फिर से फंटेगी और खेल लंबा चल जाएगा.
वैसे बिना शक मुझे अमृतपाल का मुस्तकबिल साफ-साफ दिखाई दे रहा है. लेकिन, उसके चक्कर कितने पंजाबियों की भेंट चढ़ेगी. इसका अंदेशा डरा देने वाला है. गुजारिश सिर्फ इतनी है कि राजनीति से बढ़कर देश है. लिहाजा, सभी धर्मों के कट्टरपंथियों को पिछली सफ में धकेल देना चाहिए. धर्म के नाम पर जितनी भी सेनाएं हैं, उन्हें बैन कर देना चाहिए. चाहें हिंदू के हों, मुस्लिम के हों या फिर सिख के. वैसे आज कल हर जमात अपने मुखालिफों की कब्र खोदने का नारा लगा रही है. मेरा सुझाव है कि अगर कब्र खोदनी ही है तो सभी अपने-अपने हिस्से के कट्टरपंथ की कब्र खोदें. मामला सॉल्व… जय हिंद।।
समर अनार्या-
पंजाब में खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता अमृत पाल सिंह ने ग़दर काट रखा है। भारत के टुकड़े करने की बात कर रहा है। पुलिस थानों पर हथियार बंद समर्थकों के साथ हमले कर रहा है।
उसके बाद खुलेआम टीवी चैनलों पर इंटरव्यू दे रहा है जिनमें भी अपनी भड़काऊ बातें दोहरा रहा है। अपने सोशल मीडिया अकाउंट से भी।
और यहाँ लोक गीत पर पुलिस नोटिस भेज देने वाली भाजपा सरकारें, ज़रा सी असहमति पर देश भर में एफ़आईआर दर्ज करा बड़े नेताओं को हवाई जहाज़ से उतार गिरफ़्तार कर लेने वाली सरकारें उसके ख़िलाफ़ कुछ नहीं कर रहीं हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बनाई गई एनआईए फ़रार है!
इरादा क्या है?
भारत तेरे टुकड़े होंगे के सपनों वालों का ऐसा भाजपाई समर्थन? सिर्फ़ इसलिए कि नाम अमृत पाल सिंह है? कोई अहमद नहीं?
या इसलिए भी कि वो उसी दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे का नेता भी है जो दीप भाजपा सांसद सनी देओल का ख़ास है?