भाष्कर गुहा नियोगी-
वाराणसी।प्रदेश में भ्रटाचार को लेकर सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है और सरकारी विभाग के कर्मचारी डंके की चोट पर बकैती कर रहे हैं, अवैध तरीके से उपभोक्ताओं से पैसे लेकर धमकी भी दे रहे है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनारस के इस कर्मचारी की भाषा चोरी और सीनाजोरी की है। सूरज नाम का ये कर्मचारी स्थायी या संविदा पर है पता नहीं लेकिन फोन पर पर उपभोक्ता को सीधे किसी गुंडे सा धमका रहा है कह रहा है जाकर एफआईआर करवा दो। आखिर किसके दम पर इसकी भाषा बेलगाम है?
चहमामा थाना चौक के रहने वाले मो आजम के घर का बिजली कनेक्शन पिछले पांच महीने से कटा हुआ है खुद को विभाग का ठेकेदार मानने वाले कर्मचारी सूरज ने 1500 रूपए मुमताज से पूरे मामले को सेटलमेंट करवाने की फीस ली जब कुछ हुआ नहीं तो पैसे देने वाले ने फोन कर पूछा तो जवाब मिला पैसे दिए तो जाकर एफआईआर करवा दो। हम तुम्हारे रिश्तेदार हैं जो मुफ्त में काम करेंगे । डाक्टर के यहां जाते हो फीस देते हो की नहीं। आडियो सुनकर तो यही लगता है कि उपभोक्ता से विभाग के कर्मचारी अवैध तरीकों से पैसों की वसूली कर रहे है अब ये कर्मचारी संविदा पर है या फिर स्थायी ये तो विभाग बतायें लेकिन अवैध तरीके से लिया पैसा खूब दौड़ रहा है ऊपर से नीचे तक। नीचे वाले बेनकाब है और ऊपर वाले बेपरवाह।
चहमामा के रहने वाले आजम के घर का बिजली कनेक्शन बीते जुलाई यानी 5 महीने पहले विभाग ने काट दिया है आरोप है बिजली चोरी का ,जबकि आजम और उसके घरवालों का कहना है कि हमने कोई चोरी नहीं की विजिलेंस के नाम पर लोग आए और घर पर लगा मीटर उखाड़ ले गए उनका कहना था हम चोरी की बिजली जला रहे है जबकि अगस्त में हमने 12 हजार का बिल जमा किया है। हम पर चोरी का आरोप लगा 50 हजार जुर्माने का कागज थमा गए। हम कहां से पैसे लाकर दे हमारी माली हालत ठीक नहीं। आज 6 महीने से हम अंधेरे में जी रहे है। घर के बच्चे मोमबत्ती में पढ़ाई कर रहे है। वो कहते हैं हमने बिजली चोरी की है तो उनके पास उसका कोई वीडियो तो होगा वो हमें दिखा दे। हम कई बार अधिकारियों के पास जाकर अपनी बात कह चुके है लेकिन कोई सुनवाई नहीं। उधर विभाग के कर्मचारी सूरज ने हमसे पैसे लिए की मामले को हल कर देंगे लेकिन पैसे लेकर भी हमें धमकी दी।
लेन-देन, चोरी या कुछ और का ये मामला कोई अकेला मामला नहीं। बनारस में न जाने ऐसे कितने मामले है जिसमें उपभोक्ता बिजली विभाग के चक्रव्यूह में फंसा छटपटा रहा है। विभाग का रवैया ठीक नहीं है। सेंटिग से सहूलियत के खेल में कई बड़े किरदार है लेकिन हाथ किसी छोटे और अदने से कर्मचारी का ही है।
कही न कही पूरा वाकया लेन-देन, अवैध वसूली के उस गठजोड़ का है जिसका कनेक्शन कहीं न कहीं बिजली विभाग से जुड़ा है। इस कनेक्शन को कौन काटे इसका जवाब अधर में है तो दूसरी तरफ मोमबत्ती की रौशनी में भविष्य को तराशते और तलाशते बच्चे है जो पूछ रहे है कैसे पढ़ें और बढ़े…।