यशवंत सिंह-
ग़ाज़ीपुर जिले के एक क़स्बाई पत्रकार द्वारा एक शिक्षक (जो कि मेरा भतीजा है) को भेजा गया मैसेज है। दिवाली पर विज्ञापन देने का निर्देश दे रहा है। qr कोड भी भेज दिया। साथ में निर्देश भी कि टाइम से पेमेंट की गारंटी करें।
किसी ab न्यूज़ बिहार का रिपोर्टर खुद को बता रहा। नाम सुधीर राय है इसका।
भयावह पत्रकारिता का दौर है ये। एक बार किसी जालिया पत्रकार से दबे डरे फँसे तो ज़िंदगी भर ब्लैकमेल करेगा। शुरू में ही लड़ जाइये, ज़िंदगी भर चैन से रहेंगे। सरकारी शिक्षकों के लिए ये सलाह विशेष रूप से है।
इसके आडियो को सुनिए। उगाही की मजबूरी कैसे समझा रहा है। जबरन विज्ञापन माँगने वाले ग़ाज़ीपुर के एक कथित पत्रकार सुधीर राय के आडियो का पहला पार्ट जारी…
शिक्षकों से उगाही करने वाले जिले-क़स्बे के पत्रकारों की शिनाख्त करिए-कराइये… भड़ास इसे एक अभियान के रूप में आगे बढ़ाएगा….
पार्ट-एक : जिले के पत्रकारों के लिए शिक्षक हैं सबसे आसान शिकार!
भड़ास एडिटर यशवंत की उपरोक्त Fb पोस्ट पर कुछ प्रमुख टिप्पणियाँ-
बिहार में एबी न्यूज़ अपनी सांसे तोड़ चुका है फीवर के नाम पर कुछ नहीं बचा है कर्मचारियों का लाख रुपया वेतन का बकाया है दूसरी टीम ने कमान संभाल ली। -अनूप नारायण सिंह
फिलहाल स्क्रीनशॉट देखकर तो यह कहीं से नहीं लग रहा कि विज्ञापन की बात हुई है. -मंगला प्रसाद तिवारी
पीत पत्रकारिता के बाद एक नई बदबूदार पत्रकारिता जिसका नाम है वसूलीबाज पत्रकारिता। पत्रकारिता का निम्न स्तर और घटिया कार्य। -दिवाकर सिंह
भाई ऐसे एक नहीं अनेक लोग हैं, जो पत्रकारिता के नाम पर कलंक हैं। पत्रकारिता का ऐसा शर्मनाक दौर मैं ने पहले नहीं देखा। यह तो कोई छोटा मोटा होगा, बड़े बड़े दिग्गज इस तरह की ब्लैक मेकिंग में शामिल हैं। वे ऐसे कथित पत्रकारों को हायर तो करते हैं, लेकिन देते कुछ नहीं। खाओ, कमाओ और इधर भी लाओ के लिए छुट्टा जानवर की तरह छोड़ देते हैं। जिलों, तहसीलों और कस्बों में स्थिति बहुत ही दयनीय है। इस तरह चलता रहा तो भविष्य में ये जगह जगह मार खाएंगे और फिर इनको कोई बचाने वाले भी नहीं आएंगे। मुश्किलों में फंसने पर कह देंगे, हमारा पत्रकार नहीं था। अच्छा होगा पहले इसे बुलाकर इसे हिंदी में समझा दो। नहीं माने तब इसके खिलाफ एफआईआर कराकर कार्रवाई कराओ। उसके घर की स्थिति भी पता कर लो, ऐसा न हो आवेश में आकर कार्रवाई करा दो और बाद पछतावा हो कि मेरे हाथों एक गरीब जेल चला गया। -स्वामी गमन
दुखद है। मेरे एक मित्र को भी लखनऊ में एक पत्रकार कुछ दिन पहले परेशान कर रहा था। मित्र डीएसपी हैं और उनके भाई लखनऊ के केजीएमसी में डॉक्टर। -समीरात्मज मिश्रा
Cyber fraud hai ye …. Plz avoid all these things. This is new type of social engineering attack. Don’t scan this QR code at any cost otherwise you will loose all money of your account. -Shivraj Prajapati
पत्रकारिता के नाम पर ठगी करने और वसूली करने वाले इस तरह के लोगों के बारे में मैं लगातार लिख रहा हूं बोल रहा हूं। अब तो प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी इन लोगों ने कब्जा जमा लिया है। इनके रोकथाम की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं बन पाई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भोजन पर कुत्ते की तरह छपटते हैं। और उनकी निगाहें हमेशा गिफ्ट पर रहती है। शिक्षक इनके सॉफ्ट टारगेट है। -आलोक नंदन
भइया लगभग पत्रकार शिक्षक को ही टारगेट बना रहे स्कूल चले जाते है समय घास,फूस, क्यों पड़ा ऐसा करके वसूली करते है स्थर नीचे गिरता जा रहा पत्रकारिता का। -जितेंद्र कुमार गुप्ता
कोई भी खबर अगर आपको छपवानी है तो आपको पैसा देना होगा और अगर पत्रकार ने अपने आप ही छाप दी और अगले दिन आपसे मिला तो जानिए आप एहसान तले दब गए। -प्रदीप कुमार
भैया लोकल लेवल पर सच में भयानक पत्रकारिता चल रही है, आज ही एक ‘आज’ के पत्रकार से मिला जो कहते हैं कि हमारे रिश्तेदार की भी बात हो तब भी हम बिना पैसे ख़बर नहीं करते। -अभिषेक सिंह
वास्तव में यह बड़ा भयावह दौर है अब यह पता भी नहीं चलता कि कौन पत्रकार है कौन नहीं है ,डिजिटल प्लेटफॉर्म ने इस बीमारी को और भी बढ़ाया है ।अपने 35 साल की पत्रकारिता में कभी भी विज्ञापन मांगने के लिए नहीं गया। -अनिल पांडेय
ये गोरखधंधा पूरे पूर्वांचल में जोरो पर है। -गणेश यादव
सारी पत्रकारिता अब विज्ञापन पर ही लोगों की निर्भर है। कोई जनता हित की बात नही करना चाहता है। -आदिल ज़ैदी कविश
हमारे पिता जी के स्कूल में भी डेली 2 लोग कम से कम पहुंच जाते है दादा। ये सिसकती पत्रकारिता है। – आदर्श मिश्रा
अबकी बार गलत जगह पहुँच गया सुधीर! -चंदन शर्मा
मेरे जादूगोड़ा वाले जेठ जी बताते हैं कि वहाँ भी ऐसे ही चिरकुटों की फ़ौज रहती है। -ख़ुशी रैना
बिलकुल ऐसे ब्यक्ति को सबक सिखाने की आवश्यकता है जो पूरे पत्रकार समाज को बदनाम कर रहे हैं। -मुकेश कुमार मौर्य
हफ्ता वसूली का नया तरीका. रिश्ता वही सोच नई। -विवेक तिवारी
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