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सुख-दुख

राज बहादुर सिंह को वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने ऐसे किया याद!

सुरेश बहादुर सिंह, लखनऊ

संजय गांधी आयुर्विज्ञान अनुसंधान (एसजीपीजीआई) से जैसे ही वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर सिंह के निधन की सूचना मिली वैसे ही पत्रकारिता जगत में सन्नाटा छा गया। किसी को भी इस खबर पर विश्वास नहीं हो रहा था।

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राजबहादुर पत्रकारिता के प्रति पूरी तरह समर्पित थे। वह एक कुशल और बारीक राजनीतिक, आर्थिक, खेल एवं मनोरंजक खबरों के अनुभवी पत्रकार थे। उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में अपने कलम के माध्यम से पत्रकारों में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया था। पत्रकारिता जगत में उनकी कमी को पूरा करना मुमकिन नहीं है। उनका निधन पत्रकारों के लिए अपूरणीय क्षति है।

राजबहादुर सिंह से पत्रकारिता के अलावा मेरा व्यक्तिगत संबंध भी रहा है। वह मुझे अपने बड़े भाई की तरह सम्मान देते थे। लेकिन वाद-विवाद में अपने तर्कों को बहुत मजबूती से रखते थे। राजबहादुर जिद्दी स्वभाव के पत्रकार थे और अपनी बात मनवाने के लिए सारे हथकंडे अपनाते थे। कई बार उनसे कई मुद्दों पर गर्मागर्म बहस हुई और मनमुटाव भी हुआ, लेकिन हम लोगों के व्यक्तिगत संबंधों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। राजनीतिक मसलों के साथ साथ आर्थिक और मनोरंजक विषयों पर भी उनकी जबरदस्त पकड़ थी। वह अपनी जोरदार लेखनी के बल पर सभी राजनीतिक दलों पर निशाना साधते थे। उन्होंने अपनी खबरों से कभी समझौता नहीं किया। अपनी धारदार व पैनी लेखनी के कारण राजबहादुर किसी परिचय के मोहताज नहीं थे।

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 सन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद राजबहादुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक हो गए थे। उन्होंने विपक्षी दलों को कई बार निशाने पर भी लिया। वह राहुल गांधी को “लूमड” और प्रियंका गांधी को “लाडो” के नाम से संबोधित करते थे।उन्हें विपक्षी दलों की आलोचना करने में कोई गुरेज नहीं होता था। वह प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में अपने तर्कों से अपने विरोधियों को पस्त कर देते थे।

90 के दशक में राजबहादुर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय वीपी सिंह के समर्थक थे। वीपी सिंह के हर कदम की वह प्रशंसा करते थे। अक्सर मुझसे इन मुद्दों पर उनसे बहस हो जाती थी। उनका मानना था कि स्वर्गीय वीपी सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से बड़े नेता थे।उनके इस तर्क से मैं सहमत नहीं हुआ करता था इसलिए अक्सर उनसे वाद विवाद होता था और राजबहादुर यह कहकर बात खत्म करते थे कि मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं। लेकिन इस वाद-विवाद का हमारे व्यक्तिगत संबंधों पर कोई असर नहीं होता था।

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 राजनीतिक दलों के नेताओं के बारे में राजबहादुर ने कई खबरें लिखी जिन की खूब चर्चा भी हुई और जिनकी वजह से राजनीतिक दलों में उनकी पैठ भी हुई। राजबहादुर राजनीति के कुशल व अनुभवी पत्रकार थे। कई अवसरों पर लोकसभा चुनाव के परिणामों के बारे में उनकी भविष्यवाणियां एकदम सच साबित हुई। राजबहादुर को राजनीति की किताब भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

राजबहादुर को फिल्मों का भी शौक था राजबहादुर किसी भी फिल्म के गानों को सुनकर उसके गायक, गीतकार, संगीतकार, निर्माता, निर्देशक व फिल्म किस वर्ष में बनी है उसका पूरा विवरण दे देते थे। फिल्मों के ज्ञान के साथ-साथ आर्थिक विषयों पर भी राजबहादुर की गहन जानकारी थी जिसे अपनी लेखनी के माध्यम से उजागर करते रहते थे।

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राजबहादुर यूपी प्रेस क्लब के भी स्तंभ थे। प्रेस क्लब में उनकी एक सीट सुरक्षित थी जहां वहां बैठा करते थे और वहीं बैठकर वाद-विवाद में हिस्सा लेते थे। राजबहादुर के निधन के बाद आज वह सीट भी सूनी हो गई। राजबहादुर बहुत ही जिंदादिल हंसमुख व दोस्तों के दोस्त थे। ऐसे व्यक्ति को समस्त पत्रकारों एवं यूपी प्रेस क्लब की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने राजबहादुर को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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