नयी दिल्ली : जाने माने पत्रकार और नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट (एनयूजे ) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजेन्द्र प्रभु का नोएडा में निधन हो गया। उनके निधन पर देशभर के पत्रकारों में शोक की लहर है। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार प्रभु का सोमवार रात में ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल में संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया। एक माह पहले ही उनके हृदय का आपरेशन हुआ था। उन्होंने मृत्यु के उपरांत अपने शरीर को चिकित्सा विज्ञान को दान करने की घोषणा की थी। उनकी इच्छा को देखते हुए देह मेडिकल कालेज को दान कर दिया गया।
प्रभु के परिवार में पत्नी तथा तीन पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं। उनका जन्म केरल के कोच्चि में हुआ था। वह छात्र जीवन से ही ट्रेड यूनियन आंदोलन से जुड़ गये थे। बाद में वह भोपाल आये और रेलवे से जुड़ गये। इसके बाद उन्होंने डेक्कन क्रानिकल समाचार पत्र में काम करना शुरू किया। इसके बाद वह हिन्दुस्तान टाइम्स सहित विभिन्न समाचार पत्रों से जुड़े।
उन्होंने १९७२ में नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और इसके शीर्ष पदों पर रहे। प्रभु ने श्रमजीवी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए समय समय पर गठित होने वाले वेतन बोर्डों में भी ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर सक्रिय योगदान दिया।
पत्रकारों के विभिन्न संगठनों ने उनके निधन पर शोक जताया है। नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट के प्रेसिडेंट प्रज्ञानंद चौधरी, जनरल सेक्रेटरी शिवेन्द्र कुमार, वाईस प्रेसिडेंट प्रेसिडेंट संदीप मलिक, पूर्व प्रेसिडेंट रास विहारी, पूर्व जनरल सेक्रेटरी प्रसंन्ना महंती, प्रमोद कुमार सिंह , नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट की महाराष्टÑप्रेसिडेंट शीतल करदेकर ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। चेंबर आॅफ फिल्म जर्नलिस्ट की तरफ से भी राजेन्द्र प्रभू के निधन पर गहरा शोक जताया गया है। चेंबर के प्रेसिडेंट इंद्रमोहन पन्नू, और वाईस प्रेसिडेंट अतुल मोहन , धर्मेन्द्र सिंह , पराग छापेकर, विरेन्द्र मिश्रा ने उनके निधन को एक अपूरणीय छति बताया है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५