सुरेश चिपलूनकर-
मुम्बई भाजपा के एक बड़े नेता हैं किरीट सोमैया… मुम्बई महानगरपालिका चुनावों को देखते हुए पिछले दो साल से लगातार शिवसेना के खिलाफ हमलावर रहे… प्रतिदिन नया मुद्दा लेकर आते, प्रेस कांफ्रेंस करते…
लेकिन हाल ही में शिवसेना ने पलटवार करते हुए किरीट सोमैया के खिलाफ केस दायर कर दिया है, जिसके अनुसार सोमैया पिता-पुत्र ने आईएनएस विक्रांत को बचाने के नाम पर देशवासियों से एक बड़ी ही “राष्ट्रवादी मार्मिक अपील” की थी, और दावा किया था कि देश के लिए किये जाने वाले इस महान काम में जो भी चन्दा आप देंगे उसे मुम्बई में राजभवन में जमा किया जाएगा और इससे युद्धपोत विक्रांत को हम बचा लेंगे… (अब इस बात पर हंसियेगा मत कि विक्रांत को बचाने के लिए लोगों को चन्दा क्यों देना चाहिए)… आम जनता ने “सोमैया छाप राष्ट्रवाद” के चक्कर में आकर करोड़ों रूपए का डोनेशन दिया…
मुम्बई पुलिस की जांच में सामने आया है कि विक्रांत के नाम पर जो करोड़ों रूपये का डोनेशन एकत्रित हुआ… उसे सोमैया जी ने अपनी जेब में रख लिया… पुलिस की सामान्य जांच में सामने आया कि महाराष्ट्र के राजभवन में विक्रांत बचाओ के नाम से कोई बैंक अकाउंट है ही नहीं… तो सोमैया साहब से पूछने पर उन्होंने कहा कि वो करोड़ों रुपया मैंने भाजपा के पार्टी कोष में जमा कर दिया है… भाजपा से पूछने पर पार्टी ने इससे इंकार कर दिया है…
यानी फ़िलहाल किसी को पता नहीं कि करोड़ों रुपयों का डोनेशन आज की तारीख में किधर है? सोमैया की जेब में… राज्यपाल के पास… या भाजपा के कोष में… इस बीच सोमैया साहब “फरार” हो गए और अग्रिम जमानत लेने के लिए गुपचुप भागदौड़ करते रहे, लेकिन मुम्बई स्थित सीबीआई कोर्ट ने जमानत नामंजूर करते हुए “प्राथमिक दृष्टि” से दोषी करार दिया है…
इस बीच पुलिस ने पिता-पुत्र को हाजिर होने के लिए दोबारा समन जारी किया है… हालाँकि NCP ने मूल सवाल उठाया है कि सोमैया साहब को जेड श्रेणी की केन्द्रीय सुरक्षा हासिल है, फिर वे गायब और फरार कैसे हो सकते हैं??
बहरहाल… आप लोगों के जानने लायक केवल एक ही बात है… वो ये है कि एक होता है संजय राउत का भ्रष्टाचार जो कि देशद्रोही वगैरा होता है… जिसमें राउत न कहीं फरार होते हैं… ना ही जमानत के लिए अर्जी देते हैं… और दूसरा होता है किरीट सोमैया छाप राष्ट्रवादी भ्रष्टाचार, जिसमें देशसेवा, सेना का बलिदान, युद्धपोत बचाओ जैसे नारे देकर जनता से करोड़ों रूपए एकत्रित करके जेब में डाल लिए जाते हैं और ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा होते हुए “नकली फरार” होना पड़ता है…
यानी हम करें तो चमत्कार…. लेकिन कोई दूसरा करे तो?