Ravish Kumar : आई टी सेल स्त्री से इतनी नफ़रत करता है कि मेरे चेहरे में भी उसे कोई स्त्री नज़र आती है। उसकी कल्पना में स्त्री होना पाप है। मुझे लेकर एक पूरी इंडस्ट्री चल रही है। अगर आई टी सेल को पुरुष की हिंसा, दंभ और क्रूरता में राष्ट्रवादी होना नज़र आता है तो यह औरतों को भी देखना है कि राष्ट्रवाद के इस अंधड़ में उनके लिए कितनी जगह है। औरतें समझ रही हैं कि ट्रोल बिरादरी दरअसल औरत के वजूद के ही ख़िलाफ़ है।
यह तस्वीर देखने वालों के दिमाग़ में मेरे बहाने एक औरत के प्रति घिन को भी उभारती है। मुझे इस तस्वीर से कोई समस्या नहीं है। यह तो सम्मान की बात है। चरित्र प्रमाण पत्र है कि मैं हिंसक नहीं हूँ। मैं स्त्री हूँ। मुझमें नफ़रत की संभावना नहीं है। आई टी सेल के पुरुष दिमाग़ की तरह न होना गौरव की बात है। आई टी सेल वाले लड़के इस तस्वीर में अपनी माँ, बहन, भाभी, पत्नी और महबूबा देख सकते हैं। ये उनकी ही माँओं का चेहरा है। बहनों का चेहरा है। जब वे अपनी माँओं को इस तरह के श्रृंगार में देखते होंगे तो ऐसा ही सोचते होंगे। उन्होंने मेरी नहीं अपनी सोच की तस्वीर बनाई है। आई टी
सेल को पता है लड़कियाँ उनका खेल समझ गई हैं। मेरा मानना है कि सभी पुरुष में थोड़ी स्त्री होनी चाहिए। पूरी हो तो और भी अच्छा। हिंसा के ख़िलाफ़ होना भी स्त्री होना है। सभी महिलाओं को आज का शानदार दिन मुबारक। आप मुझे महिला दिवस पर मुबारक दे सकते हैं। मैं सुंदर लग रही हूँ।
R Shiv Prasad Sati : यह भाजपा आईटी सेल का काम है। अरे चमन के गुलामों, रवीश कुमार की फोटो एडिटिंग कर तुम अपनी मानसिकता का परिचय दे रहो हो। तुम्हारा काम नफरत पैदा करने के अलावा कुछ भी नहीं है। तुम लोग सुधरोगे नहीं? रविश कुमार के बराबर सोचने के लिए चमन के गुलामों को सौ बार जन्म लेना पड़ेगा। कम से कम महिला दिवस पर भाजपा आईटी सेल के चमन के गुलामों को अपनी मां बहन की इज्जत करना सीख लेना चाहिए।
Chanchal Bhu : रवीश कुमार से गिरोह को ऐंठन होती है, यह जगजाहिर है, उनका वस चले तो रवीश को मय टाट पट्टे के झोले में लादें और ‘ वीर’ के बुर्ज से नीचे ‘भगत ‘ के इनारा में डाल आएं। यह बहुत दिनों से चल रहा है। हम बीच में आने से बचते रहे। गिरोह हमे हमारे हिस्से का जितना दे रहा था, हमें उसी से संतोष था और है कि हम अभी भी सजग सचेत और संभ्रांत शहरी होने का दावा कर सकते हैं।
रवीश जी पर यह गिरोह कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहा है।
आज गिरोह ने कमाल किया, गो कि वह ‘कमाल’ सुनते ही उसके तसरीफ पर ‘जड़ेंर ‘ के रगड़ने का सार्थक एहसास होगा क्यों ‘ कमाल’ जुबान और ‘जन’ दोनो से उसे चिढ़ है। गिरोह ने रविश के असल रूप को चेहरे पर रंग कर दिखा गया।
रवीश को एक खूबसूरत औरत बनाया, देख कर हमें हंसी उतनी नहीं आई जितनी कि उसकी हरकत पर तरस आया। कमबख्त! इतना भी नहीं जानते रहे कि रवीश तो मनसा, वाचा, कर्मणा स्त्री हैं। करुणा से लबालब भरा हुआ।
करुणा के शब्द नफरत नहीं उलीचते, करुणा जख्म को सहला कर नफरत को खुरच कर बाहर फेंकती है। तुम्हें औरत से नफरत है, यह तुम्हारा घोषित धर्म है, औरत निषेध है तुम्हारे दायरे में। नारी केवल लिंग नहीं है, प्रकृति की एक अद्भुत मंशा है जो जीवन का आधार है। रवीश में नारी है, यह कायम रहे यही कामना है।
रवीश जी आज इस होली पर जो उपहार आपको मिला है, इसे संजो कर रखना मित्र, बहुत बड़ी सौगात है।
Manoj Kumar
March 10, 2020 at 2:56 pm
रवीश इसे होली का मजाक समझ कर हंसी में उड़ा सकते थे, खुद पर हंस पाना बड़े दिल वालों का काम होता है, इतना सीरियसली लेने की जरूरत नहीं थी, आप भड़ास वाले तो भड़ास निकालने का मौका ताकते ही रहते हैं ।