ढाई साल से अपने घर से ही ndtv का प्राइम टाइम शो कर रहे हैं रवीश कुमार!

Share the news

सुशील मोहपात्रा-

कई लोग बार बार लिखते हैं कि अब रवीश जी को स्टूडियो आना चाहिए, स्टूडियो से प्राइम टाइम करना चाहिए।मैं पूछना चाहता हूं रवीश जी को स्टूडियो क्यों आना चाहिए ? आप लोगों को अच्छे शो से मतलब है या स्टूडियो से ? अगर अच्छा शो नहीं स्टूडियो से मतलब है तो फिर हम कुछ नहीं कर सकते।।या फिर रवीश जी स्टूडियो आएंगे तो फिर आप फ़ोटो खिंचवाने के लिए आफिस पहुंच जाएंगे जो नहीं हो पा रहा है। अगर आप प्राइम टाइम देख रहे होंगे तो पिछले ढाई साल से जब से रवीश जी घर से एंकरिंग कर रहे हैं तब से हमलोग शानदार शो तैयार कर पा रहे हैं। हर शो एक-एक डाक्यूमेंट्री है। जब रवीश जी स्टूडियो आते थे तब रोज ऐसा शो नहीं बन पाता था लेकिन अब रोज बन रहा है, तब रोज क्यों नहीं बन पाता था अब क्यों बन रहा है उसका कारण आप को बताता हूँ।

अगर रवीश जी आफिस आएंगे तो आने जाने में समय बर्बाद होगा। आने से कम से कम एक से डेढ़ घंटे लग जाएंगे। आने से पहले आप को अपना और काम भी करना है। नहाना है, सेविंग करना है। समय पर लंच करना है। यह सब में भी समय लगेगा । आफिस पहुंच गए तो 10 लोगों से बात करना है। लोग आफिस ही पहुंच जाते थे। घंटो इंतज़ार करते थे उन्हें नेगलेक्ट नहीं कर सकते हैं फिर आफिस पहुंचने के बाद आफिस के लोगों से बात करना यह सब से चार-पांच घंटे बर्बाद हो जाते थे अब वो समय हम शो के लिए दे रहे हैं। अब लोग पूछेंगे क्या अब नहीं नहाते हैं।,शेविंग नहीं करते ,जी अभी भी नहाते हैं लेकिन उसका कोई समय नहीं है। पहले शो खत्म करना मुख्य मकसद रहता है फिर नहाना-धोना ,खाना होता है। एक अच्छा शो इतना आसानी से नहीं बन जाता है। उस के लिए समय चाहिए होता है,मेहनत करना पड़ता है। ऐसा नहीं कि हमारे पास 15 लोग हैं तो सब आसानी से हो जाएगा। बहुत कम लोग और कम संसाधन में हम लोग काम करते हैं, जब संसाधन की कमी होती है तो ट्रिपल मेहनत करना पड़ता है। हमलोग सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक काम करते हैं।

सुबह 6 बजे से सोचना शुरू करते हैं कि किस टॉपिक पर करना चाहिए। उसी सोच के बीच रिसर्च शुरू हो जाता है, रवीश जी आर्टिकल पढ़ना शुरू कर देते हैं। जब लिखना शुरू करते हैं तब हिलने के लिए भी समय नहीं होता है। लांच करने के लिए समय नहीं मिलता है। जब थोड़ा समय मिल तो खा लेते हैं, कभी कभी तो लिखते लिखते खा लेते हैं। शो की स्क्रिप्ट ज्यादा से ज्यादा पांच बजे तक खत्म करना पड़ता है नहीं तो शो एडिट नहीं हो पायेगा। स्क्रिप्ट के बाद फिर सब लग जाते हैं कि शॉट्स कहाँ है, बाइट कहाँ है मतलब हर वक्त एक्टिव रहना पड़ता है। अगर सब एक्टिव नहीं रहेंगे तो शो नहीं हो पायेगा। शो का एडिट खत्म होते होते लगभग 9 बज जाते हैं। कई बार तो मोजो मशीन से चलाना पड़ता(आप लोग मोजो मशीन समझ नहीं पाएंगे,टेक्निकल मामला है) .. एक दिन का काम नहीं रोज इस तरह का मेहनत होता है। रवीश जी रोज 8000-9000 वर्ड लिखते हैं। एक बार से स्क्रिप्ट खत्म नहीं हो जाता है। कई बार उसे एडिट करना पड़ता है, डिलीट-ऐड करना पड़ता है,ठीक करना पड़ता है, सही आर्डर में रखना पड़ता है, नया नया रिसर्च डालना पड़ता है।दस बार फैक्ट चेक करना पड़ता है नहीं तो नोटिस आ जायेगा। हम लोगों का हालात खराब रहता है, बीपी बढ़ा रहता है लेकिन कुछ लोगों को रवीश जी स्टूडियो में देखना है। प्राइम टाइम देखा कीजिए स्टूडियो नहीं। हमे अच्छा शो से मतलब है वो कहीं से भी हो जाये बास शो अच्छा होना चाहिए।

मुझे पता है अभी आप सो रहे हैं लेकिन हमलोग जग गए हैं। आप के लिए यह लिख रहा हूँ और रवीश जी अपने Facebbok पेज पर आप के काम की चीज पोस्ट कर रहे हैं।। मुझे पता है जब आप आराम से सो कर उठेंगे तब पढ़ेंगे। हमलोग आप की तरह सोते रहेंगे तो शो नहीं हो पाएगा। जागिए समाज को जगाने का काम कीजिये। कब तक सोएंगे ?

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें, नई खबरों से अपडेट रहें: Bhadas_Whatsapp_Channel

भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *