कोरोना काल में दैनिक जागरण अखबार का मार्गदर्शक मंडल खूब सक्रिय हो गया है। अखबार के कुछ बूढ़े कमियां गिनाकर दूसरों की नौकरी लेने और खुद की उपयोगिता सिद्ध करने में जी-जान से जुट गए हैं। ये अखबार के वैसे समीक्षक हैं, जो कोरोना की चर्चा शुरू होने के बाद दफ्तर जाना भूल गए हैं। यह अलग बात है कि अपने मातहतों को इन्होंने लगातार ऑफिस जाने को मजबूर किया। इसी का नतीजा है कि जागरण के कम से कम तीन कर्मी अब तक कोरोना से मर चुके हैं।
आजकल समीक्षक मंडल ने नया शिगूफा छोड़ा है। गलतियों के भंडार इस अखबार में समीक्षक मंडल रोज चुनिंदा गलतियां खोजता है। इसके लिए चुनिंदा लोगों को रेड स्टार दिया जाता है और माफीनामा लिखवाया जाता है। संपादक जी के खास की कोई गलती या तो इनसे पकड़ी नहीं जाती, या पकड़े जाने पर उसके लिए भी किसी दूसरे को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है।
यह हाल तब है जब इस अखबार में पहले पन्ने तक अशुद्धियां धड़ल्ले से छपती हैं। सेंट्रल डेस्क से चार-चार बार कॉपी रिवाइज होती है। अखबार के स्टाफ रिपोर्टर इतने-इतने महान हैं कि अपनी छुट्टी का मेल भी शुद्ध नहीं लिख पाते। कुछ तो हेडिंग में ही तीन गलतियां करने की कसम खाकर बैठे हैं। लेकिन चार कॉलम की खबर में मात्रा की एक गलती छूट जाने के लिए डेस्क वाले को रेड स्टार दिया जा रहा है।
यह अलग बात है कि खुद समीक्षक महोदय की समीक्षा में ही भांति-भांति की गलतियों का जखीरा रहता है। इनपुट का कोई माई-बाप इस अखबार में है ही नहीं। पूरा जोर डेस्क से माफीनामा लिखवाने पर है। इसी की आड़ में छंटनी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शुरुआत गोरखपुर से होने की बात सामने आ रही है। संपादक जी अपनी कुर्सी बचाने के लिए कितनी भी कुरबानियां देने को तैयार हैं। बुढ़ऊ और बहुत बड़का संपादक इतनी बलियां देकर अजर-अमर हो जाने की तैयारी में हैं। स्टाफ कह रहे हैं कि अब समीक्षक महोदय ही एरर फ्री अखबार निकालेंगे। बाकी सबकी छुट्टी होगी।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.