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उत्तर प्रदेश

छह माह से सैलरी न मिलने पर सहारा के डिप्टी मैनेजर ने टॉवर से कूदकर जान दी

लखनऊ : राजधानी के कपूरथला स्थित सहारा टॉवर से सहाराकर्मी ने कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक का नाम प्रदीप मंडल है। वह सहारा में डिप्टी मैनेजर की पोस्ट पर थे। वह सहारा इंडिया भवन में क्रेडिट सहकारी सोसाइटी की शाखा में कार्यरत थे। उन्हें पिछले छह माह से सैलरी नहीं मिली थी और कर्ज से लदे हुए थे। घर में भारी आर्थिक संकट के कारण वह गहरे तनाव में थे।

<p>लखनऊ : राजधानी के कपूरथला स्थित सहारा टॉवर से सहाराकर्मी ने कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक का नाम प्रदीप मंडल है। वह सहारा में डिप्टी मैनेजर की पोस्ट पर थे। वह सहारा इंडिया भवन में क्रेडिट सहकारी सोसाइटी की शाखा में कार्यरत थे। उन्हें पिछले छह माह से सैलरी नहीं मिली थी और कर्ज से लदे हुए थे। घर में भारी आर्थिक संकट के कारण वह गहरे तनाव में थे।</p>

लखनऊ : राजधानी के कपूरथला स्थित सहारा टॉवर से सहाराकर्मी ने कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक का नाम प्रदीप मंडल है। वह सहारा में डिप्टी मैनेजर की पोस्ट पर थे। वह सहारा इंडिया भवन में क्रेडिट सहकारी सोसाइटी की शाखा में कार्यरत थे। उन्हें पिछले छह माह से सैलरी नहीं मिली थी और कर्ज से लदे हुए थे। घर में भारी आर्थिक संकट के कारण वह गहरे तनाव में थे।

प्रदीप मंडल (50) ने उसी ईमारत की दसवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली। वह वर्षों से विभाग में कार्यरत थे। वह कुछ माह से कर्ज में डूबे हुए थे। इस कारण घर में भी पत्नी से अक्सर नोक झोंक होती रहती थी। उनके टॉवर से कूदने की सूचना मिलते ही मौके पर अलीगंज पुलिस पहुंच गई। उन्हें ट्रामा सेंटर ले जाया गया लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

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घटनाक्रम के मुताबिक़ जानकीपुरम स्थित सहारा स्टेट्स के फ्लैट नंबर 4/103/105 के निवासी प्रदीप मंडल सहारा की क्रेडिट शाखा में कार्यरत थे। सुबह करीब 11 बजे वह ऑफिस पहुंचे। उनके सहयोगी प्रभात तिवारी ने बताया की विगत करीब एक माह से वह अत्यधिक परेशान और अवसाद में थे। उन्हें अक्सर तकादा करने वालों का फोन आता था। प्रदीप की पत्नी सोमा मंडल ने बताया की विगत एक माह से उनका अवसाद का इलाज भी चल रहा था। प्रदीप की एक बेटी श्वेता मंडल है।

अन्य सहयोगियों ने दबी जुबान से बताया की पिछले छह माह से वेतन नहीं मिला था। बताया गया है कि उनकी प्रतिमाह सैलरी 90 हजार रुपये बताई गई है। इस तरह पिछले छह माह से उनके वेतन के कुल 5, 40,000 रुपये बकाया थे। माली हालत ख़राब चल रही थी। वहीं बेटी की पढाई के खर्चे को देखते हुए वह लाखों रुपए के कर्जदार भी हो गए थे। इसी कारण उनकी सेहत भी ढलने लगी थी। सहयोगी प्रभात तिवारी ने बताया की मंगलवार सुबह से ही वह तनावग्रस्त थे। 

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