यह चौथा महीना है कि बिना वेतन के सहारा के कर्मचारी किसी तरह दिन गुजार रहे हैं। हलांकि कर्मचारियों के घेराव के दौरान मालिक जयव्रत राय ने पूरी गारंटी दी थी कि अप्रैल से वेतन की समस्या पटरी पर आ जाएगी लेकिन कम्पनी के सीईओ के रुख से तो ऐसा नहीं लग रहा है।
कर्मचारियों में संशय है कि अब उनके तीन महीने के बकाया वेतन का क्या होगा ? सूत्रों का कहना है कि संस्था बकाया वेतन देने वाली नहीं है । बहुत दबाव पड़ने पर कंपनी पीएफ में डाल दे तो बात और है। इस बात में दम भी है क्योंकि जब संस्था ने उन लोगों का फुल और फाइनल पेमेंट नहीं किया है, जिन्होंने नौकरी छोड़ दी है तो बाकी के बारे में सहानुभूति की संभावना कहां बचती है।
इन सबके बीच प्रबंधन नीचता पर उतर आया है । दबंगों पर तो संपादक की चलती नहीं, सीधे सादे लोगों पर अत्याचार जारी है । एक एक दिन न आने पर फोन करके बुलाया जाता है । अवकाश के एक दिन का भी नागा हो जाने पर नोटिस भेज दी जाती है । कर्मचारियों का टोटा होने के बावजूद एक कर्मचारी का वाराणसी से इलाहाबाद तबादला कर दिया गया । कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन अधिकारियों की सुविधाएं वैसे ही परवान चढ़ रही हैं । अधिकारियों को अवकाश पर नहीं बुलाया जाता है। वो छुट्टी पर छुट्टी बढ़ाते जाते हैं । लगता है कि वे कर्मचारियों के विरोध का सामना नहीं करना चाहते हैं।
Comments on “दो की बलि लेकर भी कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रहे सहारा वाले”
सहारा शुरू से ही कर्मचारी विरोधी रहा है । यहाँ सबसे नीचे स्तर के कर्मचारी का वेतन १५/२०हजार है तो सबसे बडे उपेन्द्र राय का ९६ लाख रुपये । बहुत से अधिकारियो जैसे गोविंद दीक्षित और लक्ष्मी नारायण शीतल के पास सालों से काम ही नही है । संकट की घडी मे सेनापति खुद हदियार उठाता है लकिन यहाँअधिकारी केबिन छोड़ना ही नही चाहते ।
कर्मचारीओ को तो सहारा हमेशा से अपना परिवार बोलकर इमोशनली ब्लैकमेल करता रहा है. इसलिए चार महीने से सैलरी ना मिलने पर भी कर्मचारी खुलकर विरोध नहीं kar paa रहा hain.