अपने संस्थान के मीडिया कर्मियों की सैलरी में वृद्धि और समय से भुगतान को लेकर राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन की नीयत में खोट है। लोगों की आंखों में धूल झोकने के लिए वह सरकार से लेकर अपने कर्मचारियों के बीच तक घड़ियाली आंसू बहाता घूम रहा है। इसके ढोंग का कुछ प्रामाणिक सूचनाओं से चौंकाने वाला ताजा खुलासा हुआ है। सहारा प्रबंधन कह रहा है कि अखबार घाटे में है, जबकि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक उसके एक माह यानी मार्च में ही 5 करोड़ 71 लाख रुपए की शुद्ध कमाई सिर्फ विज्ञापनों से हुई है। प्रसार आदि मदों से होने वाली मासिक आय इसके अतिरिक्त बताई गई है।
बताया गया है राष्ट्रीय सहारा अखबार को उसकी पटना यूनिट से 1.66 करोड़ रुपए, नोएडा से 1.48 करोड़, लखनऊ से 90 लाख, गोरखपुर से 55 लाख, देहरादून से 42 लाख, कानपुर से 38 लाख और वाराणसी यूनिट से 32 लाख रुपए की आय सिर्फ विज्ञापनों के माध्यम से हुई है। एक माह में उसने विज्ञापनों से कुल 05 करोड़ 71 लाख रुपए की कमाई की है।
इसके बावजूद सहारा के मालिकान झूठ बोल रहे हैं कि कंपनी के पास पैसा नहीं है। मीडिया कर्मियों के लिए मार्च माह की सैलरी का जो पैसा मालिकानों ने दिया था, उसमें से अधिकारियों ने पचास प्रतिशत राशि अपने लिए दबाकर रख ली। उसमें से अकेले जयव्रत राय ने ही पचास लाख रुपए अपने लिए रख लिए। शेष आधी राशि ही कर्मचारियों को सैलरी के रूप में दी गई।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
एक कर्मचारी
April 13, 2015 at 8:36 am
सहारा घाटे में नहीं है घाटा दिखाया जाता है । इनका बस चले तो कर्मचारी को एक दमडी न दे । ये है अपने को विश्व का सबसे बडा परिवार कहने वालो का अर्ध सत्य । कोर्ट रिसीवर बैठा तो पूरा सच देश के सामने आ जाएगा ।