Soumitra Roy-
कश्मीर में फ़ोटो जर्नलिस्ट सज्जाद गुल को सरकार विरोधी रैली की फ़ोटो अपलोड करने पर गिरफ़्तार कर लिया गया। अधिकांश मीडिया में ख़बर ही गायब है।
9 दिन बाद कोर्ट ने सज्जाद गुल को ज़मानत दे दी। इसके फौरन बाद हत्या के प्रयास का एक FIR उनके खिलाफ करवाया गया, ताकि रिहाई न हो सके।
यह कानून की मूल भावना के ख़िलाफ़ है, क्योंकि उन्हें ज़मानत मिल चुकी है।
कश्मीर में अगर सब-कुछ ठीक है, अमन-चैन है तो फिर अमित शाह का गृह मंत्रालय प्रेस का गला क्यों दबा रहा है?
अगर इसके पीछे भी मकसद नोयडा के दलाल मीडिया की तरह अघोषित प्रेस सेंसरशिप है तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है।
कश्मीर मामले पर सरकार जितना परदा डालेगी, दुनियाभर की प्रेस उतना ही खाल उधेड़ेगी।
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भड़ास निस्सन्देह पत्रकारिता के मौजूदा पतनशील दौर मे उम्मीद की रौशनी की तरह है, जो सही बात, सही तथ्य और तदनुरुप कथ्य से हमें रुबरु कराती है. शुभकामनाएं!