सलमान केस का मुख्य गवाह सिपाही रविन्द्र पाटिल एक निहायत ही बेवक़ूफ़ इंसान था। उसकी ईमानदारी ने उसकी नौकरी ली, जेल जाना पड़ा, भीख मांगनी पड़ी, फिर बिना इलाज के अस्पताल में एड़ी रगड़ रगड़ के मरना पड़ा। अरे उसे भी सलमान खान से करोड़ रुपये ले लेने चाहिए थे और ऐश से ज़िन्दगी काटनी चाहिए थी।
ईमानदारी दिखा कर उसे क्या मिला? क्या उसे भारत रत्न मिला? नहीं न, उलटे उसे जेल और मौत मिली। मरहूम पाटिल तुम एक बेवक़ूफ़ इंसान थे, इस देश में ईमानदारी की कोई कीमत नहीं है, यहाँ उसी का डंडा चलता है जिसकी जेब में पैसा और पावर हो। कोई फायदा नहीं सत्यवादी हरिश्चंद्र बनने का, वो सब किताबों में ही अच्छा लगता है।
मरहूम दोस्त, काश तुमने भी अपना ईमान बेच दिया होता, जैसे आजकल सब बेच रहे हैं, तो आज तुम दरोगा भी बन गए होते और करोड़ रुपये से ऐश भी हो रही होती, जिनके लिए तुमने अपनी जान दी, वो तो आज मस्त ज़िन्दगी जी रहे हैं और तुम बेकार में ही ईमानदारी दिखा कर चले गए। तुम्हे कोई नहीं याद करेगा कभी, क्योंकि तुम सिस्टम के साथ नहीं चले।
जफर इरशाद के एफबी वॉल से
Comments on “ओए रविंद्र पाटिल, तू तो बेवकूफ था रे, एड़ी रगड़ रगड़ के मर गया”
Well said, Irshad Bhai