ढोंगी सतपाल महाराज और सात्विक मोरारी बापू

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Rajiv Nayan Bahuguna : आजकल बीमार होने के फलस्वरूप अपने माता -पिता के साथ हूँ। जबरन धार्मिक चैनल सुनने-देखने पड़ते हैं। कई तरह के रंगे सियार सुबह सुबह हुंक कर मेरा खून खौलाते हैं। सबसे ज्यादा क्रोध मिश्रित आश्चर्य मुझे अपने प्रदेश के सतपाल महाराज को देख-सुन कर होता है। वह अमल-धवल वस्त्र पहन कर आपसी भाईचारे, इमानदारी और सादगी का उपदेश देते हैं। खुद सम्पत्ति विवाद में अपने सगे भाई से लोहा ले चुके हैं, फेक नाम से अपनी पत्नी के मंत्री रहते गरीबों के लिए नियत अनुदान हड़प चुके हैं और अपने आत्मज की शादी में धन का अँधाधुंध भोंडा प्रदर्शन कर चुके हैं।

एक लड़का, जो मुझे अस्सी के दशक में स्वर्गाश्रम क्षेत्र में ठिठोली करता दीखता था, आजकल सफेद वस्त्रों में बाल-दाढ़ी बढ़ा कर स्त्रेण स्वर में उपदेश करता दीखता है। इन सबमें बर्दाश्त करने वाले सिर्फ मोरारी बापू हैं, जो चीखते नहीं, खादी पहनते हैं और बेसुरा नहीं गाते। यद्यपि उनके द्वारा स्वयं को बापू कहलाये जाने पर मुझे आपत्ति है क्योंकि वह गुजराती हैं और वहां बापू की संज्ञा सिर्फ महात्मा गांधी को दी गयी थी।

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट राजीव नयन बहुगुणा के फेसबुक वॉल से.



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Comments on “ढोंगी सतपाल महाराज और सात्विक मोरारी बापू

  • Nadan insan h ye reporter Thodi c pdhai krke khud ko is dunia ka exprt smjh lia thoda sa aur pdho bhai abi bhut kuch sikhna h tumne

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