Prabhat Dabral : संबित पात्रा और तारिक फ़तेह एक ही सिक्के के दो पहळू हैं। बस एक फर्क है। पात्रा जी दिन रात यहीं अपने देश में ही बवाल काटे रहते हैं जबकि तारिक़ साहेब यहां कभी कभार ही नमूदार होते हैं, खासकर तब जब सरकार थोड़ा परेशानी में हो और हिन्दुस्तानी मुस्लमानों को, या पाकिस्तान को किसी पाकिस्तानी से गलियां दिलवानी हों।
कई बार पाकिस्तानियों और हिन्दुस्तानी मुसलमानों को गरियाकर हिन्दू वोट कंसोलिडेट करने के प्रयासों में भी इनका इस्तेमाल होता है।
तारिक़ फ़तेह पाकिस्तानी ओरिजिन के है। कनाडा रहते हैं। ज़्यादातर हमारे चैनलों में ही दीखते हैं। खाते कमाते कहाँ से हैं ये हमें नहीं पता। एक ज़माने में पत्रकार थे।जहीन इंसान हैं। करीना को अपने बेटे का नाम तैमूर क्यों नहीं रखना चाहिए से लेकर बालाकोट और शाहीन बाग़ तक – हर मुद्दे पर पूरे अधिकार के साथ ज़ोर ज़ोर से बोलकर संबित पात्रा की याद दिलाने की कूव्वत रखते हैं।
तारेक फ़तेह किसी चैनल में दिखाई दें तो समझ लीजिये सरकार कुछ हिली हुई है। ऐसा ही जनरल विपिन रावत के साथ भी है। जब भी कहीं चुनाव हो रहे हों और जनरल साहेब पाकिस्तान को धमकाने लगे या वहां से किसी हमले की आशंका बताने लगें तो समझ लीजिये बीजेपी कुछ मुसीबत में है – देशभक्ति के तड़के की ज़रुरत पड़ रही है (हरियाणा और झारखण्ड को याद कीजिये।)
तो साहेबान, इस बार शाहीन बाग़ के बाद से ही तारेक साहेब हिन्दुस्तान में हैं और चैनल चैनल घूम रहे हैं। अब आप जनरल साहेब को भी सुनने को तैयार हो जाइये- आठ फरवरी (दिल्ली चुनाव ) ज़्यादा दूर थोड़े ही है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभात डबराल की एफबी वॉल से.