राज्यपाल के विरुद्ध क्या किसी खबर के प्रकाशन मात्र से देशद्रोह का मामला बनेगा? मद्रास हाईकोर्ट करेगा इस पर विचार… क्या किसी खबर या लेख के प्रकाशन मात्र से ही क्या राज्यपाल की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगा और यह धारा 124 आईपीसी(देशद्रोह) के तहत अपराध माना जायेगा? यह आजादी के बाद पहला मामला है, जिसमें उच्च न्यायालय इस बात पर विचार करेगा कि क्या किसी खबर या लेख के प्रकाशन मात्र से महामहिम राज्यपाल अपनी विधिसंगत शक्तियों और कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए उनपर अनुचित दबाव बनाया जा सकता है? मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन.आनंद वेंकटेश ने नकीरन के संपादक नकीरन गोपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
नकीरन गोपाल पर अपनी द्विमासिक तमिल पत्रिका नकेरन में तमिलनाडु के राज्यपाल के बारे में कथित रूप से फर्जी और अपमानजनक खबरें प्रकाशित करने का आरोप है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, एग्मोर के उस आदेश, जिसने उन्होंने नकीरन गोपाल को रिमांड करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था, को इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था।इसके बाद नकीरन गोपाल और अन्य ने इस संबंध में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर कीथी जिसपर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने उक्त टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में विचार करने के लिए निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई सामग्री आईपीसी की धारा 124 की शर्तों को पूरा करती है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक अन्य मुद्दा यह है कि, भले ही प्रकाशित समाचार दुर्भावनापूर्ण है और यह तमिलनाडु के राज्यपाल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन क्या वह आईपीसी की धारा 124 के तहत आतंकित शब्द की शर्तों को पूरा कर सकता है? इस मुद्दे को और भी बेहतर ढंग से समझने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 124 और धारा 353के प्रावधानों को देखा जा सकता है क्योंकि दोनों धाराओ की शर्तों में लगभग समान बातें है। बस अंतर इतना है कि धारा 353 लोक सेवकों पर लागू होती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा माणिक तनेजा और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य 2015, 7 एसएससी के फैसले में धारा 353 पर विचार किया गया है और यह कहा गया है कि फेसबुक में एक पोस्ट प्रकाशित करने को एक आपराधिक कृत्य या हमला नहीं कहा जा सकता है, हालांकि यह दुर्भावनापूर्ण हो सकता है ।
एक तमिल साप्ताहिक पत्रिका नकीरण के संपादक नकीरन गोपाल को मंगलवार 9 अक्टूबर 18 को तमिलनाडु राज भवन की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था ।यह शिकायत विरूधुनगर स्थित एक निजी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी के संबंध में प्रकाशित एक खबर को लेकर थी। तमिलनाडु की बहुचर्चित प्रोफेसर निर्मला देवी सेक्स स्कैंडल मामले में अपनी खबरों में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को कथित रूप से बदनाम करने के आरोप में गोपाल को चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया था । पत्रिका के कवर स्टोरी में कहा गया था कि निर्मला देवी ने सीबी सीआईडी को बताया था कि उसने चार बार राज्यपाल से मुलाकात की थी। इस लेख में सवाल उठाया गया कि राज्यपाल को जांच का हिस्सा क्यों नहीं बनाया गया?
59 साल के गोपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। विरुधुनगर जिले के देवंगार आर्ट्स कॉलेज की सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी को चार छात्राओं के आरोप के बाद गिरफ्तार किया गया था।छात्राओं ने निर्मला पर आरोप लगा कि वह अच्छे अंकों और पैसे का लालच देकर मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए कह रही थी। उन्होंने निर्मला देवी के साथ उनकी बातचीत के ऑडियो रिकॉर्डिंग भी पेश किए। रिकॉर्डिंग में निर्मला देवी ने दावा किया कि वह राज्यपाल समेत कई उच्च स्तरीय अधिकारियों को जानती हैं। उनके साथ मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी में ललित कला के पूर्व शोध छात्र करुपपासामी और उसी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर वी मुरुगन भी गिरफ्तार किए गए।
यह शिकायत विरूधुनगर स्थित एक निजी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी के संबंध में एक लेख को लेकर थी। निर्मला देवी को अधिकारियों की यौन तुष्टि के लिए छात्राओं को कथित रूप से उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। गोपाल की गिरफ्तारी के कारणों पर पुलिस अधिकारियों ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। इस संबंध में प्रतिक्रिया के लिए राज भवन के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका।
तमिलनाडु की बहुचर्चित प्रोफेसर निर्मला देवी सेक्स स्कैंडल मामले में अपने लेखों में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को कथित रूप से बदनाम करने के आरोप में गोपाल को चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पत्रिका के कवर स्टोरी में कहा गया कि निर्मला देवी ने सीबी सीआईडी को बताया था कि उसने चार बार राज्यपाल से मुलाकात की थी। इस लेख में सवाल उठाया गया कि राज्यपाल को जांच का हिस्सा क्यों नहीं बनाया गया?
नक्कीहीरन पत्रिका की कवर स्टोरी में ‘सेक्स फोर कैश’ घोटाले में राज्यपाल और आरोपी निर्मला देवी की तस्वीरें दिखाई हैं। गिरफ्तारी राज्यपाल के कार्यालय द्वारा की गई शिकायत पर आधारित है। 59 साल के गोपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। विरुधुनगर जिले के देवंगार आर्ट्स कॉलेज की सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी को चार छात्राओं के आरोप के बाद गिरफ्तार किया गया था।
निर्मला पर आरोप है कि वह महिला छात्राओं को मदुरैई कामराज यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए अच्छे नंबर और पैसों का लालच देती थी। छात्राओं ने निर्मला पर आरोप लगा कि वह अच्छे अंकों और पैसे का लालच देकर मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए कह रही थी। छात्राओं ने निर्मला देवी के साथ उनकी बातचीत के ऑडियो रिकॉर्डिंग भी पेश किए। रिकॉर्डिंग में निर्मला देवी ने दावा किया कि वह राज्यपाल समेत कई उच्च स्तरीय अधिकारियों को जानती हैं। उनके साथ मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी में ललित कला के पूर्व शोध छात्र करुपपासामी और उसी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर वी मुरुगन भी गिरफ्तार किए गए थे ।