जगदीश वर्मा ‘समंदर’–
नेकर पहने अधिकारी को लगी अपनी तौहीन, तो बीच सड़क पर हड़का दिया था पत्रकार
मथुरा । उत्तर प्रदेश की सरकारी गाड़ी में घूमते कुत्ते का फोटो खींचने पर निगम अधिकारी के गुस्से का शिकार हुये पत्रकार को कितना न्याय मिल पायेगा यह एक दो दिन में तय हो जायेगा । लेकिन यह घटना प्रशासनिक अधिकारियों की खत्म होती जवाबदेही और मीडिया के घटते प्रभाव को लेकर तमाम सवाल जरूर छोड़ जायेगी । कैसे कोई पढ़ालिखा अधिकारी अपनी कार्यशैली और गैरजिम्मेदारी पर सवाल उठाने वाले किसी भी नागरिक को भरी सड़क पर बेईज्जत कर सकता है । खासकर तब, जब वह नागरिक एक पत्रकार भी हो, जिसका काम ही सरकारी सिस्टम की गलतियों को उजागर करना है ।
बदलते समय में अखबारों से लेकर मुख्यमंत्री तक सिटीजन जनर्लिस्म की बात करते हैं । कई प्रदेश सरकारें सरकारी सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार, समस्याओं और अनियमितताओं को सामने लाने के लिये आम नागरिकों को जागरूक कर रही हैं । हैल्पलाईन नम्बर जारी किये गये हैं जिन पर अधिकारियों की कारगुजारी या शिकायत की वीडियो, फोटो भेजे जा सकते हैं । लेकिन ऐसा लगता है कि जनहित के नाम पर यह कवायद भी पूरी तरह दिखावटी है । ऐसी घटनायें जमीनी हकीकत बयान करने के लिये काफी है कि मौजूदा दौर में नौकरशाही और राजनीति दोनों ही जनता के सवालों के बदले में केवल अपना क्रोध ही दे सकती है।
घटनाक्रम के अनुसार बीती 29 सितम्बर की दोपहरी मथुरा के सिविल लाईन क्षेत्र में नगर निगम मथुरा की उत्तर प्रदेश सरकार लिखी हुई एक गाड़ी में कुत्ते को घूमते हुये देखा गया । यहीं एक पत्रकार दीपक चौधरी ने अपने मोबायल से सरकारी गाड़ी के दुरूपयोग का फोटो खींच लिया । यह देखकर नेकर-टीशर्ट पहले एक युवक तमतमाते हुये गाड़ी से नीचे उतर आया और पत्रकार का हाथ पकड़कर धमकाने लगा ।
पत्रकार से खींचतान और हाथापाई देखकर मौके पर मौजूद साथी पत्रकारों ने रोका तो युवक ने पहले खुद को एसडीएम बताया । बाद में पता चला कि नेकर-टीशर्ट पहने ये साहब तो नगर निगम मथुरा में सहायक नगर आयुक्त राजकुमार मित्तल हैं । जो कि गाड़ी में उनके साथ बैठे कुत्ते की फोटो खींचने से भयंकर नाराज हैं । भरी सड़क पर चोरों की तरह पत्रकार का हाथ पकड़े साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर था । युवक को धमकाते हुये उन्होने पूछा ‘तू पत्रकार है ? आईडी दिखा ।’ युवक ने अपना आईकार्ड दिखाया तो भी सहायक नगर आयुक्त का गुस्सा शांत नही हुआ । वे लगातार पत्रकारों को भला-बुरा बोलते रहे ।
इस अभद्रता के समय राष्ट्रीय पत्रकार संगठन के पदाधिकारी और मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुॅंच रखने वाले कई बड़े पत्रकार भी वहाँ मौजूद थे । लेकिन ऐसा लगा कि साहब की नजर में मीडिया की औकात ज्यादा नहीं थी । पत्रकारों ने बड़ी मुश्किल से साहब को मूढ़े पर बिठाया । उनकी गलती और पत्रकार का काम बताया । लेकिन साहब का गुस्सा शांत नहीं हुआ, वे पत्रकार की आईडी का फोटो खींचकर, देख लेने की धमकी देते हुये चले गये ।
पूरे मामले पर पीड़ित पत्रकार दीपक चौधरी का कहना था कि सहायक नगर आयुक्त ड्यूटी टाईम में निगम की गाड़ी में कुत्ता घुमा रहे थे, यह सरकारी गाड़ी और जनता के समय का दुरूपयोग है । जबकि मित्तल कहते दिखायी दिये कि ‘‘वे गाड़ी, पैट्रोल का पैसा भरते हैं और एक स्ट्रीट डॉग को वेटनरी कॉलेज में दिखा कर ला रहे थे । ऐसे छत्तीस पत्रकार घूमते हैं, कोई इस तरह सेे फोटो खींचेगा तो वे सबक सिखायेंगे ।’’
घटना के बाद पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी से मिलकर अपना रोष व्यक्त किया और अधिकारी के अभद्र व्यवहार पर कार्यवाही की माँग की । डीएम पुलकित खरे ने जिला सूचना कार्यालय से पत्रकार की तस्दीक करवाई । उसके बाद एडीएम प्रशासन, सीओ सिटी और जिला सूचना अधिकारी की तीन सदस्यीय जाँच समिति गठित कर दी । समिति संभवतया 8 अक्टूबर तक अपनी जाँच रिर्पोट जिलाधिकारी को सौंपेगी ।
एक जिम्मेदार पद पर बैठे उच्च शिक्षित अधिकारी की अभद्र भाषा शैली और व्यवहार को देखकर यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या आम जनता को सरकारी विभागों में मीठी बोली में न्याय मिल पाता होगा ? जिन अधिकारियों को पत्रकारों तक से बात करने की तमीज नहीं हो, जो धैर्य से अपनी बात नहीं रख सकते, खुद की गलती के बावजूद आपा खोकर बीच सड़क पर लोगों को धमकाते हों, वे आम जनता की समस्याओं को कितनी विनम्रता से सुनते होंगे ?
यह पत्रकारिता और पत्रकार संगठनों के लिये चिंता की बात है कि अगर पत्रकारों को इस तरह की अभद्रता और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ेगा तब वे कैसे अपना कार्य निर्भीकता से कर पायेंगे । उक्त घटनाक्रम में प्रशासनिक रवैया भी अधिकारी को बचाने वाला हो सकता है । नहीं तो प्रथम दृष्टया ही अधिकारी अभद्र व्यवहार और एसडीएम बनकर रौब झाड़ने का दोषी है । एक सामान्य नागरिक को भी बीच सड़क पर इस तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता । जबकि पत्रकार ने केवल अपना कार्य किया ।
मान्यता प्राप्त पत्रकारों के सामने सहायक नगर आयुक्त एक पत्रकार से परिचय पत्र मॉंगते रहे जबकि वे खुद पहनावे से अधिकारी नहीं दिख रहे थे । कुछ पत्रकारों ने यह प्रश्न किया तो साहब ने सरकारी गाड़ी का रोब दिखाया । ऐसे में लोगों को सरकारी गाड़ी में बैठा कुत्ता भी किसी अधिकारी की तरह ही दिखाई दिया ।
जिले के पत्रकारों में उक्त घटना को लेकर गुस्सा है । पत्रकार संगठनों के बड़े पत्रकार पूरे मामले की पैरवी कर रहे हैं । कई सामाजिक संगठन भी अधिकारी के विरोध में खड़े दिखायी दिये । जिलाधिकारी ने उचित कार्यवाही का भरोषा दिलाया है । पत्रकार के साथ हुये अपमानजनक व्यवहार में कितना न्याय मिल पाता है यह देखने वाली बात होगी ।
- जगदीश वर्मा ‘समंदर’
Rahul Sisodiya
October 12, 2022 at 9:09 pm
अपने आपको एसडीएम बताने वाला राजकुमार मित्तल एक दल्ला है दल्ला, ये दल्ला बड़े नेताओ अधिकारियों के तलवे चाटने वाला है। इसको पहले खुद के गिरेबां जाकर देखना था।
लेकिन किसी और से गिला शिकवा क्या करें अपने जात वाले ही अपनी कब्र खोदते है