नीरेंद्र नागर-
शिकायत करने पर काम तो होता है मगर सिस्टम नहीं बदलता… एक महीना पहले हम पड़ोस की स्टेट बैंक की शाखा में गए और पूछा कि क्या वहाँ लॉकर उपलब्ध हैं। पता चला कि लॉकर उपलब्ध तो है मगर उसके लिए SBI Life में इन्वेस्ट करना पड़ेगा। आप जानते होंगे कि SBI Life इंशॉरंस में डील करती है और इन स्कीमों में रिटर्न FD से बहुत कम होता है। हम पति-पत्नी दोनों रिटायर हो चुके हैं और आज की तारीख़ में बीमा से जुड़ी कोई योजना हमारे लिए लाभप्रद नहीं है। इसलिए हमने रुचि नहीं दिखाई। हमने कहा, हमारे FDs तो हैं इस ब्रांच में लेकिन अधिकारी ने उसे महत्व नहीं दिया।
नाउम्मीदी के बावजूद हमने ऐप्लिकेशन दे दी और वेटलिस्ट नंबर माँगा। RBI की ताज़ा गाइडलाइन के अनुसार अब बैंकों को अपनी लॉकर पज़िशन का डेटा मेनटेन करना होगा और आवेदकों की वेटलिस्ट सूची रखनी होगी और उन्हें वेटलिस्ट नंबर बताना होगा। लेकिन बैंक अधिकारी ने कहा, अब तक तो किसी ने वेटलिस्ट नंबर नहीं माँगा। उसने मांगने पर भी हमें वेटलिस्ट नंबर नहीं दिया।
मैंने घर आकर SBI की वेबसाइट पर शिकायत कर दी। RBI की गाइडलाइन का हवाला देते हुए पूछा – 1. क्या वेटलिस्ट नंबर देना ज़रूरी नहीं है? 2. क्या लॉकर पाने के लिए SBI Life में निवेश करना अनिवार्य है?
कुछ ही दिनों में हेडक्वॉर्टर से फ़ोन आया और हमसे कहा गया कि हम ब्रांच मैनेजर से मिलें। मैं जाकर ब्रांच मैनेजर से मिला। उसने मेरी बात सुनी और संबद्ध अधिकारी से जानकारी लेकर बताया कि प्रतीक्षा सूची में हमारा नाम तीसरे नंबर पर है और हमें कुछ ही दिनों में लॉकर मिल जाएगा। कल लॉकर मिल भी गया, बिना SBI Life में इन्वेस्ट किए।
यह पोस्ट मैं यह बताने के लिए लिख रहा हूँ कि सही जगह शिकायत करने पर आज भी काम हो जाता है। हाँ, यह अलग बात है कि इससे सिस्टम में सुधार नहीं होता। परसों जब हम लॉकर लेने गए थे तो वहाँ और भी लोग आए हुए थे और लॉकर अधिकारी उन सबके सामने लॉकर के एवज में SBI Life में निवेश करने की शर्त रख रहा था। एक छोटे लॉकर के बदले 50 हज़ार सालाना वाली कोई भी योजना। मेरी समझ से यह ग़ैरक़ानूनी है और SBI गाइडलाइन के विरुद्ध है। कोई पत्रकार चाहे तो इसपर और खोजबीन करके स्टोरी भी कर सकता है।