केरल पुलिस ने पिछले सप्ताह थिरुअनन्तपुरम के एक कॉलेज विद्यार्थी, सलमान को इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वे एक थिएटर में राष्ट्रगान बजने के समय बैठा हुआ था और गान समाप्त होने के बाद उसने शोर-शराबा किया।
जिन लोगों ने सलमान के खिलाफ शिकायत की है वे उसके कॉलेज के ही हैं। शिकायकर्ताओं का ये भी कहना है कि सलमान स्वयं को अराजकतावादी कहता है और उसने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में भारत का अपमान किया है जिससे उनकी भवनाएं आहत हुईं हैं।
सलमान ने स्वतंत्रता दिवस पर फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें उसने एक देशभक्ति गीत के कुछ शब्दों को हटा कर उनकी जगह अपशब्दों को लिख दिया। ये अभी साफ नहीं है कि शिकायतकर्ताओं को ये फेसबुक पोस्ट उनके द्वारा राष्ट्रगान संबंधी शिकायत करने के बाद मिली और उसे शिकायत में जोड़ दिया गया। बहरहाल, 20 अगस्त की मध्यरात्रि थंपानूर पुलिस ने सलमान को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया।
अगले दिन शाम को पुलिस ने सलमान के परिजनों को बताया कि उसके खिलाफ देशद्रोह के आरोप(आईपीसी धारा 124ए), आईटी अधिनियम की धारा 66ए और राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गयी है।
थंपानूर पुलिस का कहना है कि मामले की जांच साइबर सेल द्वारा की जा रही है और सलमान की फेसबुक पोस्ट को जांच के दायरे में ले लिया गया है। लेकिन पुलिस इस बात पर ख़ामोश है कि ऐसी क्या आपात स्थिति थी कि सलमान को मध्यरात्रि गिरफ्तार करना पड़ा।
सलमान के मित्रों ने पुलिस कार्यवाही का विरोध करने के लिए ‘justice for salman’ नाम से एक फेसबुक ग्रुप बनाया है। सलमान के साथी मित्र धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
सलमान के मित्रों का कहना है कि उस पर देशद्रोह का आरोप लगाना सरासर ग़लत है। भारतीय दण्ड संहिता की इस धारा को इतना विस्तार देना अनुचित होगा कि किसी नागरिक का उसके देश की आलोचना का अधिकार ही उससे छिन जाए। सलमान के मित्रों का कहना है कि वो निरंतर आदिवासी के मुद्दों और गैर-कानूनी रेत खनन के विरोध में सरकार को खिलाफ आवाज उठाता रहा है। संभवतः इसी वजह से वो पुलिस के रडार पर था औऱ मौका मिलते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
लेखक और पत्रकार बीआरपी भास्कर का कहना है कि वो सलमान से विचारों से सहमत नहीं हो सकते, लेकिन एक फेसबुक पोस्ट पर देशद्रोह का आरोप लगाना बेहूदगी के सिवा औऱ कुछ नहीं है।
सलमान की गिरफ्तारी ने ‘देशद्रोह’ किसे कहा जाए के विचार को फिर सामने ला दिया है, खासकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स की आभासी दुनिया में जहां हर कोई ये सोच कर अपने विचार और शिकायत सामने रखता है कि वो एक सुरक्षित जगह है।
गौरतलब है कि सितंबर 2012 में कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को भी ऐसे ही आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। असीम ने जन लोकपाल आंदोलन के दौरान और अपनी वेब साइट पर कुछ ऐसे कार्टून प्रदर्शित किए थे जिन्हे कुछ लेगों ने आपत्तिजनक माना था।
पिछले कुछ समय से इंटरनेट पर तथाकथित रूप से किछ भी ‘आपत्तिजनक’ शेयर करने या सिर्फ लाइक करने भर से पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने या चेतावनी देने के मामले बढ़े हैं। इस साल जून में ही गिरफ्तारी के दो ऐसे मामले सामने आए थे। एक एमबीए के छात्र को व्हाट्सएप्प पर तथाकथित रूप से ‘आपत्तिजनक संदेश’ भेजने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं दूसरे मामले में मुंबई के एक व्यक्ति को Goa+ फेसबुक ग्रुप पर मोदी के लिए टिप्पणी करने पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
इस महीने के शुरू में कर्नाटक की बेलगांव पुलिस ने नागरिकों के लिए चेतावनी जारी की थी कि जानबूझकर या अनजाने में, किसी भी रुप में ऐसा कोई भी चित्र, विडियो या संदेश किसी भी माध्यम से अपलोड करना, संशोधित करना, पुनःप्रेषित करना, पसंद करना जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हों आईटी अधिनियम और आईपीसी के तहत दण्डनीय है।
दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कर्नाटक सरकार ने कानून में संशोधन करते हुए आईटी अधिनियम, 2000 और भारतीय कॉपीराइट अधिनियम के तहत आने वाले अधिकतर अपराधों को गुण्डा अधिनियम में शामिल कर दिया है। अब पुलिस आईटी अधिनियम के अंतर्गत अपराध करने से पहले ही किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है।
पब्लिक फोरम में आवाज़ उठाने, आलोचना करने, व्यंग करने, असहमति व्यक्त करने पर शासन सत्ता द्वारा गिरफ्तार करना या चेतावनी देना लोगों के विरोध करने के मौलिक अधिकार को कुचलना है। इस पर बहस होना ज़रूरी है।
केपी सिंह। (चित्रः हथकड़ी पहने सलमान)