दिलीप मंडल-
पैसा सेठ का, और राजनीति आपकी! सेठ अपना काम कराने के लिए उनके आगे नाक रगड़ें, जो उसके ही पैसे पर पॉलिटिक्स करते हैं?
ये गांधी और नेहरू का मॉडल था। गांधी बिडला, बजाज, डालमिया, सेकसरिया, सिंघानिया आदि से पैसा लाते थे। ऊपर नेहरू बैठते थे।
जब तक ये चलना था चल गया। अब नहीं चल रहा है। सेठ अब सत्ता में अपना आदमी नहीं बिठाएगा। खुद बैठेगा। सेठ की भाषा सेठ समझता है।
मोदी, शाह, केजरीवाल लंबे समय के लिए आए हैं। आदत डाल लीजिए।
साउथ इसलिए अलग है क्योंकि साउथ के सेठ ज़्यादातर ओबीसी और वेलल्लार, कम्मा, रेड्डी, वोक्कालिगा, वेलम्मा आदि हैं। साउथ का मिडिल क्लास भी ज़्यादातर ओबीसी और मध्यवर्ती किसान जातियों से बना है।
उत्तर भारत में दलितों और ओबीसी के पास पैसा ही नहीं है। इनकी कोई बड़ी आईटी कंपनी नहीं है, बैंक नहीं है, 1000 करोड़ का कोई बिल्डर नहीं है, टीवी चैनल नहीं है।
उत्तर में जब सत्ता ओबीसी और दलितों के हाथ में आई थी तब इसे बदलने का एक मौक़ा था। वह चला गया। अगला मौक़ा जाने कब आए।
राज उसी का होगा, जिनके पास इलीट और मिडिल क्लास होगा।