Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

हालात इतने खराब हैं तो शेयर मार्केट कैसे पहुंचा ऐतिहासिक उंचाई पर!

Ashwini Kumar Srivastava-

कोरोना काल में शेयर बाजार क्यों चला उल्टी चाल! मार्च में धराशाई होने के कुछ ही दिनों बाद से उल्टी चाल चलकर अब पहुंच चुका है ऐतिहासिक ऊंचाई पर… देश का शेयर बाजार ऐतिहासिक ऊंचाइयों पर है…. लेकिन क्यों? इसके पक्ष में केवल दो ही जवाब मिल पा रहे हैं कि डॉलर कमजोर होने के कारण भारत के शेयर बाजार में विदेशी पूंजी का फ्लो बढ़ गया है… और कोरोना काल में 60 लाख से ज्यादा डीमैट खाते खोले गए हैं….

जबकि शेयर बाजार को ऐतिहासिक ऊंचाई के बजाय ऐतिहासिक धरातल पर क्यों होना चाहिए, इसके पक्ष में एक नहीं दर्जनों बड़े कारण गिनाए जा सकते हैं…. मसलन सरकार की कुल कमाई और उसके खर्च में इतना ज्यादा अंतर बढ़ चुका है कि अगर यह कहा जाए कि भारत सरकार उधार मांग मांग कर किसी तरह खर्च चला रही है तो गलत नहीं होगा. यही नहीं, कोरोना काल में फार्मा और एफएमसीजी जैसे चुनिंदा सेक्टर को छोड़कर उद्योग जगत के लगभग सभी सेक्टर्स की हालत खस्ता रही, जिसका सीधा असर शेयर बाजार पर यह पड़ना चाहिए था कि वह दिन ब दिन गोते खाता रहता लेकिन हो रहा है इसका ठीक उल्टा !!! इन बातों के अलावा भी तमाम अन्य आर्थिक आंकड़े साफ बता रहे हैं कि ऐतिहासिक ऊंचाई पाना तो दूर, शेयर बाजार को गिरने से बचाने लायक आर्थिक माहौल भी भारत में पिछले एक साल से नहीं है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसी आर्थिक बदहाली के डर से ही मार्च में जैसे ही दुनियाभर में कोरोना के चलते लॉक डाउन होना शुरु हुआ था , उसी वक्त भारत के शेयर बाजार में भी जबरदस्त गिरावट आनी शुरू हो गई थी …. जिस खराब आर्थिक माहौल का डर था, वह भारत में आया भी लेकिन शेयर बाजार ने मानों अचानक आर्थिक माहौल से प्रभावित होना ही बंद कर दिया.

जहां तक मेरा अनुमान है, शेयर बाजार की यह तेजी कृत्रिम है और खुदरा निवेशकों को इस तेजी में कमाने का लालच देकर उनका धन हड़पने के लिए शेयर बाजार के बड़े बड़े खिलाड़ियों ने इस तेजी को जन्म दिया है. ऐसा भी नहीं है कि खुदरा निवेशकों ने इस तेजी से कमाई नहीं की है लेकिन यह जरूर है कि जिस दिन यह तेजी अचानक उलट चाल चलते हुए मंदी में बदलने लगेगी, उसके बाद सिर्फ और सिर्फ खुदरा निवेशक ही इसका सबसे बड़ा शिकार होंगे…. क्योंकि बाजार की तेजी का ट्रेंड पलटी कब मारेगा और कितने नीचे तक जाएगा, यह खुदरा निवेशक समझ ही नहीं पाएंगे… और उन्हें शायद फिर लंबे समय तक अपना पैसा वापस निकालने का मौका भी नहीं मिल सकेगा या घाटे में ही उन्हें धन निकासी करनी होगी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहरहाल, अगर मेरा अनुमान सही है तो इसकी भी पूरी संभावना है कि बाजार इसी जनवरी से नीचे आने लगेगा. कोई बड़ी बात नहीं कि जनवरी में ही बाजार में कुछ बड़ी गिरावट भी देखने को मिले. इसके पीछे एक और वजह भी है. कोरोना की वैक्सीन इस वक्त विकसित देशों में लगाई जा रही है और जल्द ही वहां के उद्योग धंधे मजबूत होने लगेंगे. इससे डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा होने लगेगा. जाहिर है, इससे भारतीय शेयर बाजार पर गहरा दबाव बनेगा और यहां के आर्थिक जगत की दशा- दिशा और सरकार की आर्थिक सेहत का ही सीधा असर शेयर बाजार पर नजर आने लगेगा.

हालांकि वैक्सीन यहां भी जल्द से जल्द लगाए जाने की पूरी तैयारी सरकार कर ही चुकी है मगर यहां के उद्योग धंधों की हालत सिर्फ कोरोना के चलते खराब नहीं हुई है बल्कि पहले से ही खराब चल रही थी. लिहाजा वैक्सीन आने के बाद भी सरकार की तरफ से इसे खासी मदद या बढ़िया आर्थिक नीतियों की दरकार होगी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन सरकार देश की उद्योग जगत की मदद करने की बजाय बढ़ते राजस्व घाटे से जूझने में खुद अपने ही लिए मदद तलाशने में जुटी है. आंकड़े बताते हैं कि राजस्व घाटा 135 फीसदी तक बढ़ चुका है और इस बजट में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी यही है. सरकार के पास जितना खर्च का बिल आ रहा है, उसके मुकाबले में सरकार की कमाई बहुत ही दयनीय स्थिति में है.


Devendra Singh : यह पूरी तरह सट्टा बाजार में तब्दील हो चुका है, कोई भी तार्किक और बुद्धिमत्तापूर्ण अनुमान लगाना संभव नहीं रह गया है। अगर सभी सूचीबद्ध शेयरों को देखें और सेंसेक्स को देखें तो बात और भी स्पष्ट हो जाएगी। इसका आज की अर्थव्यवस्था से भी कोई लेना-देना नहीं रह गया है। यह किसी से या कहीं से निर्देशित होकर काम कर रहा है जैसे कि क्रिकेट में दूर बैठे सटोरिये हार-जीत निर्धारित करते हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ashwini Kumar Srivastava : बिल्कुल. शेयर बाजार को देश की आर्थिक दशा दिशा और कॉरपोरेट जगत की आर्थिक सेहत का आइना माना जाता है…. लेकिन यहां तो शेयर बाजार ऐसे बर्ताव कर रहा है मानों उसको अब इनमें से किसी से कोई मतलब ही नहीं है …. जाहिर है, ऐसा होना संभव नहीं है और कोई तो ऐसे सूत्रधार हैं, जिन्होंने शेयर बाजार को अपने नियंत्रण में ले लिया है… यह विदेशी खिलाड़ी हैं या देश के ही जाने माने दिग्गज, यह शायद ही कोई बता पाए मगर कुछ तो है, जो शेयर बाजार को उल्टी चाल चलने पर मजबूर कर रहा है….

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement