नीतेश त्रिपाठी-
अंडर वियर भी उतरवा लेनी चाहिए था, कहीं उसकी इलास्टिक से फांसी लगा लेते तो? गजब थेथरोलॉजी है भाई…
चंदन राय-
अजब मध्य प्रदेश पुलिस का गजब बयान
सवाल- आपने थाने में पत्रकार व उनके सहयोगियों के कपड़े क्यों उतरवाए?
सीधी पुलिस का जवाब – ‘कोई न्यूड नहीं है, सभी ने अंडरवियर पहने हुए है, कोई फांसी ना लगा ले, ये सुरक्षा की दृष्टि से कदम उठाया’
प्रशांत पाठक-
सीधी के सीधे साधे नए भारत के निर्माण में सक्रिय स्वयसेवक की सफाई आई है (पूरी इज्जत उतारने के मामले में) सफाई भी बेहद दिलचस्प…
कुछ दिन पहले थाने में एक आदमी के खिलाफ FIR दर्ज़ हुई थी। यह आदमी फर्जी ID बनाकर प्रतिष्ठित लोगों को अपशब्द बोलता था। आरोपी की तरफ से 25-30 लोगों ने थाने के सामने प्रदर्शन किया। इन लोगों को हवालात में डाल दिया। इनमें से एक ही पत्रकार है जो यूट्यूब पर काम करता है।
पकड़े हुए लोग पूरे नग्न नहीं थे। हम सुरक्षा की दृष्टी से उनको हवालात में अंडरवियर में रखते हैं जिससे कोई व्यक्ति अपने कपड़ों से खुद को फांसी न लगा ले। सुरक्षा की वजह से हम उनको ऐसे रखते हैं।
-मध्य प्रदेश के सीधी में थाने में पत्रकार को आधा नंगा रखने के मुद्दे पर SHO मनोज सोनी
ऐसा शर्मनाक दृश्य देश ने पहली बार देखा है!
कृष्ण भानु-
पत्रकारों के लिए इससे बुरा वक़्त और क्या होगा। ये सब मध्य प्रदेश के सोशल मीडिया पत्रकार हैं। अब पत्रकार तो पत्रकार ही है, चाहे वह अख़बार का हो, इलेक्ट्रॉनिक का या सोशल मीडिया का हो।
एक भाजपा विधायक की ख़बर क्या चलाई कि ‘सीधी’ थाना की पुलिस ने उन्हें धर दबोचा और नंगा करके थाने में बिठा दिया। एमपी के मुख्यमंत्री तक जब ख़बर पहुंची तो थाना इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया।
बस, हो गया इंसाफ? नंगई तो नंगई है। पत्रकारों के साथ इस घृणित नंगई का मूल्य सरकार को कभी तो चुकाना ही होगा।
मध्य प्रदेश में पत्रकारिता की लाज सरे-बाजार लुटती रही और “देश” देखता रहा। अब भी “देश” चुपचाप देख रहा है। ऐसा शर्मनाक दृश्य “देश” ने पहली बार देखा है। अब ऐसे-ऐसे दिन देखना भी बाकी थे।
पत्रकारों के लिए यह आत्मचिंतन का समय है।
अमित कुमार-
एमपी के सीधी थाने में चौथे स्तंभ का चीर हरण हुआ है। बीजेपी विधायक के इशारे पर पत्रकारों को अर्धनग्न कर उनकी परेड कराई गई।
मैं इस घटना की घोर निंदा करता हूं और दोषी पुलिस कर्मियों को ‘गोला-लाठी’ और उसकी वीडियो बनाकर वायरल करने की सज़ा दिए जाने की मांग करता हूं, ताकि ख़ाकी की हनक और नेताओं के तलवे चाटने वाले इस तरह से अमानवीय हरक़त करने से पहले 100 बार सोचे।
साथ ही ‘मामले की जांच’ और ‘किन क़ायदे-कानून के तहत ऐसा किया गया’ कहकर कर्मकांडी पुलिस वालों का बचाव करने वाले एसएसपी को भी तत्काल सस्पेंड करने की मांग करता हूं।