राजेश यादव-
अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक समाचार से मर्माहत हूं। दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक जागरण, जनसत्ता, वीर अर्जुन सहित कई अखबारों में कार्यरत रहे पत्रकारिता में मेरे गुरु श्री शिशिर द्विवेदी सर का लखनऊ में निधन हो गया है।
दैनिक भास्कर में सर से जुड़ी अनगिनत स्मृतियां फ़िल्म की रील की तरह आज अचानक घूम गईं। उनके मार्गदर्शन में शायद आजतक का सबसे अच्छा दैनिक भास्कर निकला। अखबार के दफ्तर में सर की खुशी और नाराजगी का पता उनके संबोधन से लग जाता था। जब प्रसन्न होते तो राजेशवा कह कर बुलाते थे। किसी बात से नाराज होते तो यादव जी कह कर पुकारते थे। उनकी दी हुई हेडिंग अगले दिन पूरे शहर की जुबान पर रहती। इंट्रो को तो वे खबर की आत्मा मानते थे।
अक्सर बड़ी ख़बर लिखने के बाद मैं ख़बर की हेडिंग सर से ही लगवाता था। मुझे याद है सर ने एक दिन मुझे सुबह ही फ़ोन कर प्रेस में बुलाया। मैं पहुँचा तो सर एक बुज़ुर्ग के साथ दफ्तर में बैठे हुए थे। मेरे पहुंचते ही कहा कि राजेश ये बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी हैं। इन्हें इनके ही बच्चों ने घर से निकाल दिया है।मुझे पूरा विश्वास है कि तुम्हारी लिखी ख़बर इनको जरूर न्याय दिलवा सकेगी। मैंने उन बुजुर्ग और उनके बेटों से बात कर और तथ्यों का पता लगाकर एक मार्मिक समाचार लिखा। सर ने इस खबर की हेडिंग लगाई” सिंहों से जीते हम, मृग छौनों से हारे”।
खबर छपते ही दूसरे दिन बुजुर्ग के बेटे क्षमा मांगकर उन्हें वापस घर ले गए। महाराष्ट्र के तत्कालीन एक दबंग मंत्री के फार्म हाउस में रेव पार्टी की मेरी खबर को स्थान देने के लिए दैनिक भास्कर के इतिहास में पहली बार स्टॉप प्रेस का आदेश देकर रात 3 बजे खबर को जगह देने का जिगर केवल द्विवेदी सर ही कर सकते थे।आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें सर का योगदान सबसे ज्यादा है। बहुत याद आएंगे सर। विनम्र श्रद्धांजलि।