बिहार में मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने में बिहार सरकार फिसड्डी… बिहार श्रम संसाधन विभाग का मुख्यालय पटना के नियोजन भवन में है। बीते दिनों यहां पत्रकारों और न्यूज पेपर्स कर्मियों का जमावड़ा हुआ था। इसके पहले पूरे शहर में चर्चा आम थी कि बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा का कुछ समाचार पत्रों के मालिकों के प्रति अचानक प्रेम पैदा हो गया है। इसके चलते मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अब किसी भी संस्थान के उच्चस्थ अधिकारी या मालिक को पार्टी नहीं बनने दिया जाएगा। यही नहीं, इस मामले में जो पहले से पार्टी बन चुके हैं उसमें भी सुधार किया जाएगा।
इन चर्चाओं से मीडियाकर्मियों के कान खड़े हो गए। लोग तरह तरह की बात करने लगे कि मंत्री महोदय के मीडिया मालिकों के प्रति अचानक उमड़े इस प्रेम के पीछ कौन सी डील है? बाद में मंत्री के आदेश से विभागीय अधिकारियों ने एक आदेश निर्गत किया कि समाचार पत्रों के मालिकों या उनके द्वारा अधिकृत पदाधिकारियों से मंत्री जी 31 अक्टूबर को दो बजे दिन में बैठक करेंगे।
जैसे ही दो बजने को हुआ, लगभग दो सौ से भी ज्यादा पत्रकार और न्यूज पेपर्स कर्मियों ने मंत्री के चेंबर को घेर लिया। मंत्री ने समय रहते इस मुसीबत को भांप लिया और आनन-फानन में मीडियाकर्मियों से बात करने को राजी हो गए। न्यूज़ पेपर्स के प्रतिनिधि भाग निकले और बाद में मंत्री की लाज रखने निचले स्तर के कुछ लोग बाद में मालिकों के प्रतिनिधि के रूप में आए और बैठक की औपचारिकता पूरी की।
पत्रकारों और गैर-पत्रकार कर्मियों के साथ बातचीत की शुरुआत करते हुए बिहार पत्रकार संघ के महासचिव दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि मजीठिया मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के सुपरवीजन में श्रम न्यायालय में हो रही है और इस मामले में कोई हस्तक्षेप करने का अधिकार मंत्री को नहीं है और ऐसा करना न्यायालय का अवमानना है। श्री सिंह ने यह भी कहा कि एचटी प्रबंधन के लोग शोभना भरतीया को पार्टी बनाने के खिलाफ कोर्ट गए थे और उनको कोर्ट नहीं सुना। जिसे हाई कोर्ट ने भी नहीं सुना, उसे मंत्री सुनेगा? सुप्रीम कोर्ट बड़ा है या मंत्री बड़ा है? यह सब सुनकर मंत्री की बोली लपटाने लगी।
मंत्री ने कहा कि सरकार का काम सबको सुनना है। इसके जवाब में जब बिहार पत्रकार संघ के अध्यक्ष आलोक बिहारी करन ने कहा कि सरकार का काम श्रमिकों के हित को प्रोटेक्ट करना है, न कि मैनेजमेंट की तरफदारी। जब श्रम विभाग ने मिली शिकायतों के आधार पर एचटी मीडिया प्रबंधन से यह जानना चाहा कि आपने मजीठिया लागू किया है तो उसके कागजात उपलब्ध कराएं। इसके खिलाफ एचटी प्रबंधन हाईकोर्ट चला गया और वहां हार गए। इस पर श्रम संसाधन विभाग ने क्या किया? उसे कार्रवाई शुरू करनी चाहिए थी मगर चुप्प लगा दी।
श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव प्रेम कुमार और आल बिहार यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स के एसएस श्याम ने बिहार जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के महासचिव दिनेश कुमार सिंह का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार का दायित्व है कि मजीठिया मांगने वालों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सख्त से सख्त करें। लेकिल लोग मजीठिया मांगते हटा दिए जा रहे हैं और श्रम विभाग के हाथ न जाने किसके दबाव में बंधे रहने जा रहे हैं।