श्री न्यूज प्रबंधन कर्मचारियों के तीन महीने से बकाए वेतन को लेकर चारों तरफ से घिर चुका है. नोएडा दफ्तर से लेकर लखनऊ दफ्तर तक कर्मचारियों ने कोहराम मचा दिया है. एक तरफ जहां नोएडा दफ्तर के पचास कर्मचारियों ने लेबर कमिश्नर के यहां शिकायत की है वहीं शुक्रवार को लखनऊ दफ्तर में वरिष्ठ पत्रकार गोविंद पंत राजू के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों हंगामा किया. बताया जा रहा है कि प्रबंधन ने गोविंद पंत के साथ बदसलूकी की है, जिसको लेकर लखनऊ में हंगाम खड़ा हो गया. गोविंद पंत ने इसकी शिकायत मंत्री आजम खां से की. आजम खां ने सारी जानकारी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दी. खबर है कि देर रात मुख्यमंत्री ने श्री न्यूज प्रबंधन से बात की है और सबका बकाया क्लीयर करने को कहा है.
नोएडा दफ्तर के पचास से अधिक कर्मचारियों ने कुछ दिन पहले लेबर कमिश्नर के यहां जो शिकायत की थी उसकी जानकारी भी मुख्यमंत्री ने ली है. कुछ कर्मचारियों का बकाया लेबर कमिश्नर के दबाव में क्लियर किया गया था. वहीं कुछ छोड़ चुके कर्मचारियों को विगत दो महीने से चेक देकर बरगलाया जा रहा है. चेक बार-बार बाउन्स हो रहे हैं. इन कर्मचारियों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. खबर है कि चैनल के तमाम स्ट्रिंगरो ने भी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
चैनल के मालिक मनोज द्विवेदी ने चैनल बंद करने का मन बना लिया है. चूंकि मनोज द्विवेदी रियल एस्टेट के जाने-माने चेहरे हैं इसलिए वो नहीं चाहते कि किसी तरह का विवाद हो और उनकी साख दांव पर लगे. जिस तरह उन्होंने इस चैनल पर पैसा खर्च किया है उतने में श्री न्यूज की तरह पांच चैनल खड़े हो सकते थे। लेकिन चैनल की सीईओ अल्विना कासिम के अड़ियल रूख के कारण चैनल और मालिक की साख गिर रही है. चूंकि अब मामला राज्य सरकार तक पहुंच गया है इसलिए मालिक नहीं चाहते कि किसी तरह का विवाद सरकार से हो क्योंकि अखिलेश सरकार ने मनोज द्विवेदी को कई प्रोजेक्ट दिए हैं.
पिछले दो दिनों से मनोज द्विवेदी बैठक कर रहे हैं कि कैसे इन सारे विवादों से निपटा जाए. खबर है कि उन्होंने सबका बकाया क्लियर कर चैनल पर ताला लटकाने का फरमान जारी कर दिया है लेकिन सीईओ अल्विना कासिम और प्रशांत द्विवेदी चाहते हैं किसी तरह चैनल चलता रहे ताकि उनकी साख में कोई कमी न हो. चैनल की हालत ये है कि इंटर्न के भरोसे चल रहा है. स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि ग्राफिक्स और एडिटिंग में सारे इंटर्न ही हैं. आउटपुट में दो-चार लोग बचे हैं, जिनको कभी दो हजार तो कभी तीन हजार रूपया पकड़ा कर ये आश्वासन दिया जा रहा है कि स्थिति सुधर जाएगी. वो भी लाचार हैं क्योकि कहीं नौकरी मिल नहीं रही हैं. अब चारों तरफ से घिर चुके श्री न्यूज प्रबंधन का अगला कदम क्या होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हैं.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
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rajeev agra
July 28, 2014 at 11:43 am
humare be rs nhe mele hai