समरेंद्र सिंह-
चुनाव कोई खेल नहीं है। राज काज खेल होता भी नहीं है। ये अपने आप में एक विज्ञान है। और इसमें वैज्ञानिक तकनीकों का भरपूर इस्तेमाल होता है। वैज्ञानिक तरीके से डेटा जमा किए जाते हैं। क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर के हिसाब से मुद्दे चुने जाते हैं। उम्मीदवार चुने जाते हैं। जहां उम्मीदवार कमजोर होते हैं वहां उम्मीदवार तोड़े और जोड़े जाते हैं। इसलिए जो ज्यादा सक्षम हैं, वैज्ञानिक साजो सामान से लैस हैं, जिनके पास सोचने समझने वालों की टीम है, उनके जीतने की उम्मीद बढ़ जाती है।
फिर सवाल उठता है कि ऐसे में छोटे दलों को करना चाहिए। खम ठोक कर लड़ना चाहिए। जमीनी संघर्ष का कोई तोड़ नहीं है। बशर्ते नेता अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का हौसला जुटा सके।
अभी अखिलेश यादव को मैंने सुना कि उत्तर प्रदेश की हार को अपनी जीत बता रहे हैं। वो गलत हैं। इस चुनाव में कुछ नए समीकरण तैयार हुए हैं। कुछ नए डेटा मिले हैं। लोकसभा चुनाव से पहले अगर ओम प्रकाश राजभर पलट गए तब क्या होगा? जयंत चौधरी बीजेपी से जुड़ गए तब क्या होगा?
इसलिए राजनीति करने वाले राजनीति करते हैं। सभी युवराज साम्राज्य स्थापित करें ये जरूरी नहीं। माद्दा होना चाहिए। दृष्टिकोण होना चाहिए। जिद और जुनून होना चाहिए। गर्मी बढ़ रही है। लंदन जाने का समय हो गया है। युवराज लोग थक गए हैं। आराम का वक्त हो गया है। भांट स्तुतिगान में जुटेंगे। युवराज मौज करेंगे।