
Alok Kumar : डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के चकाचौंध से चौंधियाए भाई लोग इसे आखिरी मान कर आलोचना में तमाम ऊर्जा को उड़ेल मत देना.आलोचना – प्रत्यालोचना को बचाए रखना क्योंकि हाल फिलहाल ही अंदरूनी सियासत में इससे बड़ा घटने वाला है. इससे भी बड़े मौके आने वाले हैं. मौके की तैयारी मुक़म्मल हो रही है.
खबर है कि इधर ट्रम्प लौटकर अमेरिका पहुंचे नहीं होंगे और घरेलू सियासी तुरुप के पत्ते तेज़ी से फेंटे जायेंगे. हौले हौले से राज्यों की सियासत के करवट बदलने का सिलसिला तेज हो जाएगा. बारी बारी से एक -दो नहीं बल्कि एक साथ कई राज्यों को बड़े सियासी बबंडर से गुजारा जाएगा. इसके मंचन की पूरी तैयारी है. यह संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिहाज से खास होगा. क्योंकि सहज़ शासन के लिए राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या को बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है.
तैयारी के हिसाब से संभव है कि सियासी नाटक इतना ज्यादा बड़ा हो कि उसकी तुलना में गोवा और कर्नाटक की कहानी लघु और पुरानी पड़ जाए. ओड़िशा और आंध्रप्रदेश में भाजपा अपने हिस्से से ज्यादा राज्यसभा सीट लेगी इसके लिए नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी तैयार हैं. सियासी नाटक के असली मंचन की जरुरत महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में है. इसे लेकर दांतों तले अंगुली दबाने वाली कोई बात हो जाए तो चौंकने से संकुचाईयेगा मत.
दृश्य एक की तैयारी के मुताबिक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बड़ा गुल खिलाने वाले हैं.वह भाई राज की सक्रियता से सहमे हुए हैं. दबाव में सौदे की मेज पर आ बैठे हैं.बेटे आदित्य ठाकरे का भविष्य सुरक्षित होने की ताकीद के साथ ही वह किसी भी घड़ी दिल्ली के मेगा शो में भरत मिलाप का दृश्य फिल्माने वाले हैं.
ट्रम्प की विदाई के बाद उद्धव की अयोध्या में मत्था टेकने की योजना है. संजय ने इसे बयां कर दिया है.7 मार्च को तय इस अभियान से वह सुर्खियों में छाने वाले है. सियासी तड़का लगाने वाले लोग काम पर लगे हैं. तलवार सिर पर लटकाया गया है, उद्धव वापसी के रास्ते पर नहीं आए तो राज ठाकरे को भगवान राम का बड़ा भक्त साबित करने की तैयारी होगी.
दृश्य दो – मध्य प्रदेश में कुम्हलाए कमल का नया कर्णधार तय हो रहा है. नए गुल से राजमाता सिंधिया की संतति को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना दिन ब दिन मजबूत हो रही है.अंजाम के बदले में भाजपा को मध्य प्रदेश से ज्यादा राज्यसभा सीट मिल जाय. मार्च में राज्यसभा चुनाव से पहले ही सब तय होना है.
दृश्य तीन – झारखण्ड के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री पर निशाना है. राज्यसभा की महज़ एक-दो ज्यादा सीट लेने के लिए झारखण्ड में बड़ा उलट फेर होने की संभावना है. संभव है कि वहां गठबंधन ही बदल जाए. मुख्यमंत्री तो हेमंत बने रहें लेकिन 2015 में रघुवर दास के मुख्यमंत्री बनने से पहले की स्थिति फिर से बहाल हो जाए.
दृश्य चार – यह ज्यादा हंगामेदार होगा. कोलकाता से एक सीट भाजपा को मिल जाए, इसका इंतजाम जारी है. सफल हुआ तो संभव है, वो नज़र आए जिसे असली सियासत कहते हैं. बिहार में नीतीश के पुचकार के पीछे फिलहाल राज्यसभा चुनाव को ही पढ़िए.
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार आलोक कुमार की एफबी वॉल से.