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सियासत

कहाँ पढ़ लिया आपने कि सोनिया गाँधी बार डांसर थीं?

रीवा सिंह-

फ़ैक्ट्स और फ़िगर्स को फ़िलहाल रामगढ़ ताल में बहा दें, सोनिया गाँधी बार डांसर थीं या नहीं इसपर बात ही नहीं करनी। मुझे इस सुसंस्कृत समाज के सभ्यतम महानुभावों से यह जानकर अभिभूत होना है कि बार डांसर होना कितना ख़राब होता है?
कौन-सा दर्जा रखते हैं आपलोग बार डांसर के लिये? क्या पैमाना होता है निकृष्टता मापने का जिसमें एक बार डांसर सरीखा कोई और फ़िट नहीं होता।

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भारतवर्ष की बहू या बेटी वो बाद में होंगी, पहले एक व्यक्ति हैं, एक स्त्री हैं जिसके जन्मदिन को कलुषित करने का नायाब तरीका आपने ढूंढा और उन्हें बार डांसर की संज्ञा से विभूषित किया।

बार डांसर क्या करती है कि उसे अपमान का पात्र माना जाना चाहिए और अपशब्द बनाकर समाज के माथे पर चस्पा कर दिया जाना चाहिए! अपनी क्षुधा के लिये काम करना कबसे घटिया माना जाने लगा? बार में डांस करना ग़ैर कानूनी तो घोषित नहीं हुआ न! फटी बनियान पहनने वाले ट्रोल्स को छोड़ दें तो भी शहर के रईस लोग भी बार में, पब में ख़ूब डांस करते हैं। यह उनके लिये आनंद का द्योतक होता है। एक ‘बार डांसर’ वही काम पैसे के लिये करती है, कई बार विवश होकर करती है लेकिन इससे आप उसके इस कृत्य को बतौर प्रोफ़ेशन दरकिनार नहीं कर सकते। यह उसकी आजीविका का साधन है।

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आप दफ़्तर जाकर एक ही कुर्सी पर एक ही छत के नीचे अपनी कमर तोड़कर अपनी आजीविका का बंदोबस्त करते हैं। जो कुछ नहीं करते वो पिताजी की पूंजी पर बैठकर सोशल मीडिया पर ट्रोल बनकर वक़्त बिताते हैं जिससे फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती। जो इसमें पारंगत हो जाते हैं उन्हें विभिन्न आईटी सेल का कार्यभार सौंपा जाता है। ऐसे ही एक बार डांसर नाचकर, लोगों को लुभाकर अपना पेट भरती है। गले पर छूरी रखकर पैसे नहीं वसूलती, हनीट्रैप में आप जैसे मासूमों को नहीं फँसाती। फिर यह काम ग़लत कैसे हो गया?

एक स्त्री को निकृष्टतम साबित करने के लिये दूसरी स्त्री को संज्ञा व विशेषण बनाने से ज़्यादा घटिया कब सोच सकेंगे आप! ऊब नहीं गये उसी पुराने घिसे-पिटे ढर्रे पर चलते-चलते? क्या फ़ायदा आप जैसे ऊर्जावान होनहारों का जब एक नया इनोवेटिव (अनवेषणात्मक) आइडिया भी न ला पा रहे हों।

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कहाँ पढ़ लिया आपने कि सोनिया गाँधी बार डांसर थीं? गूगल के भरोसे उछल रहे हैं, फ़ैक्ट्स चेक करना नहीं सिखाया? एक गिलास कॉम्प्लान पियें, लम्बी साँस लें और जो पढ़ते हैं उसे ऐनेलाइज़ करने की आदत डालें। इस तरह कल गूगल आपको आतंकवादी भी घोषित कर देगा, वहां सब कीवर्ड, डाटाबेस और एसइओ का खेल है। एक बार जो लिख दिया वो दिखेगा, वह सच है या झूठ, आपको पता करना है। गूगल के भरोसे न रहें, गूगल ख़ुद आपके भरोसे है।

अंतिम बात – एक बार डांसर का पूरा सम्मान करते हुए यह बताना चाहूंगी कि सोनिया गाँधी बार डांसर नहीं थीं। उनके परिवार में, उनके नाना अपने दादा का बार चलाते थे। वह बार उनका था, वो वहाँ की डांसर नहीं थीं। भारतवर्ष में भी कई रसूख़दारों के बार्स हैं, इससे वे डांसर नहीं हो जाते।

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सोनिया बिल्कुल नहीं चाहती थीं कि राजीव राजनीति में आयें लेकिन संजय के बाद उन्हें आना ही पड़ा। जब इंदिरा गाँधी चुनाव हार गयी थीं और बंगला खाली करना पड़ा उसी दौरान उनके बावर्ची की मृत्यु हो गयी थी। इंदिरा नया बावर्ची रखने में डर रही थीं कि कहीं कोई साज़िशन ग़लत व्यक्ति न भेज दे जो खाने में ज़हर डालकर खिला दे पर समाधान कोई न था। उन दिनों इटली की इस बेटी ने गृहस्थी संभाली। ये घर की बगीया में सब्ज़ियाँ उगातीं, ख़ान मार्केट से ग्रॉसरी लेने जातीं और परिवार के लिये ख़ुद भोजन बनातीं। इंदिरा के साथ हमेशा मज़बूती से खड़ी रहीं। घर के खाने के मेन्यू से लेकर संसद में कांग्रेस के कैटेलॉग तक इन्होंने सब संभाला है। आपकी संस्कृति की पाठशाला में पढ़े बिना वह सब करती रहीं जो इनके हिस्से आया।

आप इनसे असहमत हो सकते हैं, मतभेद रख सकते हैं लेकिन इनके जन्मदिन को #BarDancerDay घोषित कर आप उनका नहीं, स्वयं का परिचय दे रहे होते हैं।

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2 Comments

2 Comments

  1. anuradha

    December 10, 2020 at 5:32 pm

    well said Reeva Singh ji..aapka lekh un logo ke mooh me tamacha hai jo bina soche samzhe kisi ko kuch Bhi bol dete hain,, Gandhi parivar ke bare me to baad me baat kare in logo ne to mahatama gandhi tak ko nahi choda…BJP it cell pichle kai salo se yeh sab bhram faila rahi hai.. unka main maksad tha rahul gandhi ko pappu sabit karna to aaj kya ho raha hai aap behtar janti hain…

  2. Bharat bhadra

    August 17, 2023 at 10:58 pm

    ध्यान से पढ़ना मजा आ जाएगा

    इसे कहते हैं, दही में लपेटकर मारना…

    बड़ा रोचक क़िस्सा है । कृपया अंत तक पढ़ें

    राजा के दरबार मे…
    एक आदमी नौकरी मांगने के लिए आया,,,,,
    उससे उसकी क़ाबलियत पूछी गई,
    तो वो बोला,
    “मैं आदमी हो चाहे जानवर, उसकी शक्ल देख कर उसके बारे में बता सकता हूँ,,
    राजा ने उसे अपने खास “घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज” बना दिया,,,,,
    कुछ ही दिन बाद राजा ने उससे अपने सब से महंगे और मनपसन्द घोड़े के बारे में पूछा,
    तो उसने कहा….
    नस्ली नही है….
    राजा को हैरानी हुई,
    उसने जंगल से घोड़े वाले को बुला कर पूछा,,,,,
    उसने बताया घोड़ा नस्ली तो हैं,
    पर इसके पैदा होते ही इसकी मां मर गई थी,
    इसलिए ये एक गाय का दूध पी कर उसके साथ पला बढ़ा है,,,,,
    राजा ने अपने नौकर को बुलाया और पूछा तुम को कैसे पता चला के घोड़ा नस्ली नहीं हैं??
    “उसने कहा
    “जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके,
    जबकि नस्ली घोड़ा घास मुह में लेकर सर उठा लेता है,,
    राजा उसकी काबलियत से बहुत खुश हुआ,
    उसने नौकर के घर अनाज ,घी, मुर्गे, और ढेर सारी बकरियां बतौर इनाम भिजवा दिए ,
    और अब उसे रानी के महल में तैनात कर दिया,,,
    कुछ दिनो बाद राजा ने उससे रानी के बारे में राय मांगी,
    उसने कहा,
    “तौर तरीके तो रानी जैसे हैं,
    लेकिन पैदाइशी नहीं हैं,
    राजा के पैरों तले जमीन निकल गई,
    उसने अपनी सास को बुलाया,
    सास ने कहा
    “हक़ीक़त ये है कि आपके पिताजी ने मेरे पति से हमारी बेटी की पैदाइश पर ही रिश्ता मांग लिया था,
    लेकिन हमारी बेटी 6 महीने में ही मर गई थी,
    लिहाज़ा हम ने आपके रजवाड़े से करीबी रखने के लिए किसी और की बच्ची को अपनी बेटी बना लिया,,
    राजा ने फिर अपने नौकर से पूछा,
    “तुम को कैसे पता चला??
    “”उसने कहा,
    ” रानी साहिबा का नौकरो के साथ सुलूक गंवारों से भी बुरा है,
    एक खानदानी इंसान का दूसरों से व्यवहार करने का एक तरीका होता है,
    जो रानी साहिबा में बिल्कुल नही,
    राजा फिर उसकी पारखी नज़रों से खुश हुआ,
    और फिर से बहुत सारा अनाज भेड़ बकरियां बतौर इनाम दी,
    साथ ही उसे अपने दरबार मे तैनात कर लिया,,
    कुछ वक्त गुज़रा,
    राजा ने फिर नौकर को बुलाया,
    और अपने बारे में पूछा,
    नौकर ने कहा
    “जान की सलामती हो तो कहूँ”
    राजा ने वादा किया तो उसने कहा,
    “न तो आप राजा के बेटे हो,
    और न ही आपका चलन राजाओं वाला है”
    राजा को बहुत गुस्सा आया,
    मगर जान की सलामती का वचन दे चुका था,
    राजा सीधा अपनी मां के महल पहुंचा…
    मां ने कहा,
    ये सच है,
    तुम एक चरवाहे के बेटे हो,
    हमारी औलाद नहीं थी,
    तो तुम्हे गोद लेकर हम ने पाला,,,,,
    राजा ने नौकर को बुलाया और पूछा ,
    बता, “भोई वाले तुझे कैसे पता चला????
    उसने कहा
    ” जब राजा किसी को “इनाम दिया करते हैं,
    तो हीरे मोती और जवाहरात की शक्ल में देते हैं,
    लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने पीने की चीजें दिया करते हैं…
    ये रवैया किसी राजा का नही,
    किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है,,
    किसी इंसान के पास कितनी धन दौलत, सुख समृद्धि, रुतबा, इल्म, बाहुबल हैं ये सब बाहरी दिखावा हैं ।
    इंसान की असलियत की पहचान,
    उसके व्यवहार और उसकी नियत से होती है,
    इसीलिए…
    “आँख मारना”
    “आलु से सोना”,
    ” कभी 72000 प्रतिमाह”,
    “कभी 72000 करोड़ प्रतिवर्ष”
    “भरी संसद में आंख मारना”

    *मणिपुर जैसे गहरे मुद्दे की चर्चा के बीच फ्लाइंग kiss करना, वो भी 40/50 महिला सांसद जब सामने बैठे हो*
    ये दर्शाता है ….
    कि वह बार डांसर का बेटा है, इसलिए कम अक्ल भी है,,,,,,
    हैसियत कुछ भी हो,
    पर सोच नही बदलती,,,
    वोट बर्बाद न करें…
    क्योंकि…

    आएगा तो ☕️ वाला ही

    *हृदय प्रसन्न हो गया हो तो अपने मित्रों को भेजो।*

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